केरल पर वामपंथी कलंक
केरल में वामपंथी सरकार में गहरी पैठ रखने वाली स्वप्ना सुरेश करोड़ों रुपये की सोने की तस्करी में पकड़ी गई है। यह वही स्वप्ना है, जिससे मिलने के लिए राज्य सरकार के प्रभावशाली नौकरशाह और मंत्री कतार में खड़े होते थे। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन तो अक्सर उसके घर से निकलते देखे जाते थे।
भारत का हृदय यानी कश्मीर एक बार फिर स्वर्ग बन रहा है तो अब राष्ट्रविरोधी ताकतों ने केरल में सिर उठाना शुरू कर दिया है। भगवान का घर कहे जाने वाले इस राज्य में आईएसआईएस के आतंकियों को पनाह दी जा रही है। प्रदेश की वामपंथी सरकार में गहरी पैठ रखने वाली स्वप्ना सुरेश करोड़ों रुपये की सोने की तस्करी में पकड़ी गई है। यही वही स्वप्ना है, जिससे मिलने के लिए राज्य सरकार के प्रभावशाली नौकरशाह और मंत्री कतार में खड़े होते थे। ‘डील वुमन’ के नाम से कुख्यात स्वप्ना राज्य मंत्रालयों में बेरोकटोक जाती थी।
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के प्रधान सचिव व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एम. शिवशंकर तो अक्सर उसके घर से निकलते देखे जाते थे। मुख्यमंत्री के साथ भी स्वप्ना की तस्वीरें हैं। फजीहत होने के बाद शिवशंकर को तो पद से हटा दिया गया है, मगर इस मामले ने पूरी विजयन सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार को जवाब देते नहीं बन रहा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की शुरुआती जांच में ही स्वप्ना के कारनामों और राज्य के शीर्ष अधिकारियों से संरक्षण के प्रमाण मिले हैं। लिहाजा, जांच की आंच विजयन के दरवाजे तक भी पहुंचती नजर आ रही है।
अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की साजिश
सोने की तस्करी मामले में जांच एजेंसी एनआईए ने स्वप्ना सुरेश और उसके साथी संदीप नायर के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया है। एनआईए का कहना है कि स्वप्ना, संदीप और उनके साथी अपराधियों के निशाने पर भारत की अर्थव्यवस्था थी। बड़े पैमाने पर विदेशों से सोने की तस्करी कर उनका गिरोह देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने में लगा हुआ था। एनआईए ने अपनी जांच रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है। इसमें यह आशंका जताई गई है कि तस्करी से जो धन प्राप्त हुआ, उससे स्वप्ना और उसके साथियों ने आतंकियों की मदद की। इस गिरोह ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राजनयिक के सामान का इस्तेमाल अवैध कारोबार के लिए किया। अगर यह गिरोह पकड़ा नहीं जाता तो सोने की तस्करी को लेकर भारत और यूएई के राजनयिक संबंधों पर असर पड़ सकता था।
घेरे में केरल सरकार
सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने 5 जुलाई को तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 30 किलो सोना बरामद किया था। सोना यूएई वाणिज्य दूतावास के लिए आए बैगों में छिपाकर लाया गया था। इस मामले में वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी सारिथ भी पकड़ा गया था। जब सीमा शुल्क अधिकारी पूछताछ के लिए कोच्चि ले जा रहे थे, तब उसने अधिकारियों को धमकी भी दी थी।
बताया जाता है कि सारिथ की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक शीर्ष अधिकारी ने हवाई अड्डे पर उसे बचाने भी पूरी कोशिश की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जांच में स्वप्ना सुरेश और उसके साथियों का नाम सामने आया तो केरल की राजनीति गरमा गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल जांच का जिम्मा एनआईए को सौंप दिया। शुरुआती जांच में ही स्वप्ना सुरेश के साथ कई ऐसे चेहरे बेपर्दा हो गए, जिनका रुतबा राज्य सरकार में चलता था।
