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वैश्विक गणेश नोट पर गणेश भगवान का चित्र छापने वाला एकमात्र देश…!

वैश्विक गणेश / 9

नोट पर गणेश भगवान का चित्र छापने वाला एकमात्र देश…!

पूरे विश्व में 20,000 रुपये की नोट पर गणेश भगवान का चित्र छापने वाला एकमात्र देश हैं – इंडोनेशिया. विश्व का सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या का देश…! मंदिरों का देश. हिंदु संस्कृति और सभ्यता का देश. अपने अतीत को गर्व के साथ व्यक्त करने वाला देश…!!

यव द्वीप और सुवर्ण द्वीप. याने जावा – सुमात्रा. अर्थात आज का इंडोनेशिया. किसी जमाने का अत्यंत समृध्द और वैभवशाली राष्ट्र. यहाँ तक कि रामायण और ब्रह्मपुराण में भी यवद्वीप और सुवर्ण द्वीप के उल्लेख मिलते है. यहाँ भारतीय वंश के लोग कब पहुँचे, इसका कोई सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

परन्तु कई हजार वर्षों से यहाँ पर हिन्दू संस्कृति का प्रादुर्भाव है, यह निश्चित है. जावा के लोगों की मान्यता है कि भारत से आए हुए ‘आजिशक’ नामक पराक्रमी योद्धा ने यहाँ से स्थानीय राक्षसों के देवता माने जाने वाले राजा का वध करके, यहाँ पर सामर्थ्यशाली राजवंश का निर्माण किया था।

जैसे जावा, वैसे ही सुमात्रा. यह क्षेत्र प्राचीन काल में सुवर्णद्वीप अथवा सुवर्णभूमि के नाम से प्रसिद्ध रहा है. यह आधुनिक इंडोनेशिया का सबसे बड़ा द्वीप है. इस द्वीप पर लगभग सातवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक हिंदुओं का ‘श्रीविजय साम्राज्य’ स्थापित था।

अत्यंत वैभवशाली एवं सम्पन्न इस साम्राज्य के बारे में आधुनिक संसार को सन १९२० तक कोई भी जानकारी नहीं थी, यह हमारा बड़ा दुर्भाग्य है. १९२० में एक फ्रांसीसी शोधकर्ता ने इस साम्राज्य के बारे में कई जानकारियाँ दुनिया के सामने लाईं. इसके बाद ही इस साम्राज्य की ओर लोगों का ध्यान गया. और फिर विभिन्न माध्यमों से कई प्रकार की जानकारी सामने आने लगी।

इत्सिंग नामक एक चीनी बौद्ध प्रवासी, बौद्ध धर्म का अध्ययन करने सातवीं शताब्दी में (इस्वी सन ६७१ में) भारत स्थित नालन्दा के लिए निकला. परन्तु नालन्दा में अध्ययन करने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है।

यह बात उसे पता थी. इसीलिए वह चीन के ‘ग्वांझावू’ प्रांत से यात्रा करते हुए श्रीविजय साम्राज्य में आकर रुका और संस्कृत में पारंगत हुआ. इत्सिंग ने अपने कुल पच्चीस वर्ष के प्रवास में ६ से ७ वर्ष श्रीविजय साम्राज्य में बिताए. उसने इस साम्राज्य के बारे में काफी कुछ लिखा है।

श्रीविजय साम्राज्य के कालखण्ड में ही त्रिमूर्ति प्रमबनन (परब्रह्म शब्द का अपभ्रंश) नामक भव्य हिन्दू मंदिर, जावा द्वीप पर ईस्वी सन ८५० में बनाया गया. दुर्गादेवी, गणपति एवं अगस्त्य ऋषि की त्रिमूर्ति वाला यह मंदिर अत्यधिक भव्य है और इतनी शताब्दियों पश्चात आज भी वहाँ पर व्यवस्थित रूप से उपासना-पूजा निरंतर जारी है।

विश्व में सर्वाधिक मुस्लिम जनसँख्या वाला इंडोनेशिया नामक देश आज भी अत्यंत गर्व के साथ अपनी हिन्दू पहचान एवं इतिहास का प्रदर्शन करता है. इस देश का नाम आज भी कहीं-कहीं ‘दीपान्तर’ (समुद्र पार का भारत) प्रचलित है।

इनकी विमान सेवा का नाम “गरुड़ा एयरवेज” है. यहाँ बैंक को कोषागार कहते है और इनकी बहासा (भाषा) इंडोनेशिया में (यहां की अधिकृत भाषा में) सत्तर प्रतिशत संस्कृत शब्द मिलते हैं. इंडोनेशिया का राष्ट्रीय बोधवाक्य हैं –
‘भिन्नेका तुंगल इका’ (अर्थात विविधता में एकता).

