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जनजातियों के उत्पाद अब अमेजन-फ्लिपकार्ट पर भी मिलेंगे…

डिंडौरी, मंडला, बालाघाट के जनजाति  के उत्पाद अब अमेजन-फ्लिपकार्ट पर भी बिकेंगे, कोदो, कुटकी, शहद और गुड़ को एक ही प्लेटफार्म पर मिलेगी जगह…

प्रदेश के जनजाति  उत्पात को अब विदेशी पहचान मिलेगी। ब्लॉक स्तर के आदिवासियों को प्रादेशिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अनदाई सरजे प्लेटफार्म तैयार किया गया है।

इसके तहत जिलों के हर एक ब्लाक की उत्पादकता के अनुसार एक प्रोडक्ट सुनिश्चित कर उसको ब्लॉक की पहचान बनाया जाएगा। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के साथ मिलकर वहां पैदा होने वाले उत्पाद के लिए प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी।

इस इकाई के द्वारा बनाए जाने वाले उत्पाद को पैकेजिंग कर स्थानीय राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही स्थानीय कला का विकास करना और प्रोडक्ट की पहचान दिलाने के साथ जनजाति  कारीगरों को मुनाफा दिलाना इस योजना का मुख्य मकसद होगा।

 

इस योजना के तहत जनजाति कारीगरों को नई तकनीक के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कारीगरों को आर्थिक मदद देने के लिए हर एक ब्लॉक में एक प्रोडक्ट के लिए मशीनरी को स्थापित किया जाएगा। प्रोडक्ट को एक स्थानीय भाषा का ब्रांड नाम भी दिया जाएगा और प्रोडक्ट की ब्रांडेड भी की जाएगी।

अच्छी पैकेजिंग और स्थानीय भाषा का ब्रांड नेम होने से लोग इन ब्लॉग को वहां के आदिवासियों को जानेंगे और प्रोडक्ट की तरफ आकर्षित भी होंगे। विभाग का मानना है कि आने वाले लगभग 2 सालों में अप्रत्यक्ष रूप से एक लाख लोग रोजगार से जुड़ पाएंगे।

6 जिलों से होगी इसकी शुरुआत…

मप्र के 6 जिलों के उत्पादों को ऑनलाइन बेचा जाएगा। इनमें मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, पन्ना, टीकमगढ़ और छतरपुर जिले शामिल है।

इन जिलों के उत्पातों को मप्र महिला एवं बाल विकास विभाग व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम भारत के सहयोग से तैयार किए गए अनदाई ब्रांड के नाम से बेचा जाएगा। प्रदेश भर में महिलाओं की कुल 72 यूनिट है, जिनमें से 6 जिलों की 22 यूनिट में बने उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा। महिलाएं अनदाई के माध्यम से स्वयं ही अपने उत्पाद को ऑनलाइन बेच सकेगी।

प्रदेश के जनजाति  उत्पादों को विदेशों में भी पहचान मिल सके, इस उद्देश्य से अनदाई सरजे प्लेटफार्म तैयार किया गया है। इस प्लेटफार्म के जरिए प्रदेश की जनजाति  महिलाएं स्वयं के द्वारा तैयार किये गए उत्पादक को बेच सकेंगी। उत्पाद की ब्रांडिंग इंटर नेशनल मार्केटिंग कंपनी सेब द्वारा की जाएगी।

वहीं जनजाति उत्पाद अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी मिलसकेंगे। इससे जनजाति वर्ग को रोजगार के साथ ही उनके उत्पाद को विदेशों में भी नई पहचान मिल सकेगी।