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सनातन के गौरवशाली अतीत की ओर लौटता भारत

अतीत की गहराइयों में जाकर जब हम झांकते हैं तो जो दृश्य हमारे नेत्रों के सामने उभरता है वह यह है कि भारत करोड़ों वर्षों से विश्व में मानव जाति के लिए प्रेरणा का केंद्र रहा है। हमारे पूर्वजों ने “कृन्वंतो विश्व आर्यम” अर्थात संपूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाएंगे और “वसुधैव कुटुंबकम” संपूर्ण वसुधा एक कुटुंब (परिवार) है। तथा “स्वदेशो भुवनत्रयम” तीनो लोक हमारे लिए स्वदेश हैं, की उदात्त भावना ले संपूर्ण विश्व में संचार किया तथा विश्व की सुख ,समृद्धि हेतु कला, कौशल तथा ज्ञान-विज्ञान-दर्शन का अवदान दिया। इसी कारण भारत प्राचीन काल से ‘जगतगुरु-विश्वगुरु’ कहलाता रहा।

भारत भूमि पुण्य भूमि है। यह अवतारों की भूमि है। यह अर्पण-तर्पण की भूमि है। यह मोक्ष- भक्ति व सनातन परंपराओं की भूमि है। यह संतों की, तीर्थों की भूमि है। यह साधना स्थली है ऋषियों की। भारत उपासना -पंथो की भूमि है। यह वेदों के अवत्तरण की भूमि है। यह भूमि है ज्ञान- विज्ञान -दर्शन की। यह अध्यात्म की भूमि है। यह विश्व के प्रथम मानव के अवतरण की भूमि है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंग की भूमि है। यह राम और कृष्ण की भूमि है। यह छिंयासठ करोड़ तीर्थों की भूमि है।

भारतवर्ष की महिमा- गरिमा का वर्णन करते हुए विदेशी विद्वान पाश्चात्य चिंतक मार्क टवेन कहता है कि- “भारत उपासना पन्थो की भूमि, मानव जाति का पालना ,भाषा की जन्मभूमि, इतिहास की माता ,पुराणों की दादी एवं परंपरा की परदादी है। मनुष्य के इतिहास में जो भी मूल्यवान एवं सृजनशील सामग्री है, उसका भंडार अकेले भारत में है। यह ऐसी भूमि है जिसके दर्शन के लिए सब लालायित रहते हैं और एक बार उसकी हल्की सी झलक मिल जाए तो दुनिया के अन्य सारे दृश्यों के बदले में भी वे उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं होंगे।”
इन्हीं से मिलते-जुलते अनुभव अनेक चिंतकों, शोधकों , विद्वानो, इतिहासविद्वो यथा हीगल, गैलवेनो, मार्कोपोलो ,फाहान ,अलबरूनी, मैक्समूलर, मेगस्थनीज, इतिहासविद्व पोकुरू ,गार्डन चाइल्ड, सर जॉनमार्शल लियोनार्ड बूली , अलहजीज, विद्वान विलिंगडन ,सैमुअल जॉनसन ,काउंट जॉन्स जेनी ,कोलब्रुक ,प्रो. लुई रिनॉड, यूनानी विद्वान एरियन ,प्रो. डफ ,प्रो. विल्सन के भी रहे हैं। इसी बहुमुखी समृद्धि के कारण भारत “सोने की चिड़िया” कहलाता रहा है।

विगत 1500 वर्षों के भारत पर हुए बर्बर आक्रमणों, कुछ अपने सामाजिक दोषो तथा मुसलमानों के मजहबी आक्रमणों, लूट और अंग्रेजों के 190 वर्षों के शासन में आर्थिक दृष्टि से देश का इतना शोषण हुआ कि ‘सोने की चिड़िया’ कंगाल हो गई । यहां के कृषि, उद्योग, व्यापार को नष्ट किया गया । दुनिया में भारत को फिर से ‘जगतगुरु’ व ‘सोने की चिड़िया’ बनाने की चुनौती आज की पीढ़ी के सामने हैं। स्वाधीनता संग्राम की अनेकों हुतात्माओं, सेनानियों, बलिदानियों तथा चिंतकों ने भव्य भारत (स्वर्णिम भारत) का जो स्वप्न देखा उसे साकार करने का आह्वान आज की पीढ़ी के सामने है।