इंडोनेशिया का बाली द्वीप प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. आज भी बाली की ९०% जनसँख्या हिन्दू है और हिन्दू आचरण-पद्धति के अनुसार जीवन व्यतीत कर रही है. बाली द्वीप पर प्राप्त सबसे पहला हिन्दू शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है और यह ईसा पूर्व १५० वर्ष का है।

गणेश भगवान को विघ्नहर्ता और बुध्दी का देवता माना गया हैं. इसीलिए इंडोनेशिया में इसके अनेक स्वतंत्र मंदिर हैं. सिवाय, प्रत्येक शिव मंदिर या दुर्गा मंदिर में गणेश जी की मूर्ति होती ही हैं।

इंडोनेशिया के माउंट ब्रोमो इस ज्वालामुखी के मुहाने पर एक भव्य गणेश मूर्ति, पिछले ७०० वर्षों से सुरक्षित स्थापित हैं. अकेले बाली द्वीप समूह पर 20,000 के लगभग मंदिर हैं. इंडोनेशिया में गणेश जी का सम्मान कितना हैं, इसका एक छोटासा उदाहरण –

जावा द्वीप पर ‘योग्यकर्ता’ नाम का शहर हैं. लगभग साढ़े चार लाख लोकसंख्या का. इस छोटेसे शहर में एक विश्वविद्यालय हैं – ‘योग्यकर्ता इस्लामिक यूनिवर्सिटी’. इस संस्थान में प्रवेश करते ही साथ, गणेश जी की एक सुंदर सी मूर्ति सामने दिखती हैं।

थोड़ीसी जमीन के अंदर गड़ी हुई, ताकि कोई चोरी न कर सके. इसी इस्लामिक यूनिवर्सिटी के परिसर में खुदाई करते हुए, एक हजार वर्ष पुराना हिन्दू मंदिर मिला, जिसे विश्वविद्यालय ने सम्हल कर रखा हैं।

इंडोनेशिया में खुदाई में अनेक स्थानों पर प्राचीन गणेश प्रतिमाएं मिली हैं. पश्चिमी सुमात्रा में, पालेंबंग में आठवी शताब्दी की, श्रीविजय साम्राज्य के समय की, गणेश जी की एक मूर्ति मिली, जिसे ‘बालपुत्रदेवा संग्रहालय’ में रखा गया हैं।

योग्यकर्ता में ही, सांबिसरी मंदिर के पास नौवी शताब्दी के गणेश जी मिले हैं. बाली में ‘पुरा लुहुर उलूवाटू’ में प्रवेशद्वार पर ही, काले पत्थरों से बनी, गणेश जी की दो भव्य मूर्तियाँ रखी गई हैं।

इंडोनेशिया में गणेश जी को गणपति, विघ्नेश्वर, गजानन, गजाधिपति, लंबकर्ण, लंबोदर, एकदंत आदि नामों से संबोधित किया जाता हैं. उत्खनन में मिले अनेक शिलालेखों में भी इन्ही नामों का उल्लेख हैं. यहां पर ‘गणेश’ यह नाम काफी लोकप्रिय हैं।

इंडोनेशिया के चौथे क्रमांक के शहर, बांडुंग में ‘गणेश स्ट्रीट’ नाम का रास्ता हैं, जिस पर सभी प्रमुख होटेल्स, रेस्टोरेंट्स, कार्यालय आदि हैं. ‘गणेश जालान’, ‘गणेश पार्क’ जैसे अनेक उल्लेख मिलते हैं. इंडोनेशिया ने १ अप्रैल, १९९४ को गणेश जी पर एक पोस्टल स्टैम्प निकाला था, जिसमे गणेश जी को बुध्दी (विद्या) के देवता के रूप में दिखाया हैं।

इंडोनेशिया में गणेश जी का संदर्भ मात्र प्राचीन संस्कृति के रूप में नहीं आता. वहाँ गणेश भगवान रोज पूजे जाने वाले भगवान हैं. गणेश चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव भी उत्साह से मनाया जाता हैं।

विशेष बात यह की, इंडोनेशिया में स्थानिक नागरिक गणेश जी को पूजते हैं. कार्यालयों मे, कार्पोरेट ऑफिसेस में, हॉस्पिटल्स आदि में गणेश जी की प्रतिमा रहती हैं, क्यूँ की गणेश जी को विघ्नहर्ता माना गया हैं।