यादों में आपातकाल – तीन राहुकाल से लोकतंत्र के निकलने की शेषकथा!
"इमरजेन्सी के कंलक के काले धब्बे इतने गहरे हैं कि भारत में जबतक लोकतंत्र जिंदा बचा रहेगा तब-तक वे बिजुरके...
"इमरजेन्सी के कंलक के काले धब्बे इतने गहरे हैं कि भारत में जबतक लोकतंत्र जिंदा बचा रहेगा तब-तक वे बिजुरके...
स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी की आपातकाल (emergency) के दौरान कारावास में लिखी गई एक कविता हैं – ‘टूट सकते...
कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा इंदिरा इज इंडिया गली कूँचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी...