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फिल्म आदि पुरुष सनातन संस्कृति को खत्म करने का एक और प्रयास

एक फिल्म आ रही है जनवरी 2023 में उसका टीजर 95 सेकंड का रिलीज हुआ है और फिल्म का नाम है आदि पुरुष यह कहा जा रहा है कि रामायण और रामचरितमानस पर यह फिल्म आधारित है लेकिन उसका जो टीजर आया है उसमें रावण का जो चित्रण प्रस्तुत किया गया है उसमें हनुमान जी का जो चित्रण किया गया है उसे देख कर लगता नहीं कि इसका रामायण और रामचरितमानस से दूर-दूर तक कोई नाता है।

अब सवाल यह है कि यह जो स्वरूप दिखाया गया है निर्माताओं को रावण का यह चित्र कहां दिखा इस देश में लाखों की संख्या में हनुमान जी के मंदिर है कहीं उनको ऐसी तस्वीर दिखाई दी हनुमान जी की कहां से यह कल्पना आई मेरा मानना है कि जब क्रिएटिविटी के साथ नेगेटिविटी आती है यानी रचनात्मकता के साथ जब नकारात्मकता आती है तो वह बड़ा विषैला सम्मिश्रण बनता है और वही है आदि पुरुष यही कोशिश की गई है यह दिखाने की अगर उनको हनुमान जी को दिखाना था उनका चित्रण करना था तो उसके लिए कहीं दूर जाने की जरूरत ही नहीं थी हनुमान चालीसा में बड़े स्पष्ट रूप में वर्णन किया गया है –
कंचन वरण विराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा!!
हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे,
कांधे मूंज जनेऊ साजे!!
शंकर सुवन केसरी नंदन!!
तेज प्रताप महा जगवंदन

हनुमान जी का पूरा चित्र आपको दिखाई देगा हर मंदिर में हर तस्वीर में हर जगह पर रामानंद कृत जो रामायण है उसमें भी उसी रूप में दिखाई देगा लेकिन उमराव और मनोज मुंतशिर जो इस फिल्म के निर्माता और लेखक हैं ऐसा दिखाई नहीं दिया कहते हैं कि बचपन से वह रामलीला देखते रहे हैं और रामलीला में उन्होंने कब देखा कि जिस रूप में उन्होंने दिखाया है हनुमान जी को उस रूप में देखा रावण को खिलजी के रूप में दिखाया है कहां यह रूप रावण का उन्होंने देखा तो उमराव का कहना है एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि रावण में उन्हें यही तस्वीर नजर आती है।

सवाल यह है की कल्पना में तब ऐसी चीजें आती हैं जिसका कोई चित्रण आपने देखा ना हो जिसके बारे में उससे पहले आपकी कोई कल्पना ना रही हो अगर बचपन से आपने रामलीला देखी है तो आपके मन में वह अंकित होना चाहिए था वह पत्थर की लकीर की तरह आपके मन में छपा होना चाहिए था कि रावण का चरित्र कैसा है उसका स्वरूप कैसा है उनका तर्क है कि यह 95 सेकंड का टीजर है उसके आधार पर आप फिल्म के बारे में राय मत बनाइए जनवरी में जब फिल्म आएगी तब देख कर बताइएगा लेकिन सवाल यह है कि अक्सर चावल पका है कि नहीं इसका अंदाजा लगाने के लिए चावल का एक दाना ही काफी होता है तो यह जो टीजर आया है वह बता रहा है कि यह कुछ भी हो सकता है लेकिन इसका राम चरित्र मानस और रामायण से कोई लेना देना नहीं है, यह जो फिल्म है उसका रामकथा से तो मतलब नहीं है इसका मतलब इसका उद्देश्य चाहे घोषित रूप से ना हो किसी ने कहां हो या ना कहां हो मुझे नहीं मालूम लेकिन यह सनातन धर्म के विरोध का प्रतीक है यह आदि पुरुष नाम की जो फिल्म है वह हमारी संस्कृति, हमारी धार्मिक पहचान, हमारी परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश है आज की पीढ़ी के बच्चों के मन में यह कैसी तस्वीर उतारने की कोशिश है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है यह जो ऐतिहासिक घटनाएं है जिनको लेफ्ट लिब्ऱल इकोसिस्टम जो है वह पौराणिक कथाएं कहता है यह दरअसल इतिहास है और पुरातात्विक जो प्रमाण है वह लगातार मिलते जा रहे हैं, श्री कृष्ण की द्वारका मिल रही है कहीं तो अयोध्या तो साक्षात है भगवान राम का जन्म स्थान मौजूद है सरयू नदी मौजूद है सब कुछ इस ओर इशारा कर रहा है कि यह कोई मनगढ़ंत कोई कल्पना की बनाई हुई कहानी नहीं है कोई पौराणिक कथा नहीं है यह इतिहास है भारतीय संस्कृति का सनातन संस्कृति का इतिहास है उस से खिलवाड़ करने की कोशिश हो रही है आप डायरेक्टर महोदय ने बड़ी अजीब सी बात कही मुझे तो बड़ा बेतुका बड़ा लचर तक लगा उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी रिलेट कर सकें ऐसा कैरक्टराइजेशन करने की कोशिश हुई है वेशभूषा के बारे में जाहिर है बात हो रही थी क्योंकि पूरी फिल्म तो आई नहीं है तो उसके बारे में तो बात नहीं हो सकती है जो देखा है उसी की बात हो सकती है तो आज की पीढ़ी रिलेट कर सके आज की पीढ़ी छोटे से गांव से लेकर बड़े से बड़े महानगर तक रामलीला होती हैं आज की पीढ़ी उसी से रिलेट करती है जो उनको वहां दिखाई देता है जो उन्होंने बचपन से सुना है जो उन्होंने चित्रों में बचपन से देखा है जो उन्होंने रामलीला के चित्रण में देखा है जो उनके माता-पिता उनके दादा दादी नाना नानी ने जो कहानियां उनको सुनाई है जो उन्होंने रामचरितमानस में पड़ा है जिन्होंने रामायण पड़ा है वह सब आपकी फिल्म से कहीं भी मिल नहीं खाता।

