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एक क्रांति यात्रा, शव यात्रा में…..

-वीरेंद्र सिंह परिहार 

ईडी द्वारा शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर वर्ष 2011 में लोकपाल आंदोलन को लेकर पूरे देश को झकझोर देने वाले अन्ना हजारे का कहना है, एक पवित्र आंदोलन को राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ा दिया गया. अन्ना हजारे के कहने का आशय यह है  कि वर्ष 2011 में लोकपाल आंदोलन को केजरीवाल और उसके सहयोगियों ने सत्ता पाने का माध्यम बनाया और एक पवित्र आंदोलन को मौत की अवस्था में पहुंचा दिया गया. अब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उनकी आप पार्टी और दूसरे इंडी के सहयोगी दल चाहे जो कहें,

लेकिन इस सच्चाई से पूरा देश परिचित हो चला है कि पूरे शराब घोटाले के मास्टरमाइंड अरविंद केजरीवाल ही हैं. सरकार क्या कहती है, भाजपा के नेता क्या कहते हैं, खुद ईड़ी के अधिकारी क्या कहते हैं, यह बात अपनी जगह पर है. लेकिन जो विपक्ष बार-बार अदालतों की दुहाई देता है, तो क्या उसे यह पता नहीं की दिल्ली हाई कोर्ट स्वयं केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए प्रकारान्तर से  ईडी को हरी झंडी दे चुका था. क्योंकि जब केजरीवाल गिरफ्तारी के विरुद्ध दिल्ली हाई कोर्ट में संरक्षण मांगने गए, तो हाई कोर्ट ने संरक्षण देने से मना कर दिया.

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाने को लेकर खूब हो हल्ला मचाया गया, लेकिन ऐन सुनवाई  के वक्त याचिका ही वापस ले ली गई. अब फिर केजरीवाल द्वारा गिरफ्तारी और ट्रायल कोर्ट द्वारा रिमांड दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. यह बताने की बहुत जरूरत नहीं कि दिल्ली का शराब घोटाला क्या था? कुल मिला करके यह 600 करोड़ का घोटाला था, इन रूपयों का एक बड़े हिस्से का उपयोग गोवा के चुनाव में आप पार्टी द्वारा किया गया था. यह भी पता होना चाहिए कि इसी शराब घोटाले को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह कई महीनो से गिरफ्तार है और उन्हें अदालत द्वारा जमानत नहीं मिल सकी है. इतना ही नहीं उनके मामलों में दिल्ली उच्च न्यायालय यहां तक टिप्पणी कर चुका है, कि उनके विरुद्ध प्रथमदृष्टया मामला विद्मान है.

जहां तक इस बात का प्रश्न है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी बदले की भावना के चलती हुई. वहां यह बताना आवश्यक है कि ईडी के द्वारा 99 बार सम्मन  किए जाने पर भी केजरीवाल ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए. इतना ही नहीं अपनी संभावित गिरफ्तारी को लेकर वह हाई कोर्ट चले गए जहां से उनका कोई राहत नहीं मिली. इसे इतना तो कहा ही जा सकता है कि उनकी गिरफ्तारी को लेकर पर्याप्त साक्षय मौजूद है. मात्र शराब घोटाले में ही नहीं, दिल्ली में जल बोर्ड घोटाला, मोहल्ला क्लीनिक घोटाला, और स्कूलों में नए कक्ष बनाए जाने को लेकर कई घोटाले चर्चा में है.और इन सभी घोटालों में किसी न किसी रूप में केजरीवाल की संबंधता  विद्यमान है.

गुजरात दंगों के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने पूरे 12 घंटे तक पूछताछ किया था, जिसमें नरेंद्र मोदी ने कोई ना नुकुर करते हुएपूरा सहयोग दिया था. इसी को कहते हैं “सांच को आँच क्या”? लेकिन केजरीवाल अब एड की हिरासत में होते हुए भी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, इससे घोटाले में उनकी संलिप्तता समझी जा सकती है.

 यह बताने की जरूरत नहीं कि अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी एक नई किस्म की राजनीति का दावा करके राजनीतिक मैदान पर उतरी थी. जिसकी सर्वप्रथम उद्घोषणा यही थी कि देश में भ्रष्टाचार का जड़ मूल से उन्मूलन करने के लिए एक सशक्त लोकपाल  गठित होना चाहिए. उसी के तर्ज पर राज्यों में भी लोकायुक्त संगठन बनाए जाने चाहिए. लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है की दिल्ली की सत्ता में 10 वर्षों से ऊपर रहने के बावजूद केजरीवाल ने इस दिशा में कुछ सोचा ही नहीं. इतना ही नहीं समय-समय पर जब उनके पार्टी के लोगों पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगे तो केजरीवाल उनका बचाव करते रहे.