एनआईए ने केरल उच्च न्यायालय को बताया है कि राजनयिक के सामान के जरिए सोने की तस्करी में शामिल स्वप्ना सुरेश, आर. सारिथ, फाजिल फरीद, संदीप नायर व अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। एनआईए इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश, संदीप नायर सहित 15 लोगों पर शिकंजा कस चुकी है और कई और चेहरों की तलाश में है। स्वप्ना की नजदीकियां सत्तारूढ़ वामपंथी नेताओं के साथ राज्य में तैनात अफसरों से रही हैं। कई मौकों पर वह मुख्यमंत्री के आसपास भी देखी जाती रही है। इस कारण पिनरई सरकार सवालों के घेरे में है।
हालांकि स्वप्ना से नजदीकी का खुलासा होने के बाद सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी सचिव पद पर तैनात सबसे प्रभावशाली नौकरशाह शिवशंकर को पद से जरूर हटा दिया है, पर इससे सरकार की किरकिरी कम न हो रही। राज्य के आईटी विभाग से जुड़ी फर्म में सलाहकार के तौर पर काम करने वाली स्वप्ना को लेकर लगातार राज खुल रहे हैं। आरोप है कि उसने सीमा शुल्क अधिकारियों से राजनयिक के बैग के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी, जिसमें सोना छिपाकर लाया गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पूरे मामले को रफा-दफा करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे थे, यह जानकारी भी सामने आई है।
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, स्वप्ना से पूछताछ में पता चला है कि कई मंत्रियों और नौकरशाहों से उसके संबंध हैं। उसके मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआर) से पता चला है कि वह राज्य के उच्च शिक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के.टी. जलील के भी संपर्क में थी। जब तक इस गिरोह का पर्दाफाश होता, तब तक स्वप्ना और संदीप नायर विदेश से 150 किलो से अधिक सोने की तस्करी कर चुके थे। संदेह यह भी है कि तस्करी से जुटाई गई रकम में से अधिकांश आतंकी गतिविधियों में खर्च की गई।
स्वप्ना के घर मंत्री-नौकरशाह की आवाजाही
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केरल सरकार में गहरी जड़ें जमा चुकी स्वप्ना का रसूख इतना बढ़ गया था कि मंत्री और नौकरशाह मिलने के लिए उसके आवास पर अक्सर पहुंचते थे। उनमें मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव एम. शिवशंकर का नाम सबसे ऊपर है। शिवशंकर से इस मामले में सीमा शुल्क अधिकारियों ने पूछताछ भी की है। बताया जाता है कि सचिवालय के पास स्थित एक फ्लैट में स्वप्ना अपनी गोपनीय रणनीति बनाती थी। आशंका है कि इसी फ्लैट में तस्करी का सोना छिपाया जाता था। तस्करों के साथ तमाम वीआईपी इस फ्लैट में आते-जाते थे। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिवशंकर की मौजूदगी इस फ्लैट में मौजूदगी काफी रहती थी।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि स्वप्ना और सारिथ, दोनों एक समय यूएई वाणिज्य दूतावास में कर्मचारी थे। लेकिन दोनों ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। वहां काम करने के दौरान ही उन्हें हवाईअड्डे पर राजनयिक सामान के आने-जाने के बारे में पता चला था। बाद में दोनों संदीप के साथ मिलकर सोने की तस्करी में हाथ आजमाने लगे। स्वप्ना के वीआईपी संपर्कों ने उनकी अपराध की राह आसान कर दी। जुलाई 2019 के बाद गिरोह ने 150 किलो से अधिक सोने की तस्करी का खुलासा जांच में हुआ है।
ऐसे बनी ‘डील वुमन’
जांच एजेंसी के मुताबिक, स्वप्ना सुरेश का जन्म यूएई के अबू धाबी में हुआ था। वहीं से उसने पढ़ाई की। शुरुआत में उसने हवाईअड्डे पर नौकरी की। उसने शादी भी की, लेकिन जल्दी ही उसका तलाक हो गया था। फिर वह बेटी के साथ तिरुवनंतपुरम आ गई। दो साल तक उसने तिरुवनंतपुरम की एक ट्रेवल एजेंसी में काम किया। 2013 में उसने एयर इंडिया एसएटीएस में नौकरी हासिल कर ली। 2016 में जब धोखाधड़ी के एक मामले में अपराध शाखा ने उसकी जांच शुरू की तो वह वापस अबू धाबी भाग गई। वहां यूएई वाणिज्य दूतावास में सचिव बन गई। पिछले साल उसने यह नौकरी भी छोड़ दी।