तू मेरा अब एक सवाल है कि भाई आज की पीढ़ी से रिलेट करने के लिए आपने परिवर्तन किया चलिए आपने परिवर्तन के बारे में सोचा अच्छी बात है तो अगर आपको कल गांधी जी पर फिल्में बनानी हो तो आज की पीढ़ी से रिलेट करने के लिए क्या उनको टी शर्ट और शॉर्ट्स मैं दिखाएंगे? अगर आपको जीसस क्राइस्ट पर फिल्म बनानी हो तो उनको थ्री पीस सूट और टाई में दिखाएंगे? ऐसा साहस कर सकते हैं क्या? ऐसी कल्पना कर सकते हैं क्या? नहीं कर सकते क्यों? क्योंकि धैर्य सहिष्णुता सिर्फ और सिर्फ दुनिया में एक ही धर्म के लोगों में है और वह है सनातन धर्म और उसी धैर्य की परीक्षा हो रही है आजकल लगातार दिल्ली में जो कुछ हुआ दिल्ली के मंत्री ने जो कुछ किया जिस तरह से शपथ दिलाई गई कि हम राम कृष्ण और शिव को नहीं मानते हम भगवान की पूजा नहीं करेंगे हिंदू देवी देवताओं की पूजा नहीं करेंगे यह साहस जो है वह कहां से आ रहा है यह राष्ट्र विरोधी ताकतोंतो का साहस है दुस्साहस कहूंगा मैं इसे यह दुस्साहस है और यह जानते हुए कि हमको समर्थन मिलेगा यह जानते हुए कर रहे हैं कि इस मुद्दे पर उनको राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा और किसका समर्थन मिलेगा? उन्हीं सनातन धर्म के मानने वालों का जिनके खिलाफ यह सब हो रहा है यह फिल्म अगर आमिर खान के बैनर तले बनी होती या फिर शाहरुख खान के बैनर तले बनी होती तो हमारा रिएक्शन अलग तरीके का होता तब हम इसे शायद हिंदू मुस्लिम चश्मे से देखते लेकिन इसको बनाने वाले हिंदू हैं इसको लिखने वाले हिंदू हैं ऐसे लोग हैं जिनकी पहचान है जिनकी हिंदू राष्ट्रवादी सनातनी की एक पहचान है और ऐसा लग रहा है कि यह सब बस उनकी जुबान तक ही है यह सब उनकी जुबान तक ही सीमित है उनकी आस्था बस जुबान तक है और उनकी आस्था ऐसी है जो बिकने को तैयार है जो पैसे के आधार पर तय होती है कि वह कितने गहरे जाएगी तो यह आस्था उनके मन उनकी आत्मा से निकली हुई नहीं है इसलिए इसका बचाव कर रहे हैं अगर आस्था गहरी होती तो पहली बात तो वह इस फिल्म से जुड़े थे ही नहीं दूसरी बात अगर वह इस फिल्म से जोड़ ही गए थे जो भी वजह से जुड़े हो तो गलती अपनी मान लेते गलती मान कर यह स्वीकार करते कि हम इस फिल्म से अपने को अलग कर रहे हैं इसके लिए बड़ा साहस चाहिए जोन में नहीं है वह दिखाई दे रहा है और मैं केवल एक दो व्यक्तियों की बात नहीं कर रहा मैं उस प्रवक्ती की बात कर रहा सनातनियों की प्रवक्ती की बात कर रहा जो अपनी ही संस्कृति के खिलाफ जाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करते और यह हजारों लाखों करोड़ों की संख्या में है जो अपनी आस्था को गिरवी रखने को तैयार है इसी वजह से आज जो स्थिति है सनातन धर्म की जिस तरह से चौतरफा हमला हो रहा है उसकी यही वजह है किस को कमजोर करने वाले हमारे अंदर के लोग हैं हमारे अपने लोग हैं बाहरी लोग से क्या शिकायत करना बाहरी लोगों की तो आस्था नहीं है सनातन धर्म में जिनकी आस्था है अगर वह खिलाफ है तो यह चिंता की बात है इसके बारे में सोचने की बात है तो आदि पुरुष का यह जो ट्रेलर कहिए टीजर चाहिए जो भी कहना चाहे इसको