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हर सुधार का विरोध करके देश को कहां ले जाना चाहते हैं l

भारतीय सेना के अग्निपथ योजना को लेकर जिस तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, विरोध प्रदर्शन ही नहीं, आगजनी, हिंसा, ट्रेनें जलाई जा रही है, बसें जलाई जा रही हैं, निजी गाड़ियां जलाई जा रही है हमला हो रहा है पुलिस वालों पर, पुलिस थानों पर, आम लोगों को परेशानी हो रही है और देश की संपत्ति का इतना बड़ा नुकसान हो रहा है और वह कौन कर रहा है?

जो दावा कर रहे हैं कि वह भारतीय फौज में जाना चाहते हैं, देश की रक्षा करना चाहते हैंl जो देश की रक्षा करना चाहते हैं वह देश पर आग नहीं लगाते, आग बुझाने का काम करते हैं तो जो आग लगाए राष्ट्रभक्त नहीं हो सकता, जो आग लगाता है वह फौजी नहीं हो सकता l और कुछ भी हो सकता है आपकी कितनी भी बड़ी शिकायत हो, आपकी शिकायत कितनी भी वाजिब हो, आपकी परेशानी कितनी भी सही हो लेकिन आपको राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं मिलता, लोगों का जीवन खतरे में डालने का आपको अधिकार नहीं मिलताl

जो लोग कर रहे हैं उनसे करवा कौन रहा है, सवाल इसका है? सवाल इसका है किन लोगों ने इनको इस स्थिति में पहुंचाया है कि वह भूल गए हैं कि वह अपना भला कर रहे हैं या बुरा कर रहे हैंl

अगर आप किसी सरकारी नौकरी के इच्छुक हैं बल्कि निजी नौकरी के भी इच्छुक हैं आप जो यह दंगा फसाद आगजनी कर रहे हैं इसके बाद पुलिस आपके खिलाफ f.i.r. करेंगी और उस f.i.r. होने के बाद आपको कहीं नौकरी नहीं मिलने वाली जिस नौकरी के लिए आप यह तांडव कर रहे हैं उस नौकरी के मिलने का रास्ता आप खुद ही बंद कर रहे हैं तो यह बात स्पष्ट हो जाती है यह वह लोग नहीं है जिनको नौकरी चाहिए है, यह वह लोग नहीं है जो भारतीय सेना में जाकर देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार है यह वह लोग नहीं है जो अपने देश से प्रेम करते हैं यह वह लोग नहीं है जो अपने देश को आगे ले जाना चाहते हैंl यह देश को पीछे ले जाने वाले लोग है इनका इस्तेमाल हो रहा है या खुद कर रहे हैं मुझे नहीं मालूम लेकिन जो ट्रेंड है उससे यह लगता है कि इनका इस्तेमाल हो रहा है जो कुछ हो रहा है वह इस बात की कोशिश इस बात का संकेत, इस बात का प्रमाण भी है कि इस देश में जो भी अच्छा करने की कोशिश होगी उसका विरोध होगा जो भी सुधार का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा उसका विरोध होगा जो भी लोगों के व्यापक हित के लिए काम शुरू होगा उसका विरोध करना है l

इनको कहां से समर्थन मिल रहा है, इनको कौन उकसा रहा है, इनके पीछे कौन खड़ा है इनके पीछे का जो हाथ है उसकी पहचान जरूरी है और उस हाथ को निष्क्रिय करना जरूरी है क्योंकि बात यह नहीं है कि योजना घोषित की डिफेंस मिनिस्ट्री ने और उसके बाद उसका विरोध शुरू हो गया जिस तरह से घोषणा होते ही विरोध शुरू हुआ ऐसा लगा कि जैसे विरोध करने के लिए तैयार बैठे थे कि घोषणा हो और विरोध करना है वरना इस तरह का विरोध योजनाबद्ध लगता है l