हालांकि जांच एजेंसियों का दावा है कि स्वप्ना को नौकरी से निकाला गया था। जब वह एयर इंडिया एसएटीएस में प्रशिक्षक थी तब अधिकारी को झूठे मामले में फंसाने का आरोप भी लगा था। उसके बाद अपने उच्च संपर्कों की बदौलत उसने केरल आईटी विभाग में नियुक्त हो गई। यूएई वाणिज्य दूतावास में नौकरी मिलने के बाद तो जैसे वह उड़ान भरने लगी थी। उसने जल्दी ही शीर्ष लोगों से दोस्ती गांठ ली। बड़े-बड़े होटलों में केरल के रसूखदार लोगों की होने वाली पार्टियों में आने का न्योता उसे जरूर मिलता था। वह अरबी समेत कई भाषाएं जानती है। इसलिए केरल आने वाले अरब के नेताओं की टीम में भी शामिल होती थी।
इतना ही नहीं, अभिनेत्री शामना खान जबरन वसूली मामले में जब पुलिस ने पूछताछ की तो एक महिला का नाम सामने आया था। ‘डील वुमन’ के नाम से मशहूर उस महिला के बारे में अहम जानकारी मिलने के बाद सीमा शुल्क अधिकारियों की टीम करोड़ों रुपये का सोना राजनियक सामान से बरामद किया था। सुरक्षा एजेंसियों को लगतार जानकारी मिल रही थी कि सोना तस्करी करने वाला गिरोह मॉडल्स और अभिनेत्रियों के जरिए तस्करी में जुटा है। छानबीन में यह बात भी सामने आई कि स्वप्ना सुरेश ही ‘डील वुमन’ है। उसके गिरोह का कोई भी सदस्य अगर कहीं फंस जाता था तो वही उन्हें बचाने का रास्ता निकालती थी।
केरल सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एम. शिवशंकर पर आरोप है कि उन्होंने ही उसे आईटी विभाग में नौकरी दिलाई थी। शिवशंकर मुख्यमंत्री के भी सचिव थे। वह स्वप्ना के साथ अक्सर देखे जाते थे। स्वप्ना की कारगुजारी सामने आने के बाद जब राजनैतिक बवंडर उठा तो राज्य सरकार को उसे आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (केएसआईटीएल) से बर्खास्त करना पड़ा। शिवशंकर को भी मुख्यमंत्री के सचिव पद से हटा दिया गया है। खास बात यह है कि सोना तस्करी काम मामला हाथ में लेने के 24 घंटे के भीतर ही एनआईए ने स्वप्ना और उसके साथी का पता लगा लिया। उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद टीम ने बेंगलुरु से दोनों को गिरफ्तार किया। स्वप्ना के आका अब भी उसे बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यही कारण है कि स्वप्ना ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि उसे और उसके साथियों को राहत मिलने की उम्मीद कम ही है।
पिनरई विजयन की सफाई
विपक्ष के आरोपों पर पिनरई विजयन सफाई दे रहे हैं कि आरोपी महिला अधिकारी की नियुक्ति कैसे हुई, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के साथ कभी कोई संवाद नहीं किया। वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं।
यूएई कर रहा जांच में मदद: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि सोना तस्करी मामले की यूएई दूतावास को तत्काल जानकारी दे दी गई थी। उसने जांच में हर संभव मदद का भरोसा दिया है। इतना ही नहीं, यूएई ने भी अपने स्तर से सोना तस्करी की जांच शुरू कर दी है। एनआईए भी तेजी से कार्रवाई जुटी है। सूत्रों के मुताबिक, अभी तक मिले सुराग बेहद अहम हैं। आगे इस मामले में और भी लोग कार्रवाई के दायरे में लाए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री पर इस्तीफे का दबाव
