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#KashmirFiles फिल्म ने कश्मीरी हिंदुओं की प्रताड़ना की कहानियों को दुनिया के सामने ला दिया

फिल्म ने कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुई भीषण त्रासदी पर अब तक मौन बने हुए लोगों को शब्द दे दिए है और जैसे जैसे उनकी प्रताड़ना की कहानियां सामने आ रही हैं वैसे-वैसे लोकतंत्र, संवैधानिक अधिकार, मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तथाकथित ठेकेदार बेनकाब होते जा रहे हैं।
वैसे तो कश्मीर समस्या के जनक नेहरू जी ही थे और उनके प्रधानमंत्री बनते ही वर्ष 1947 में पाक अधिकृत कश्मीर खासकर मीरपुर में कश्मीरी सिख एवं हिन्दुओं के नरसंहार के बाद भी हिंदु-सिखों के लिए भारतीय कश्मीर में रहना उतना कठिन नहीं रहा जितना राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दिन प्रति दिन होता चला गया। उन्होंने न केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर चल रहे षडयंत्र के इनपुट्स को नजरअंदाज किया बल्कि सुलगते हुए कश्मीर में भी वे कभी कांग्रेस के कश्मीरी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद तो कभी गुलाम मोहम्मद शाह तो कभी फारुख अब्दुल्ला के साथ मिल कर सत्ता की खींचतान में लगे रहे।
1987 में हुए विधानसभा चुनाव को कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने गठबंधन कर लड़ा और मतगणना में तमाम धांधलियों के बाद जीत भी लिया। इस गठबंधन के मुख्यमंत्री बने फारुख अब्दुल्ला। कश्मीर में पैर पसारता आतंकवाद और हिंदुओं के विरुद्ध खुलेआम हिंसक घटनाओं के बावजूद इन्हें केंद्र की राजीव गांधी सरकार का समर्थन जारी रहा।
दिसम्बर 89 में केंद्र सरकार बदली तब जनवरी 1990 में व्हीपी सिंह ने गवर्नर रूल लगाया। पर तब तक राजीव गांधी और फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीरी हिंदुओं के लिए भीषण त्रासदी की पटकथा लिख दी थी। हालांकि गवर्नर जगमोहन मल्होत्रा के तमाम प्रयासों के बावजूद इन कश्मीरी हिंदुओं की मुसीबत कम नहीं हुई, 1987 से 90 के दौर में प्रारम्भ हुई यह त्रासदी कश्मीर से हिंदुओं के पूरी तरह पलायन होने तक चलती रही।
आज कांग्रेसी इन तमाम घटनाओं के लिए जगमोहन और भाजपा पर ठीकरा फोड़ने का लाख प्रयास कर ले पर 1947 से लेकर 1989 के दौर में भारत के सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति पद पर निर्बाध रूप से काबिज रही कांग्रेस अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती। #KashmirFiles फिल्म ने कश्मीरी हिंदुओं की प्रताड़ना की कहानियों को दुनिया के सामने ला दिया तो तो वहीं इस पलायन के लिए कश्मीरी हिंदुओं को ही दोषी बताने वाला कांग्रेसी इकोसिस्टम को भी उजागर कर दिया है।
लेखक:- विवेक अग्निहोत्री

Vivek Agnihotri, profile picture