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देश को श्रेष्ठ बनाने के लिए भारत को समझना, जानना व मानना होगा – डॉ. मनमोहन वैद्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत को श्रेष्ठ बनाना है तो भारत को समझना होगा, जानना व मानना होगा। इसके लिए युवाओं को आगे बढ़कर कार्य करना होगा।

वे शनिवार को जवाहर नगर स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर में जयदेव पाठक जन सेवा न्यास द्वारा आयोजित व्याख्यान माला के 14वें पुष्प के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राष्ट्र के विकास में युवाओं की भूमिका पर कहा कि-

हमें समय, नियम आदि का पालन स्वप्रेरणा से करना चाहिए. युवा अपने कार्य में उत्कृष्ट बनकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं, जब देश का प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने कार्यक्षेत्र में पारदर्शिता पूर्वक कार्य करने लगेगा तो देश में बदलाव देखने को मिलेंगे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अम्बेडकर पीठ के पूर्व अध्यक्ष व सेवानिवृत आईपीएस कन्हैयालाल बैरवा ने कहा कि जयदेव पाठक एक अनुशासित स्वयंसेवक थे।वे कार्यकर्ताओं की संभाल करते हुए उन्हें अनुशासन व सक्रियता की सीख देते थे। उनकी प्रेरणा से आज अनेकों कार्यकर्ता राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं।

विद्या भारती के विद्यालयों में शिक्षा के साथ संस्कार मिलते हैं, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कोरोना काल में पीड़ित परिवारों की सेवा करने के दौरान देखने को मिले। कार्यक्रम के अध्यक्ष सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि प्राचीन समय में गुरूकुलों में शिक्षा के साथ संस्कार मिलते थे,

लेकिन वर्तमान के विद्यालयों में संस्कार भाव की शिक्षा नहीं है। यदि बालक को बचपन से ही संस्कार मिलेंगे तो वे बालमन से कभी विस्मृत नहीं होंगे। उन्होंने समाज में सामाजिक समरसता व संस्कारयुक्त शिक्षा से जुड़े संस्मरणों पर प्रकाश डाला।

इससे पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। विद्या भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने जयदेव पाठक के जीवन चरित्र व संस्मरणों के बारे में बताया। कार्यक्रम में उत्कृष्ट शैक्षिक गतिविधियों के लिए अध्यापकों को सम्मानित किया गया।