राज्य सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदरियां संभालने वाले अफसरशाह और मंत्रियों से स्व्ाप्ना के संबंध उजागर होने के बाद विजयन सरकार दबाव में है। भाजपा समेत सभी विपक्षी दल लगातार सरकार पर जोरदार हमला कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इसके लिए राज्यव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने कहा कि तस्करों की मदद करने के आरोपी पूर्व प्रधान सचिव को बचाने की कोशिश करने वाले मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
राज्य भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन ने कहा कि विजयन जनता को मूर्ख बना रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता बी. गोपालकृष्णन का कहना है कि कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने विदेशी दूतावास में नौकरी के लिए स्वप्ना के नाम की अनुशंसा की थी। भाजपा का यह भी आरोप है कि राज्य के आयकर विभाग की महिला (वाणिज्य दूतावास की एक पूर्व कर्मचारी) राजनयिक बैग से 30 किलो सोने की तस्करी में शामिल पाई गई है।
आयकर विभाग मुख्यमंत्री के पास है और उसके अगुआ विजयन के प्रधान सचिव एम. शिवशंकर थे। विपक्षी दलों का आरोप है कि मुख्यमंत्री कार्यालय ‘अपराधियों का अड्डा’ बन गया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने तो यह तक कहा है कि सीमाशुल्क अधिकारियों द्वारा तस्करी का सोना पकड़े जाने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था।हालांकि विजयन अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर केवल इतना कह रहे हैं कि वह जांच का सामना करने को तैयार हैं।
केरल में आईएसआईएस के आतंकी : संयुक्त राष्ट्र
सोने की तस्करी के खुलासे के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सिरदर्दी बढ़ा दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केरल और कर्नाटक में आईएसआईएस आतंकवादियों की संख्या ज्यादा हो सकती है। कुख्यात आतंकी संगठन भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में बड़े हमले की साजिश रच रहा है। आईएसआईएस, अल-कायदा समेत अन्य आतंकी संगठनों से संबंधित विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल की 26वीं रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) तालिबान के तहत अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंद और कंधार प्रांतों से अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा है। संगठन में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान से 150 से 200 के बीच आतंकी हैं। एक्यूआईएस का मौजूदा सरगना ओसामा महमूद है, जिसने मारे गए आसिम उमर की जगह ली है।
मीडिया खबरों के मुताबिक, एक्यूआईएस अपने पूर्व आका की मौत का बदला लेने के लिए क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई की साजिश रच रहा है। एक सदस्य राष्ट्र ने जानकारी साझा की है कि 10 मई, 2019 को घोषित आईएसआईएल के भारतीय सहयोगी (हिंद विलायाह) के पास 180 से 200 आतंकी हैं। केरल में आईएसआईएस आतंकियों की अच्छी-खासी संख्या है। पिछले साल इस्लामिक स्टेट आतंकी ग्रुप ने भारत में नया ‘प्रांत’ स्थापित करने का दावा तक किया था। कश्मीर में आतंकवादियों के लगातार होते सफाए के बीच यह घोषणा बेहद चिंताजनक थी। खूंखार आतंकवादी संगठन ने एक एजेंसी के जरिए कहा कि नई शाखा का अरबी नाम ‘विलायाह ऑफ हिंद’ है। इससे पहले कश्मीर में आईएसआईएस के हमलों को इसके तथाकथित खुरासान प्रांतीय शाखा से जोड़ा जाता रहा है, जिसका गठन 2015 में हुआ था।
वामपंथी हिंसा का इतिहास पुराना
प्राकृतिक संपदा से सम्पन्न केरल लंबे समय से लाल आतंक के साए में है। रा.स्व.संघ और भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं पर सुनियोजित तरीके से लगातार हमले किए जा रहे हैं। राज्य में वामपंथी हिंसा की खूनी कहानी किसी से छिपी नहीं है। पिछले कुछ समय से हिंसक घटनाओं में इजाफा हुआ है। खासकर जब से माकपा सत्ता में आई है, तब से राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े निर्दोष लोगों और उनके परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। रा.स्व.संघ और भाजपा का कहना है कि प्रदेश में मार्क्सवादी हिंसा को मुख्यमंत्री पी. विजयन का संरक्षण प्राप्त है।
