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हिन्दू साम्राज्य दिवस….

आज जेष्ठ शुध्द त्रयोदशी. शिवराज्याभिषेक दिवस. आज ही के दिन, ३४७ वर्ष पहले, एक सार्वभौम हिन्दू साम्राज्य की पुनर्स्थापना हुई थी.

किसी व्यक्ति की महत्ता का आकलन करना हो, तो उसकी मृत्यु के पश्चात उसके प्रभाव का मूल्यांकन करना चाहिए. छत्रपति शिवाजी महाराज को मात्र ५० वर्ष की आयु मिली. उसमे भी अधिकांश वर्ष तो युद्धजन्य परिस्थिति रही. किन्तु ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति के बाद भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने क्या निर्माण किया.? एक मजबूत, स्वयंपूर्ण, सुशासित और बलशाली हिंदवी साम्राज्य, जो उनकी मृत्यु के बाद भी १३८ वर्ष, अटक से कटक तक, अखंड हिंदुस्तान के अधिकांश भूभाग पर बना रहा.

और उस जमाने के शक्तिशाली आलमगीर औरंगजेब का इतिहास में क्या योगदान रहा..?

शाला में हमे मुगल राजवंश का इतिहास विस्तार से पढ़ाया गया था. अकबर के बाद जहाँगीर, फिर शाहजहाँ, उसके बाद औरंगजेब. इतना तो हमे याद हैं. पर औरंगजेब के बाद ? किसी मुगल शासक का नाम याद आता हैं ?

आएगा भी नहीं. छब्बीस वर्ष, आलमगीर औरंगजेब को महाराष्ट्र की धरती पर बांधे रख कर, आखिरकार महाराष्ट्र में ही उसकी कबर खोदने के बाद, छत्रपति शिवाजी महाराज के मराठों का असीम शौर्य और जबरदस्त पुरषार्थ ही था, की औरंगजेब के बाद, मुगल वंश लगभग नामशेष हो गया. बाद में तो दिल्ली की सुरक्षा भी मराठों के हाथों में ही थी, इतना दयनीय हो गया था, ये मुगल वंश..! अठारहवी शताब्दी के अंत में, १४ वर्ष तक, लाल किले पर हिंदवी साम्राज्य का भगवा झंडा शान से लहराता था.

इस देश के धर्म को, इस देश की परंपरा को, अस्मिता को अक्षुण्ण बनाएं रखने का काम इस हिंदवी साम्राज्य ने किया हैं. ‘हिन्दू साम्राज्य दिवस’ का इसलिए स्मरण करना आवश्यक हैं..!

लेख़क :- प्रशांत पोळ