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हमारा भारत : सर्वश्रेष्ठ भारत

आज जब भारत चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति का बिगुल फूँकते हुये अगले कदम की ओर अग्रसर है, इसमें भारत के विज्ञान और इस क्षेत्र से जुड़े महानुभावों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है। इस कदमताल में नीति निर्माताओं का दायित्व भी बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसमें केन्द्र और राज्य सरकारों का योगदान, भूमिका और जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जिसे अहमदाबाद में दो दिवसीय ‘‘केन्द्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन’’ के अवसर पर देखा और परखा भी गया। इस आयोजन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इतिहास का उदाहरण देते हुये स्पष्ट किया कि भाजपा शासन काल की कालअवधि में इनोवेशन की दिशा और भारत की बदलती सोच ने विश्व को आकर्षित किया है। दुनिया भर में व्याप्त कोरोना महामारी से जूझते हुए भी वैज्ञानिक रिसर्च कार्यों में प्राण-पण से जुटे हुये थे। भले ही उन्हें सराहना और प्रेरणा न मिल पायी हो, लेकिन विकसित की गयी वैक्सीन के उनके योगदान को विश्वभर में सराहा गया।

यह शासन व्यवस्था की सोच में आये बदलाव का ही परिणाम है कि इनोवेशन को लेकर उसकी प्रगति के बढ़ते चरणों को लेकर विश्व के 50 से अधिक देश नजदीक आये हैं। विज्ञान आधारित सोच भारत के विकास की सोच के साथ ही आगे की राह तलाश रही है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के मामले में उसका स्थान 46वाँ बन चुका है। जबकि सन् 2015 में यह स्थान 81वाँ था। यह तेजगति से प्रगति का सूचक है।

अमृतयात्रा के प्रारम्भ में ही यह अत्यन्त प्रसन्नता दायक खबर मिली कि भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। मजबूती के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। भारत 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने संकल्प को साकार करने जा रहा है।

देश की अर्थव्यवस्था को नयी दिशा देने वाले आठ कोर उद्योग – कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफायनरी, उत्पाद, फर्टिलाईजर्स, स्टील, सीमेन्ट और विद्युत क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत वृद्धि जैसी कामयाबी हासिल भी की है। अब वह नयी मंजिल की ओर बढ़ रही है।

आई.एम.एफ. के एक अनुमान के अनुसार भारत सन् 2026 तक ही 5 ट्रिलियन अमेरिकी डालर के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। उल्लेखनीय है कि जर्मनी को पीछे छोड़कर भारत विश्व का चैथा सबसे बड़ा वाहन निर्माता बन गया है।

वैश्विक बाजार में अब भारतीय सामानों को पहली पसन्द के रूप में देखा जाने लगा है। मेक इन इंडिया इलेक्ट्रिाॅनिक्स की विश्व भर में अच्छी माँग है। युवा उद्यमियों को रक्षा, अनुसंधान क्षेत्र आकर्षित कर रहे हैं। उनके लिये ड्रोन शक्ति सुविधाजनक प्रतीत हो रही है। यह आश्चर्यजनक है कि युवावर्ग अपने साथियों को स्वयं रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। देश आत्मनिर्भर बन रहा है।  यह प्रगति के क्षेत्र में लम्बी छलांग है। युवा सपनों को मिले पंख। युवाओं को स्टार्टअप इंडिया ने नयी मंजिल दिखाई है, जिसने भारत को नयी पहचान मिली है।

यह अत्यन्त सराहनीय है कि नये यूनिकार्न जोड़ने में भारत चीन से आगे निकल गया है। हाल ही में हुरून यूनिकार्न ग्लोबल इंडेक्स 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार यूनिकार्न (-एक अरब डालर की कम्पनी) से आगे कदम बढ़ा चुका है। भारत गत छः माही में भारत के 14 स्टार्टअप यूनिकार्न बन चुके हैं तो चीन के सिर्फ 11 स्टार्टअप ही यूनिकार्न का दर्जा प्राप्त कर सके हैं। यद्यपि यूनिकार्न की कुल संख्या के हिसाब से अमरीका और चीन के बाद भारत का तीसरा स्थान है।

यह भारतीयों के लिये अत्यन्त प्रसन्नता का विषय होना चाहिये कि कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ती मंहगाई से जहाँ विश्वभर के देश अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को सम्हालने में लगे हैं, ऐसे अवसर  पर भारतीय अर्थव्यवस्था को नये-नये पंख लग रहे हैं। ब्लूमवर्ग के अभी हाल के सर्वे में इसका विस्तार से उल्लेख हुआ है कि जहाँ कई देशों की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था इन हालातों से बची हुयी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दूरदर्शी नेता हैं, उन्होंने सन् 2014 से ही अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देते हुये अनेक सराहनीय फैसले लिये, जिनका लाभ देश को मिलना ही है।

भारत द्वारा जून 2022 में मेड इन इंडिया उत्पाद के निर्यात में रिकार्ड कायम किया जाना एक उदाहरण है। निर्यात के आंकड़े निरन्तर वृद्धि पर हैं।

तुलनात्मक दृष्टि से भारत की आर्थिक स्थिति अन्य देशों की तुलना में बेहतर है। लेकिन विपक्षी दल आम जनता को भड़काने से बाज नहीं आते। इतना ही नहीं वे अफवाहें फैलाकर भय पैदा करने की कोशिश करते हैं। जबकि विश्व के तमाम सर्वे अपनी रिपोर्टों में यह दावा कर रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था प्रगति की ओर तेजी से अग्रसर है। भारत ने विविध क्षेत्रों में अपने कीर्तिमान स्थापित किये हैं। देश के आधारभूत ढ़ाँचे में निरन्तर उन्नति हो रही है। सूचना प्रौद्योगिक क्षेत्र में भी भारत अग्रणी है।

अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की वजह से भारत की साख दशकों से बनी हुयी है और आर्थिक मजबूती के कारण और भी दृढ़ हुयी है। प्रधानमंत्री श्री मोदी समग्र मानवता के कल्याण के लिये कोशिश करने का मंतव्य पहले ही जता चुके हैं कि यह युद्ध का समय नहीं है। उन्होंने क्लाईमेंट चेंज से लड़ने में भी ग्लोबल लीडरशिप दिखाई है। उन्होंने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिये बातचीत की अपील की है।

भारत लगातार विकास शील और गरीब देशों की ओर से आवाज उठाता रहा है। भारत की हैसियत इसलिये भी बढ़ी है कि उसने महाशक्तियों की राजनीति से अपने को दूर रखते हुये हमेशा आर्थिक और मानवीय विकास को महत्व दिया है। इस कारण भारत की हैसियत बढ़ी है।

अब जी-20 की अध्यक्षता भारतीय अर्थव्यवस्था को इस उड़ान को विशेष गति प्रदान करेगी। यह गति भारत के अर्थ विकास का नया अध्याय लिखेगी। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल घटनाक्रमों के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी विशेष और श्रेष्ठ क्षमता का प्रदर्शन कर रही है।

किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। सन् 2047 तक दुनिया के तीसरा बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता होगा भारत। 75 वर्ष पहले जब देश आजाद हुआ था, उस समय 1362 मेगावाट बिजली तैयार होती थी। वर्तमान में भारत के पास चैथी सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता है।