राज्य सरकार अपराधियों को बचाती नजर आती है। तमाम घटनाओं में माकपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की संलिप्तता उजागर हो चुकी है, मगर उनके खिलाफ जानबूझकर सरकार सख्त कदम नहीं उठा रही है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ही नहीं, समूची माकपा सरकार संदेह के घेरे में है। भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं की हत्या व हमले की घटनाओं के विरोध को लेकर दिल्ली में व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं।
जंतर-मंतर पर धरने में संघ के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार के अलावा दिल्ली और केरल प्रांत के संघ के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे। भाजपा के तत्कालीन दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा, मीनाक्षी लेखी और राष्ट्रीय उलेमा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना मुर्तजा ने भी प्रदर्शन में भाग लेकर केरल के बिगड़ते हालात पर रोष जताया था। उस समय केरल सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग जोरशोर से उठी थी।
भाजपा-संघ कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे हमले
मौजूदा मुख्यमंत्री पिनरई विजयन खुद भी संघ कार्यकर्ता की हत्या के आरोपी रहे हैं। 28 अप्रैल, 1969 को संघ के स्वयंसेवक वडिक्कल रामकृष्णन की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप वामपंथियों पर लगा था, जिसमें पिनरई विजयन का नाम भी शामिल था। कन्नूर मुख्यमंत्री विजयन का गृह जिला है, जहां राजनैतिक हिंसा की काफी घटनाएं दर्ज हुई हैं। केरल में इस तरह के मामले आजादी के बाद लगातार सामने आए हैं।
अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने संघ पर सबसे पहला बड़ा हमला 1948 में किया था। संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी स्वयंसेवकों की बैठक को संबोधित कर रहे थे, तभी वामपंथियों ने भीड़ की शक्ल में हमला किया था। इसके बाद 1952 में भी श्रीगुरुजी जब अलप्पुझा में बैठक कर रहे थे तो उन्हें चोट पहुंचाने की कोशिश की गई थी। 1969 में त्रिशूर के श्री केरल वर्मा कॉलेज में स्वामी चिन्मयानंदजी युवाओं को संबोधित करने पहुंचे थे तो वामपंथी गुंडों ने उस समय भी सुनियोजित हमला किया था। स्वयंसेवकों ने बहुत मुश्किल से स्वामीजी को वहां से सुरक्षित निकाला था।
1970 में एर्नाकुलम जिले के परूर में माकपा हमलावरों ने संघ के पूर्व प्रचारक वेलियाथनादु चंद्रन की हत्या कर दी। 1973 में त्रिशूर जिले के नलेन्करा में मंडल कार्यवाह शंकरनारायण, 1974 में कोच्चि में संघ के मंडल कार्यवाह सुधींद्रन, 1978 में कन्नूर के तलासेरी में एक शाखा के मुख्य शिक्षक चंद्रन और एक छात्र सहित कई कार्यकर्ताओं की हत्या माकपा के गुंडों ने की।
1980 में अभाविप के कार्यकर्ता गंगाधरन और भाजपा के गोपालकृष्णन, 1981 में खंड कार्यवाह करिमबिल सतीशन, 1982 में कुट्टनाडु में खंड कार्यवाह विश्वम्भरम् और 1986 में कन्नूर जिले के भाजपा सचिव पन्नयनूर चंद्रन की हत्या पुलिस रिकार्ड में दर्ज है। 1984 में कन्नूर के जिला सह कार्यवाह सदानंद मास्टर की घुटनों के नीचे दोनों टांगे काट दी गई थीं। पिछले ढाई दशक में केरल में हिंसा की घटनाएं और ज्यादा बढ़ी हैं। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देश में सबसे पहले पिनरई विजयन ने ही प्रस्ताव पारित किया था।
लेखकःअनुरोध भारद्वाज