विगत वर्ष 2014 मे जब से नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने तभी से भारत की तस्वीर व तकदीर दोनों बदलने प्रारंभ हुई है। आज वैश्विक परिदृश्य में भारत को जो सम्मान व स्थान मिल रहा है, वह अनुपम-अद्वितीय व गरिमामय है। भारत के राष्ट्र अध्यक्ष जब विदेशों में जाते हैं तो ‘रेड कारपोरेट’ बिछाकर उनका भव्य स्वागत किया जाता है। विश्व के अनेकों देश भारत से मित्रता करने को आतुर हैं। वही पिछली वैश्विक महाशक्तियाँ रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान ,ऑस्ट्रेलिया ,चीन आज भारत को सैल्यूट (नमन) कर रहे हैं। आज विश्व के अनेकों देश भारत की वैश्विक शक्ति के रूप में उभरती प्रतिभा, आत्मनिर्भरता, स्वदेशी तकनीक, ‘मेक इन इंडिया’ ‘डिजिटल इंडिया’ ‘न्यू स्टार्ट अप’, सैन्य शक्ति में वृद्धि ,न्यू सेटेलाइट लॉन्चिंग, स्वतंत्र विदेश नीति, देश का सर्वतोमुखी विकास, दुष्ट पड़ोसी चीन-पाक को कड़ा सबक इत्यादि के कारण भारत को ‘वर्ल्ड लीडर’ (वैश्विक महाशक्ति) के रूप में देख रहे हैं। आज भारत न्यू स्टार्ट अप के साथ बढ़ रहा है। आज भारत की सेना विश्व में चतुर्थ रैंकिंग पर आ चुकी है एवं प्रथम स्थान के लिए निरंतर संघर्षरत है। जो निकट भविष्य में प्राप्त हो सकेगा। कहते हैं कि- “बात उन्हीं की होती है, जिनमें कोई बात होती है।” आज पड़ोसी पाकिस्तान की मजबूरी देखिए कि वहां का पी एम इमरान खान भारत की विदेश नीति की तारीफ कर रहा है और भारत का खौफ इतना है कि -पायलट अभिनंदन वर्धमान को अभिनंदन करते हुए सही सलामत ,बिना शर्त लौटाना पड़ा। अब नया भारत चीन को सीमा पर दो बार कड़ा सबक (शक्ति का एहसास) दे चुका है।

आज भारत का सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, नैतिक सर्वतोमुखी विकास हो रहा है। फिर चाहे केदारनाथ धाम का जीर्णोद्धार- विकास या फिर काशी विश्वनाथ का वैभवशाली कारीडोर हो। बनारस अतीत में ज्ञान-कला-दर्शन की राजधानी रही है। अयोध्या में 500 वर्षों के पश्चात विश्व का वैभवशाली भव्य-दिव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। जो कई पीढ़ियों के बलिदान-संघर्ष के पश्चात असंभव सा जान पड़ता था, वह आज कर्मठ, धर्मनिष्ठ, साहसी, ईमानदार प्रधानसेवक के भागीरथी प्रयास ,शेरदिली से ही संभव हुआ है। आज मथुरा में भी श्रीकृष्ण जन्म स्थली के लिए ‘सत्यमेव जयते’ का संघर्ष विजई पताका फहराने की ओर बढ़ रहा है। दसों दिशाओं में भारत की आज जय जयकार हो रही है। आज भारत के गौरवशाली अतीत का वैभव -गौरव पुन: वापस लौट रहा है। “एक भारत -श्रेष्ठ भारत” का निर्माण हो रहा है। राम राज्य भारत में अब वापस लौटता दिखाई पड़ रहा है।

