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सामुहिक संघर्ष से देश हुआ आज़ाद : राममाधव

रीवा। गांधी, नेहरू, तिलक, सुभाष चंद्र बोस, अशफाक उल्ला सहित देश हज़ारों लोगों ने आज़ादी के लिए संघर्ष किया। जिसमें सभी मत, पंत और संप्रदाय के लोगों ने बलिदान दिया। लेकिन इन्हें लोग नहीं जानते। हमने देश को आज़ाद कराया ये दंभ किसी में नहीं होना चाहिए।

सामुहिक संघर्ष का परिणाम है देश की आज़ादी। यह बात आरएसएस केंद्रीय कार्यकरिणी के सदस्य राममाधव ने रीवा में आयोजित व्यख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में कही। कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में स्वधीनता अमृत महोत्सव समिति रीवा के तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व पुलिस अधिकारी देवेन्द्र प्रताप सिंह और कार्यक्रम संयोजक नीरज खरे थे। इस अवसर ठाकुर रणमत सिंह के आज़ादी संघर्ष में हुए बलिदान पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राममाधव ने कहा कि ठाकुर रणमत सिंह सहित असंख्य देशवासियों ने स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिया। इन सब के प्रति हमें समान श्रद्धा का भाव रखना है। उन्होंने ने कहा कि यह समय नई पीढ़ी को पुरखों के बलिदान को याद दिलाने और विवेचन करने का है। उनका बलिदान विफल तो नहीं इसका भी हमें आंकलन करना है।

श्री राममाधव ने कहा कि नेहरू जी ने देश के लिए लोकतंत्र को चुना। और भारत का लोकतंत्र यूरोप से अधिक सफल रहा। क्योंकि भारत के स्वभाव में लोकतंत्र है। इस आज़ादी को बचाने का अब प्रयास भी हमें करना होगा।

श्री राममाधव ने कहा कि मृत्यु से तीन दिन पहले गांधी जी ने कहा था कि हमें अभी राजनीतिक आज़ादी मिली है। सामाजिक, आर्थिक और भौतिक आज़ादी मिलना बांकी है। हमें इस दिशा में काम करना है। जातिवाद और धार्मिक अविश्वास से हमें लड़ना है। हमारा कर्तव्य एकता और सब के जीवन में आर्थिक विकास होना चाहिए। महर्षि अरविंद के वक्तव्य को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपने लिये नहीं विश्व के कल्याण के लिए स्वतंत्र हुआ है। इसलिए हमें भारत को नैतिक महाशक्ति बनाना है।

इस अवसर पर मुख्य रूप से विधायक राजेन्द्र शुक्ल, दिव्यराज सिंह, के पी त्रिपाठी, पूर्व विधायक पुष्पराज सिंह, जिला संघचालक लालबहादुर सिंह, विभाग प्रचारक सुरेंद्र सिंह, विभाग कार्यवाह रमेश साहू, विष्णु अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।