Trending Now

गणेश उत्सव का इतिहास…

गणेश उत्सव का इतिहास…

पूरे भारत भर में ही नहीं दुनिया में गणेश उत्सव की धूम है हालांकि इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के चलते सभी लोग अपने घर पर ही भगवान गणेश जी की पूजा आराधना कर रहे हैं लेकिन आप सभी को जानकर यह आश्चर्य होगा कि जिस गणेश उत्सव को हम बड़े ही धूमधाम से मनाया करते हैं।

एवं इसे एक धार्मिक आयोजन मानते हैं आजादी के आंदोलन में भी गणेश उत्सव का बहुत बड़ा योगदान है । वर्ष 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के असफल होने के बाद अंग्रेज ज्यादा सतर्क हो गए थे दोबारा इस प्रकार की घटना ना हो उसे हेतु अंग्रेज समय-समय पर प्रतिबंध लगाया करते थे ताकि लोग एकत्र ना हो।

वर्ष 1894 में ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक एकत्रीकरण कार्यक्रम एवं रैलियों पर रोक लगा दी थी ।जिसके कारण स्वतंत्रता संग्राम में लगे राजनेता क्रांतिकारियों के मध्य किसी प्रकार की सामूहिक चर्चा एकत्रीकरण कार्यक्रम नहीं हो पा रहे थे ना बैठक हो पा रही थी।

जिससे विचारों का आदान-प्रदान हो सके एवं उनके आंदोलन को जन आंदोलन बनाने के लिए गति मिल सके तब महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने यह विचार किया कि क्यों ना आगामी गणेश चतुर्थी के समय से 10 दिन तक सामूहिक गणेश उत्सव का कार्यक्रम किया जाए ।

जिसके दो महत्वपूर्ण कार्य हो जाएंगे पहला क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आपस में मिल पाएंगे जिससे कि उनके विचारों का आदान प्रदान किया जा सकेगा ।

दूसरा समाज में जातिगत विषमता आ गई थी उसे दूर करने के लिए समरसता का संदेश देने के लिए गणेश उत्सव प्रारंभ हुआ।सभी जाति वर्गों के लोग इसमें भाग ले सकते थे।बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव को उस समय की ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एक जनमाध्यम बनाया था।

उस समय गणेश उत्सव में नाटकों, गीत, संगीत संबोधन के माध्यम से संदेश देकर लोगों को अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध आंदोलित किया जाता था ।अंग्रेजों के विरुद्ध देशभक्ति गीतों के जरिए लोगों के मन में स्वतंत्रता आंदोलन का अलख भी जगाया जनमानस को राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए 1896 आते-आते गणेश उत्सव राष्ट्रीय उत्सव बन गया था ।

श्री बाल गंगाधर तिलक जी का मानना था कि उस समय सभी आम जनों का अंग्रेजी साम्राज्यवाद के आतंक के कारण खुलकर राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना कठिन था ।अतः सामाजिक और धार्मिक पर्वों के अवसर पर एकत्र होकर स्वतंत्रता की अलख जगाने का कार्य किया जा रहा था।

एक तरह से गणेश उत्सव आजादी के आंदोलन में रणनीति बनाने में प्रभावी सिद्ध हुआ और धार्मिक कार्यक्रम को राष्ट्रीय अभियान के रूप में भी जाना जाता है तिलक के गणेशोत्सव ने ऐसी धूम मचाई के अंग्रेजी डर गए थे ।

गणेश उत्सव का धार्मिक और देशभक्ति दोनों में बड़ा योगदान रहा ।
गणेश उत्सव को बड़ा रूप देकर देश में आज कोई बड़ा छोटा नगर कस्बा या गांव नहीं जिसमें सभी जातियों के सहयोग से यह उत्सव मनाया जाता है।