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अ.भा. विद्यार्थी परिषद का त्रिदिवसीय ऐतिहासिक सम्मेलन सम्पन्न

भूली-बिसरी यादों के साथ बढ़ते कारवाँ का 67 वाँ वर्ष 

जबलपुर महानगर में 60 साल बाद पुनः अ.भा. विद्यार्थी परिषद के अधिवेशन का होना अपने आप में संस्कारधानी के गौरव को अपनी पहचान देता है। उस समय देश भर से 101 प्रतिनिधियों ने अधिवेशन में उपस्थिति देकर अधिवेशन को सफल बनाया था।

सन् 1949 में आदरणीय चिन्तामनजी साहू, लाल जी साहू और श्रीलाल जी दुबे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बाद में विद्यार्थी परिषद में और भी प्रभावी छात्र सम्मिलित होते चले गये और इस शाखा का प्रभावी  स्वरूप निरन्तर निखरता चला गया। छात्रों की स्थानीय समस्याओं को सुलझाया ही गया, प्रदेश तत्कालीन राजनीति का भी ध्यान शैक्षणिक विषयों की ओर आकर्षित किया जाने लगा।

बाद में इसी सिलसिले में प्रख्यात नेता और प्रोफेसर बलराज मधोक का भी आगमन हुआ। उनके प्रबोधन और सम्पर्क का भी काफी लाभ स्थानीय शाखा के पदाधिकारियों को प्राप्त हुआ।  संघ के तत्कालीन प्रान्त प्रचारक पं. रामशंकर जी अग्निहोत्री जो स्वयं शिक्षा के प्रति गहरी रूचि रखते थे, अपनी सक्रियता से इस परिषद के पौधे को सींच कर बड़ा वृक्ष बनाने में अपना प्रभावी योगदान  दिया।

अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि अनेकानेक विभूतियों के योगदान के फलस्वरूप (उन भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात महानुभावों को नमन करता हूँ) इस परिषद के ज्ञान-चरित्र-एकता के सूत्र को सारे भारत में यश प्राप्त हो रहा है।

‘‘दैनिक युगधर्म’’ का जबलपुर से प्रकाशन प्रारम्भ होने पर यशस्वी सम्पादक पं. भगवतीधर बाजपेयी, जो स्वयं स्थानीय सिटी काॅलेज से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, की पैनी कलम और उनके उदार व्यक्तित्व से परिषद को यश और शक्ति मिलती चली गर्यी।

आज  जब मैं पिछले इतिहास की ओर दृष्टि डालता हूँ तो कतिपय स्मृतियाँ एक चित्रपट की तरह सामने आने लगती हैं, आज 84 वर्ष की आयु में उन सबको समेटने में अपने आपको सक्षम नहीं पा रहा हूँ। यद्यपि मुझे भी सन् 1955-56 से परिषद से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो गया था। उस समय मेरे सभी वरिष्ठ जन लगभग 10-12 की आयु से अधिक ही थे। मैं सबसे कम उम्र का कार्यकर्ता था, पर जो मार्गदर्शन,  प्रेम-स्नेह मुझे प्राप्त हुआ, वैसा अब तक के जीवन में प्राप्त नहीं हो सका।

काफिला बढ़ता गया, सर्व श्री सुन्दरलाल केशरवानी, बिलासपुर (चाँपा) से कृषि काॅलेज में अध्ययन करने आये श्री रामलाल कश्यप जो बाद में रायपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने। प्रवीण उपाध्याय, कीर्ति तिवारी, किशोर श्रीवास्तव आदि अनेक उत्साही एवं प्रभावी कार्यकर्ता जुड़ते चले गये, जो अपने अपने क्षेत्र के योग्य और सक्षम छात्र थे।

वह विपरीत और कठिन समय था, जब शासन, प्रशासन और सरकार के खिलाफ कुछ कहना एक विशेष साहस की बात मानी जाती थी। उस समय रात-रात भर अखबारों के पुराने पन्नों पर स्याही से पोस्टर बनाकर दीवालों पर चिपका एक मात्र साधन  था। साईकिल पर नशैनी और लेयी का डिब्बा रखकर पोस्टर चिपकाये जाते और सुबह होने पर विद्यालयों- महाविद्यालयों से छात्रों को एकत्रित कर जुलूस का आयोजन और वरिष्ठ अधिकारियों एवं शहर आये मंत्रियों को ज्ञापन-यह सिलसिला अनवरत चलता रहता था।

इसी क्रम में गल्लाबाजार के एक यशस्वी छात्र उमेशचन्द्र दबे भी जुड़ गये, जो स्वयं अपने हिस्से में सारे खर्चे को लेकर नेताजी सुभाष जयंती का भव्यता के साथ शानदार आयोजन में सहयोग देते थे।

परिषद द्वारा 12 जनवरी को विवेकानन्द जयंती का आयोजन, जो प्रायः नगर निगम के  सभाभवन में होता था। इसमें न्यायमूर्ति शिवदयाल, न्यायमूर्ति पांडे,  न्यायमूर्ति मुखर्जी और रामकृष्ण आश्रम रायपुर के स्वामी आत्मानन्द जी की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही है।

यह 67 वाँ अधिवेशन पुरानी यादों को ताजा करने का सुनहरा अवसर लेकर आया है। साथ ही सिंहावलोकन का भी एक अवसर है।

अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि नोबल पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी जी ने अपनी उपस्थिति से सार्थकता का अनुभव कराया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि युवाओं को अपनी ताकत पहचानना होगी, युवाओं के पास सभी समस्याओं का समाधान होता है।

इस अवसर पर यशवंत राव केलकर पुरस्कार विजेता कार्तिकेयन गणेशन ने कहा कि मैं अभिभूत हूँ, मेरे पास शब्द नहीं हैं, ये पुरस्कार मुझे क्यो दिया गया? मैं जहाँ से आता हूँ, वहाँ कोई सुविधायें नहीं हैं, पर विद्यार्थी परिषद मुझे खोजने में सफल रहा। मैं पन्द्रह वर्षों तक अनाथालय में रहा और अब उसी अनाथालय का निदेशक हूँ। मेरे जीवन का उद्देश्य  दिव्यांग जनों के लिये काम करने का है। यह पुरस्कार और बेहतर काम करने की प्रेरणा देता रहेगा।

अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन के द्वितीय दिवस एक विशाल शोभायात्रा, जिसमें देशभर से आये विद्यार्थी प्रतिनिधि अपनी अपनी पारम्परिक वेशभूषा में सम्मिलित थे, दमोह नाका से प्रारम्भ होकर मिलौनीगंज, कोतवाली, बड़ा फुहारा, मालवीय चैक, तीन पत्ती चैक होते हुये सिविक सेन्टर में आयोजित खुले अधिवेशन के मंच पर समाप्त हुयी। इस शोभा यात्रा में दिल्ली, उत्तरप्रदेश, तामिलनाडु, नेपाल, बाँग्लादेश के छात्र भी शामिल थे।

जबलपुर के हृदयस्थल बड़ा फुहारा में भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री शरद अग्रवाल के नेतृत्व में भव्य स्वागत किया गया, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा भी मार्ग में शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा की गयी। इसी क्रम में पूर्व दिवस एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था जिसमें प्रदर्शित चित्रों के माध्यम से आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली।

इस त्रिदिवसीय ऐतिहासिक राष्ट्रीय अधिवेशन में कश्मीर से कन्याकुमारी और पश्चिम से पूर्वोत्तर राज्यों की झलक दिखना यह प्रमाणित करता है कि परिषद की यशोगाथा चारों और फैल रही है।

– डाॅ. किशन कछवाहा