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योग में छुपा है- ‘सुंदरता और बुद्धि’ का संतुलन ।

– सुषमा यदुवंशी

सिजेरियन से बचना है तो अपनाएं योग

योग मनुष्य के मानसिक, शारीरिक और अध्यात्मिक उर्जा के एकता का प्रतीक है योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच योग का सामंजस्य विचारों को संयम प्रदान करने वाला है ।

मनुष्य की सफलता तीन चीज़ो से मापी जाती हैं धन, प्रसिद्धी और मन की शांति, धन और प्रसिद्धी पाना तो बहुत आसान है किन्तु आज के इस भागमभाग भरी जिन्दगी में हम सब अपने आप से ही अलग हो गये है वैसी स्थिति में योग हमें अपने आप से पुन: जोड़ने में मदद करता है जिससे हमारे मन को शांति की अनुभूति प्राप्त होती है।

वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव में भी योग का हरेक आसन रामबाण उपाय हैं। योग से न केवल शरीर पूर्णतया स्वस्थ रहता है बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ स्वस्थ शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण का सवाल ही नहीं उठता।

भारत की प्राचीन कला एवं परम्परा योग को आज संपूर्ण विश्व ने पूरी प्रमाणिकता के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का सर्वमान्य हल माना है। योग के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को एक साथ लाकर शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को सन्तुलित करने का कार्य किया जाता है। निश्चित रूप से योग का नियमित अभ्यास स्वस्थ जीवन शैली तथा बेहतर जीवन जीने में हमारी काफी सहायता करता है।

वर्तमान में नारी के जीवन में घर के साथ बाहर के कामकाज की दोहरी जिम्मेदारी है। अति व्यस्तता, अपने स्वास्थ के प्रति लापरवाही बरतने में पीछे नही रहती। समय के अभाव और उचित आहार के कारण के अलावा स्त्री अपने प्रति लापरवाही भी बरतती है। आधुनिक अनियमित जीवनशैली के कारण नारी आज अनेक शारीरिक व्याधियों से बहुत कम आयु में ग्रसित हो रही है। जिसका एक मात्र उपाय योग ही है।

योग न सिर्फ़ किशोरावस्था में बल्कि उम्र के हर पड़ाव में मददगार साबित हो रहा है।महिलाओं की शारीरिक संरचना, उनके रोग और तकलीफ़ें पुरुषों से अलग होती हैं।ऐसे में महिलाओं के लिए कुछ चुनिंदा आसन हैं, जिसे आसानी से तकिये या फिर दीवार के सहारे से घर में किया जा सकता है।

योग महिलाओं के शरीर को स्वस्थ बनाने के अतिरिक्त और भी बहुत से काम करता है। यह मन को संतुलित करता है तथा आत्मा को पोषित करता है। इसलिए महिलाएं योग को एक अतिरिक्त बोझ नहीं समझती, बल्कि यह उनके व्यस्तता से भरे जीवन की एक आवश्यक गतिविधि है जो उनको अपनी जिम्मेदारियों को पूर्णता से निभाने में सहायता करता है।

युवावस्था में महिलाओं के लिए योग की अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है। इस उतार-चढ़ाव भरे समय में युवा लड़कियों के शरीर और मन में बहुत से परिवर्तन आते हैं जो कि उनके आगे आने वाले पूरे जीवन को प्रभावित करते हैं।

योग की सहायता से वह बहुत सारे परिवर्तनों को आसानी से और बिना दर्द के अपना लेती हैं। कुछ आसान योग क्रिया जैसे प्राणायाम और ध्यान की सहायता से बेचैनी में शांति मिल जाती है, डरे हुए और भ्रमित किशोर मन को भटकते हुए और उलझे मन का कारण शारीरिक बदलाव है जिसमें से युवाओं को गुजरना पड़ता है। धनुरासन और वज्रासन महिलाओं के लिए बहुत सहायक है, नियमित और स्वस्थ मासिक चक्र के विकास में इन आसनों के नियमित अभ्यास से महिलाओं की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, मोटापे से मुक्ति मिलती है तथा स्वस्थ प्रजनन अंगों का विकास होता है, जिससे हार्मोनल संतुलन बना रहता है।

योग से महिलाओं के शरीर में लचीलापन रहता है जिससे वह सामान्य प्रजनन कर सकने में सक्षम होती हैं। गर्भावस्था या प्रसव के समय होने वाली कठिनाइयों से निपटने में वह स्वयं को काफी हद तक तैयार कर सकती हैं। क्योंकि वर्तमान समय में सबसे बड़ी समस्या सिजेरियन डिलीवरी यानि ऑपेरशन द्वारा बच्चे का जन्म होना एक आम बात हो गयी है। किन्तु इसके बहुत ही भयावह परिणाम देखने को मिल रहे हैं। नार्मल डिलीवरी के लिए योग ही उसका एकमात्र उपाय है।
पूर्व प्रसव योग बहुत लाभदायक है- शारीरिक आवश्यकता और क्षमताओं के अनुसार शरीर को तैयार करने में। इससे महिलाओं की गर्भाशय की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं तथा रीढ़ की हड्डी अतिरिक्त दबाव झेलने के लिए मजबूत हो जाती है। प्रसव पूर्व योग करने से प्राणायाम और यौगिक श्वासों के द्वारा महिलाएं जल्दी ही प्रसव की पीड़ा से बाहर निकल जाती है और सामान्य रूप से स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। जिसका मूल कारण योग ही होता है। यदि किसी जटिलता के कारण ऑपेरशन भी करना पड़ता है तो उसके बाद योग करने से मांसपेशियां टोन होती हैं और उन्‍हें मजबूती मिलती है। इससे रिकवरी में भी तेजी आती है।

योग से लिगामेंट और ढीली पड़ी मांसपे‍शियां ठीक होती हैं। इसकी मदद से मन और मस्तिष्‍क को आराम एवं शांति मिलती है जो कि मां बनने के बाद बहुत जरूरी भी है। किसी भी तनावपूर्ण स्थिति को शांति से सुलझाने में मदद मिलती है।

योग से शारीरिक अंगों को मजबूती मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है। यानि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो योग की सहायता से स्त्री आध्यत्मिक रूप से मज़बूत बन जाती है। शारीरिक रूप के साथ मानसिक मजबूत बन जाती है। जिससे सी- सेक्शन अर्थात आपरेशन करने की दर में कमी आती है।

गर्भवती महिलाओं में सामान्य प्रसव के लिए योग, ध्यान व आहार को लेकर ट्रायल चिकित्सकों द्वारा किये जा रहे है जिसके परिणाम बेहद आश्चर्यजनक सकारात्मक रहे है।

लेखिका एक शिक्षविद है.