यह आयोजित सुनियोजित लगता है ऐसा मै इसलिए कह रहा हूं क्योंकि किसी को जो मेरी पीढ़ी के हैं मेरी पीढ़ी से पहले के है या मेरी बाद की पीढ़ी के लोग हैं, युवा है जो अभी 17 अट्ठारह 20 साल के लोग हैं जो देख रहे हैं उनको अगर बताने वाले हैं तो आप मुझे बताइए बेरोजगारी के खिलाफ इस देश में कब आंदोलन हुआ था मुझे तो याद नहीं है जे पी का जो आंदोलन हुआ था भ्रष्टाचार के लिए था उसके अलावा अयोध्या के लिए आंदोलन, मंडल के लिए आंदोलन हुआ,अन्ना हजारे का जो आंदोलन था वह भ्रष्टाचार के खिलाफ था l बेरोजगारी के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं हुआ बेरोजगार लोग क्यों आंदोलन कर रहे हैं और टाइमिंग देखिए इस पर आप जरूर ध्यान दीजिए कि किस समय पर यह आंदोलन शुरू किया गया है, यह आंदोलन नहीं मैं इसको हिंसा कहता हूं आंदोलन होता है शांतिपूर्ण तरीके से l

आपके देश में संविधान लागू है, संविधान ने आपको बड़ी ताकत दी है विरोध प्रदर्शन करने का, अपनी बात को मनवाने का, अपनी बात के विरोध में खड़े होने का, इन सब का अधिकार दिया है लेकिन संविधान ने आपको ट्रेनें जलाने का अधिकार नहीं दिया है, लोगों की जिंदगी खतरे में डालने का अधिकार नहीं दिया है l

दरभंगा में पथराव के बीच में स्कूली बच्चों की एक बस फस गई, स्कूली बच्चे बिलख कर रो रहे हैं l उसका वीडियो वायरल हो रहा है उससे क्या संदेश जा रहा है आपके बारे में, जो लोग यह कर रहे हैं जरा 2 मिनट बैठ कर यह सोचे कि वह इन बिलखत बच्चों के जरिए जो संदेश लोगों तक पहुंच रहा है क्या संदेश पहुंच रहा है उनके बारे में क्या धारणा बन रही है l इसकी क्रोनोलॉजी देखिए आप क्या हो रहा है पिछले 2 साल से l

सी ए ए के विरुद्ध आंदोलन शुरू हुआ, शाहीन बाग किस लिए हुआ 1 साल तक रास्ता रोक कर रखा गया, लोगों को परेशानी हुई l तथाकथित किसान आंदोलन किसका फायदा हुआ, आंदोलन का हल क्या निकला किसान को क्या मिला और लोगों का नुकसान हुआ उसका क्या हुआ, देश का लाखों रुपए का नुकसान हुआ उसका जिम्मेदार कौन है l

किसान कानून तो किसानों के हित में और देश के हित में थे फिर भी परिस्थिति ऐसी बनाई गई की सरकार को किसान कानून वापस लेना पड़ा उसी आंदोलन के दौरान लाल किले पर जो कुछ हुआ 26 जनवरी को जो कुछ हुआ वह हिंसा का तांडव नहीं तो और क्या कहलायेगा l

उसके बाद देखिए हिंदुओं के त्योहारों पर निकलने वाले जुलूस के ऊपर हमला, कोई समुदाय अपना त्यौहार मना रहा है, तो आपको क्या समस्या है उस पर हमला हुआ l उसके बाद कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब को लेकर एक अनावश्यक कंट्रोवर्सी खड़ी की गई एक पहनावे को लेकर उसको धर्म से जोड़ दिया गया और धर्म का अस्तित्व का मुद्दा बनाकर उस पर आंदोलन, हिंसा हुई l

उसके बाद नूपुर शर्मा के बयान के बहाने पत्थरबाजी आगजनी पेट्रोल बम फेंके गए यह सब कुछ हुआ ,कब हुआ जुम्मे की नमाज के बाद l मस्जिदों से निकले तो हाथों में पत्थर हाथों में पेट्रोल बम और इसकी तैयारी लंबे समय से की जा रही थी इसके लिए पैसा आ रहा था, इसमें पीएफआई जैसे संगठन इंवॉल्व हैं दूसरे कई संगठन इसमें शामिल है, पत्थरबाजों को पैसे दिए जा रहे थे छोटे बच्चों को बिरयानी की लालच में पत्थर फेंकवाएं जा रहे थे और अब यह अग्निपथ को लेकर जो योजना किसी के नुकसान की नहीं है l