Mahakal Lok Mahakaleshwar Temple Ujjain Madhya Pradesh PM Narendra Modi Worship Take Blessings ANN | Mahakal Lok: उज्जैन में PM मोदी की ओर से होगा राजाधिराज भगवान महाकाल का श्रृंगार, जानिए- कैसे

उज्जैन कुंभ नगरी, कालगणना, मोक्षपुरी के रूप में प्राचीन काल से जाना जाता रहा है। उज्जैन का पुरातन सनातन वैभव वापस लौट रहा है। 12 अक्टूबर 2022 की शुभघड़ी में देश के प्रधान सेवक ने भव्य महाकाल लोक का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर परिसर का विस्तार करते हुए अब 47 हेक्टेयर में, 920 मीटर मे नये कॉरिडोर का निर्माण 850 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। अब वहां विश्व स्तरीय सुविधाएं भक्तों को प्रदान की जावेगी। ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य की कर्मभूमि उज्जैनी रही है, जिसका वर्णन फारसी लेखक ‘गार्दी’ ने इतिहास में किया है। द्वापरयुग में राजा चंद्रप्रधोत ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह महाकाल (शिव) का धाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दर्शन को ‘शिव का दर्शन’ बताया है। वैसे भी शिव का अर्थ ‘कल्याणकारी’ होता है।
जो स्वप्न भारत के पुरातन-सनातन वैभव का राष्ट्रभक्तों ,बलिदानियों, महापुरुषों ,ऋषियों ने देखा था। जो कार्य 70 वर्ष पूर्व आरंभ होना चाहिए था। वह पी. एम. मोदी ने 2014 से आरंभ किया हुआ है जो कि अपने शिखर को छू रहा है। भारत पुन: अपने पुरातन वैभव (Ancient glorious), अतुल्य गौरव Incredible glorious ओर अब वापिस लौट रहा है। भारत विश्व के कल्याण के लिए उठ रहा है क्योंकि इतिहास को उठाकर देखने पर पता चलता है कि विश्व के कल्याण का मार्ग भारत से होकर ही विश्व को जाता है। यही महर्षि अरविंद की भविष्यवाणी भी है। इसी संदर्भ में मथुरा के कृष्ण संत सूरदास जी महाराज कहते हैं कि –
एक सहस्त्र नौ सौ के ऊपर,
ऐसो योग परै ,हजार वर्ष लो सतयुग बीते।
धर्म की बेल बढे ,अरे मन धीरज काय ना धरै।।

अब इस भविष्यवाणी के सत्य होने का समय 2026 से आरंभ होने वाला है। जिसे हम ‘रामराज्य’ -‘सतयुग’ ‘ऐज आफ ट्रुथ’ कह सकते हैं। ऐसा ही मत पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का भी है। भविष्य पुराण में भी ऐसा ही संकेत किया गया है। “ज्ञान मूलक समाज,” “आध्यात्मिक समाजवाद” आएगा ,एकता-समता मूलक समाज की स्थापना होगी। भगवान जगत का नियता अपना कार्य पुण्य आत्माओं से ही कराता है। ऐसा ही कुछ पुण्य संयोग आज भागीरथ के रूप में पी एम मोदी को प्राप्त हो रहा है। उनकी प्रतिभा, राष्ट्रभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा, धर्मपरायणता, साहस, अद्वितीय, अनुपम है। जिसके चलते वह ‘दिग्विजयी भारत’ – ‘अजेय भारत’, ‘स्वर्णिम भारत’ का निर्माण कर रहे हैं। राष्ट्र निर्माण के इस यज्ञ में – भवन में प्रत्येक भारतीय की एक ईट लगनी ही चाहिए, यही हमारा राष्ट्रधर्म-युगधर्म भी है।

       लेख़क
डॉ. नितिन सहारिया
  8720857296