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आत्मनिर्भर होगा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर, पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान

अयोध्या. नागर शैली में बन रहा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर स्टेट ऑफ आर्ट और टेक्नोलॉजी में उत्कृष्ट होगा. साथ ही आत्मनिर्भर भी होगा. परिसर की व्यवस्थाओं का वर्तमान व्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दबाव नहीं होगा. मंदिर परिसर का अधिकांश क्षेत्र सैकड़ों पेड़ों के साथ हरा-भरा क्षेत्र होगा और सीवेज तथा जल शोधन संयंत्र, दमकल चौकी एवं विशिष्ट बिजली लाइन जैसी सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर होगा. मंदिर निर्माण में लोहे का भी उपयोग नहीं किया है, धरती के ऊपर कंक्रीट का उपयोग नहीं होगा. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से तैयार की गई है.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 70 एकड़ परिसर का लगभग 70 प्रतिशत भाग हरित क्षेत्र होगा, केवल 25 से 30 प्रतिशत भाग में ही निर्माण कार्य होगा. ‘हरित क्षेत्र में ऐसे हिस्से शामिल हैं, जो बहुत घने हैं और कुछ हिस्सों में सूरज की रोशनी भी मुश्किल से ही नीचे पहुंच पाती है.’ हरित क्षेत्र में लगभग 600 मौजूदा पेड़ संरक्षित किए गए हैं. मंदिर परिसर अपने तरीके से आत्मनिर्भर होगा और अयोध्या नगर निगम की सीवेज या जल निकासी प्रणाली पर कोई बोझ नहीं डालेगा.

परिसर में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था, स्वतंत्र पावर स्टेश होगा. परिसर में दो अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (एसटीपी), एक जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) होगा. पावर हाउस से एक समर्पित लाइन होगी. पेयजल की उपलब्धता भी भू-जल से सुनिश्चित की जाएगी. परिसर में एक दमकल चौकी भी होगी, जो भूमिगत जलाशय से पानी का उपयोग करने में सक्षम होगी. मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परंपरा व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है.

मंदिर निर्माण में पूर्ण रूप से केवल भारतीय कंपनियों का ही योगदान है. देश की कई नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली जा रही है. आईआईटी दिल्ली, आईआईटी सूरत व गुवाहाटी, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के विशेषज्ञों सहित एलएंडटी और टाटा कंसल्टिंग के इंजीनियर मंदिर निर्माण में लगे हैं. सीबीआरआई हैदराबाद व आईआईटी मुंबई की टीम का भी योगदान है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के इंजीनियरों ने मंदिर में लगने वाले एक-एक पत्थर की जांच की है.

जनसुविधा के लिए एक अलग ब्लॉक होगा. जिसमें श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त संख्या में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स, की सुविधा होगी. इसके साथ ही दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre – PFC) का निर्माण होगा, जिसमें 25 हजार दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर की सुविधा होगी. यहीं पर चिकित्सा की व्यवस्था के लिए एक चिकित्सा केंद्र भी होगा.