उन युवाओं के फायदे की है जिनको आमतौर पर कोई रोजगार मिलने की कोई संभावना नहीं है, बेरोजगारी का आलम यह है और उसकी वजह है, यह इसलिए क्योंकि यह एम्पलाईेबल है, सरकार इनको एम्पलाईेबल बना रही है और यह कह रहे हैं कि हमें नहीं बननाlआप यह तय नहीं कर सकते हैं कि सेना में भर्ती कैसे होगी कितने लोगों की होगीl

आखिर वह कौन लोग हैं जो इस हिंसा के पीछे हैं यह हिंसा कौन करा रहा है यह वही लोग हैं जो नहीं चाहते कि भारत विकास के रास्ते में आगे बढ़े ,जो नहीं चाहते कि भारत का कद दुनिया में आगे बढ़े जिन्हें भारत की प्रगति से समस्या है इसमें देश के अंदर के लोग भी हैं देश के बाहर के लोग भी हैं l

इनको देश के नुकसान की कोई चिंता नहीं है, उसमें काफी ऐसे लोगों की संख्या है जो बीजेपी के सिंपैथाइजर्स है उनको लग रहा है कि हम इनकी वोट बैंक पर असर पड़ेगा तो मोदी हारेगा, मोदी कमजोर होगा इसलिए उसको बढ़ाओ इसको और और आगे ले जाओ कोई आगे बढ़कर कोई राजनीतिक दल कोई राजनेता यह नहीं कह रहा है, इन बच्चों से जो तुम कर रहे हो अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हो,तुम सेना तो छोड़ो कहीं होमगार्ड में भी भर्ती होने के लायक नहीं रह जाओगे जो यह कर रहे हो इससे तुम्हें कोई नौकरी नहीं मिलने वाली है यह तुम्हें परमानेंट बेरोजगारी का सर्टिफिकेट देने वाला आंदोलन है तो तय कर लो आजीवन बेरोजगार रहना है या रोजगार का जो अवसर मिल रहा है उसका लाभ उठाना है l

दरअसल इस योजना से बहुत से लोगों के पेट में दर्द हो रहा है, इस बात की चिंता है कि अगले कुछ सालों में इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्रवादी राष्ट्र के प्रति समर्पित युवकों की एक बड़ी संख्या होगी, जो देश के प्रति देश की रक्षा के लिए देश के सम्मान के लिए झुकने को तैयार नहीं होंगे जो स्वाभिमानी होंगे, फिर यदि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने, ऐसे युवकों की संख्या बढ़ने लगी तो इनको पत्थर चलाने के लिए फिर कौन मिलेगा, इनको रेलवे की संपत्ति में फिर आग लगाने को कौन मिलेगा इनको थाने पूछने के लिए फिर कौन मिलेगा इनको पुलिस पर हमला करने के लिए कौन मिलेगा और पेट में दर्द ऐसी कोचिंग संस्थानों को भी हो रहा है जिनकी आय कम होने वाली है उनकी दुकान बंद होने वाली है l

मुश्किल यह है कि सरकार के पास इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता नहीं है सरकार के पास इससे निपटने की इच्छा शक्ति भी है यह भी साफ दिखाई नहीं दे रहा है सरकार इससे निपटने के लिए कुछ करने जा रही है यह भी अभी तक तो दिखाई नहीं दे रहा है तो आप मान कर चलिए यह सिलसिला चलता रहेगा आज अग्निपथ है कल कोई और मुद्दा जाएगा ऐसे मुद्दों को लगातार चलाया जाएगा 2024 तक लोकसभा चुनाव तक इन सभी घटनाओं का केवल एक ही मुद्दा है 2024 का लोकसभा चुनाव l तो यह अब तू यह अब तो यह अब तो यह अब हमारे और आप पर निर्भर हैं कि हम इसको किस तरह से लेते हैं और इसका जवाब किस तरह से देते हैं l

लेख़क – अमित गर्ग
संपर्क सूत्र – 9098045215