जबकि अन्ना आंदोलन के दौरान उनका कहना था, यदि किसी राजनीतिज्ञ के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं तो मात्र इतने से ही उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए. लेकिन हवाला  घोटाले के मामले में 2 वर्षों पूर्व जब केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन जेल गए, केजरीवाल ने सालों साल उनसे मंत्री पद का इस्तीफा तक नहीं लिया. इतना ही नहीं उन्हें कट्टर ईमानदार भी बताते रहे. जब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में जेल गए तब उनके साथ सत्येंद्र जैन का भी इस्तीफा मजबूरी में लिया गया.

इसके अलावा दिल्ली स्थित केजरीवाल के आवास को जिस ढंग से अवैध रूप से 50 करोड़ खर्च करके बनाया गया. (जिसे लोग शीश महल का नाम देते हैं? उससे भी केजरीवाल की असलियत लोगों के सामने आ गई. हद तो तब हो गई जब इस निर्माण से संबंध में केजरीवाल के लोगों ने सचिवालय से दस्तावेज तक चुराये. सिर्फ इतना ही नहीं टाइम्स नाउ नवभारत चैनल द्वारा उक्त शीश महल को दिखाए जाने पर केजरीवाल ने अपनी पंजाब सरकार द्वारा उक्त चैनल की एक रिपोर्टर को गिरफ्तार करने का भी प्रयास कराया. लोगों को यह भी पता होगा कि मंच के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास द्वारा केजरीवाल की आलोचना किए जाने पर पंजाब पुलिस के माध्यम से कुमार विश्वास भी गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया था, लेकिन न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते यह संभव नहीं हो पाया.

कुल मिलाकर जो केजरीवाल स्वराज की बात करते थे, नशाखोरी के खिलाफ अभियान चलाने की बात करते थे, भ्रष्टाचार का संदेही होने पर ही  पद छोड़ने की बात करते थे. दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने पर उनके सारे क्रियाकलाप  ठीक उसके उलट हो गए. कुल मिलाकर अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल और उनके मनीष सिसोदिया जैसे सहयोगी अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को शीर्षासन करा दिया. जिन लोगों को वह जेल भेजने की बात करते थे, उदाहरण के लिए लालू यादव और सोनिया गांधी! उन्हीं से उन्होंने गठबंधन कर लिया और उनके पैरोंकार बन गए.

दूसरी तरफ केजरीवाल के शराब घोटाले को लेकर जो कांग्रेसी मुखर थे और उनके खिलाफ जांच और कार्यवाही किए जाने के लिए सिर्फ मांग ही नहीं कर रहे थे, प्रदर्शन भी कर रहे थे. वहीं अब केजरीवाल को निर्दोष बता रहे हैं, और मोदी सरकार द्वारा बदले की भावना से कार्रवाई बता रहे हैं. कुल मिलाकर “चोर चोर मौसेरे भाई” का नजारा है. ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि सभी एक ही नाव पर सवार हैं.

बड़ी बात यह है कि सिर्फ केजरीवाल ने एक जन आंदोलन की हत्या नहीं की, बल्कि देश के करोड़ करोड़ लोगों के भरोसे को भी तोड़ा है. अब उन्हें मात्र एक चालू राजनीतिक ही कहा जा सकता है, जो लोग लुभावन राजनीति करके सत्ता में बने रहना चाहता है. इतना ही नहीं सत्ता का पूरा उपयोग अपने और पार्टी के लोगों के लिए करना चाहता है.

कुल मिलाकर करोड़ों करोड़ों लोग जो केजरीवाल और उनकी आप पार्टी में एक उम्मीद देख रहे थे. उनकी उम्मीदें तो नष्ट हुई ही है साथ ही वह हतप्रभ भी हैं. केजरीवाल कैसे-कैसे उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, इसके लिए अन्ना हजारे तो दूर करोड़ करोड़ भारतीयों ने कभी सोचा ही नहीं होगा. इस प्रकरण में सच्चाई इसी से समझी जा सकती है कि घोटाले  के दौरान का उनका मोबाइल गुम है और केजरीवाल को पता नहीं वह कहां गया? लोग भूल नहीं होंगे ऐसी स्थिति मनीष सिसोदिया के साथ भी थी. अब वह कह रहे हैं कि वह जेल से सरकार चलाएंगे. यह सत्ता के लोभ की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है?

जबकि लालू यादव जैसे प्रमाणित भ्रष्टाचारियों ने भी इस तरह का दुस्साहस नहीं दिखाया था.यदि ऐसा होता है तो ऐसी बड़ी संभावना है कि केंद्र सरकार दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर दे. बड़ी बात यह है कि इस शराब घोटाले में सिर्फ केजरीवाल और उनके सहयोगी ही नहीं पूरी आप पार्टी कटघरे में खड़ी है और ऐसी संभावना है कि देर सवेर उसकी मान्यता भी समाप्त हो जाएगी.केजरीवाल और उनकी आप पार्टी के लिए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के शब्दों में यही कहा जा सकता है– “एक क्रांति यात्रा शव यात्रा में बदल चुकी है.”

लेख मे लेखक के अपने विचार है..