देखने के बाद यह बात समझ में आती है कि यह लड़ाई कितनी मुश्किल है कितनी कठिन और कितनी लंबी है क्योंकि यह लड़ाई अपनों से लड़ने हैं यह बाहर वालों से नहीं लड़नी है बाहर वालों की पहचान होती है हमको इस बात का एहसास ही नहीं है कि हमारी सारी लड़ाई तो अपनों से ही है। अपने जब धर्म के मार्ग से हट जाएं धर्म के मार्ग से विपरीत जाने लगे तो उनसे युद्ध करना धर्म की रक्षा करना यह भगवान कृष्ण ने महाभारत में बताया अगर ऐसा नहीं होता तो पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध ना होता एक ही परिवार के लोग थे यहां तो बेहतरपरिवार की भी बात नहीं हो रही एक ही परिवार दो भाइयों की संतान थी सगे भाइयों की संतान थी उनके बीच में युद्ध हुआ और युद्ध करने के लिए किसने कहा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कि यह मत देखो तुम्हें धर्म की रक्षा करना है इसलिए युद्ध करो तो यह आदि पुरुष नाम की जो फिल्म है इसका विरोध महज एक प्रति क्रियात्मक लड़ाई है असली लड़ाई जो है ऐसी प्रवृत्ति से लड़ना है जो सनातन धर्म के बारे में बोलने दिखाने लिखने कहने में और फिल्माने में जरा भी संकोच नहीं करते जो वह काम कर रहे हैं जो आपका विरोधी आपका दुश्मन नहीं करता वह काम जब आपके अपने कर रहे हो तो समझिए लड़ाई कितनी मुश्किल है कितनी कठिन है तो यह लड़ाई इतनी आसान नहीं है एक फिल्म का विरोध करके हम उसे फ्लाप करा सकते हैं एक फिल्म का समर्थन करके शायद हम उसे चलवा सकते हैं लेकिन इससे बात बनने वाली नहीं है जब तक लोगों की समझ में यह बात नहीं आएगी की वह जो यह सब कर रहे हैं वह दरअसल अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे हैं जब तक ऐसे लोगों को जगाने में हमें कामयाबी नहीं मिलती जब तक ऐसे लोगों को समझाने में हमें सफलता नहीं मिलती जब तक ऐसे लोगों को इस प्रवृत्ति से ऐसी सोच से इस दायरे से बाहर निकालने में हमको सफलता नहीं मिलती तब तक यह लड़ाई अधूरी है जिस दिन हम इनको यानी अपनों को समझाने में सफल हो जाएंगे समझने की आधी जंग हम जीत जाएंगे जंग तो उसके बाद भी जारी रहेगी लेकिन आधी जंग जीत जाएंगे जिस दिन यह समझ जाएंगे कि जो वह कर रहे हैं दरअसल अपना ही नुकसान कर रहे हैं अपने लोगों का नुकसान कर रहे हैं अपने धर्म अपनी संस्कृति अपने देश का नुकसान कर रहे हैं आप अपने देश की सांस्कृतिक पहचान को मिटाने का काम कर रहे हैं आखिर इससे उनको क्या मिलेगा फिल्म बनाने के लिए मुद्दे बहुत हैं विषय बहुत हैं किसी भी विषय पर फिल्म बना सकते हैं फिल्म सफल भी हो सकती है आप धनबान भी हो सकते हैं उससे लेकिन ऐसे विषय क्यों चुने जो सनातन धर्म के विरोध में हो जो हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के विरोध में हो तो लड़ाई इस पर लड़नी है लड़ाई का असली जो मोर्चा है वह यहां है इस बात को हमें खुद समझना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा एक फिल्म सफल हो जाएगी या फ्लॉप हो जाएगी उससे कोई समस्या का समाधान नहीं होने वाला है इन प्रवृत्तियों से लड़ने की तैयारी कीजिए।

     लेख़क
  अमित गर्ग
8965995102