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चिरंजीवी राम भक्त हनुमान….

अजर अमर गुननिधि सुत होहूँ।
करहु बहुत रघुनायक छोहूँ।।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड से अवतरित इस चौपाई का यही तात्पर्य है की माता जानकी रावण द्वारा छल से अपहरित किए जाने के पश्चात लंका की अशोक वाटिका में अपने प्रभु श्री राम जी का जब अंतर्मन से चिंतन करती हैं,

तब हनुमान जी द्वारा भगवान श्री राम जी की दिव्य मुद्रिका अर्थात अंगूठी माता जानकी को प्रदान की जाती है और माता जानकी प्रभु की इस मुद्रिका को देखकर हर्षित हो जाती हैं और श्री हनुमान जी को वरदान देती हैं ।

Ramayan : Sita Hanuman milan Story(katha) in hindi – Hindi-Webहे पुत्र! तुम अजर (जिसे कभी बुढ़ापा या वृद्धावस्था न आए), अमर (जिसे मृत्यु भी वरण न कर सकें) एवं सभी प्रकार के गुणों के स्वामी होगे तथा श्री राम जी की तुम पर सदैव कृपा बनी रहेगी।

इस तरह श्री हनुमान जी को माता जानकी से अजर , अमर, गुननिधि होने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। आज भी हनुमान जी इस पृथ्वी पर सात चिरंजीवी में से एक है-

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो, हनुमांश्च विभीषण ।
कृप: परशुरामश्च , सप्तैते चिरंजीविन:।।

अर्थात् अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यास , हनुमान जी , विभीषण , गुरु कृपाचार्य और भगवान परशुरामजी ये सभी इस पृथ्वी पर चिरंजीवी है। चिरंजीवी से तात्पर्य चिर काल तक अर्थात् अनंत काल तक जीवित रहेंगे

अर्थात् इच्छा मृत्यु अर्थात जब तक इस संसार पर पृथ्वी रहेगी तब तक ये पृथ्वी पर रहेंगे और आज भी माता जानकी के आशीर्वाद के अनुसार इस पृथ्वी पर विराजमान है।

भगवान आदिदेव शंकर जी अपने ग्यारवें रुद्र अवतार के रुप में “चैत्र पूर्णिमा दिन मंगलवार” को, भगवान श्री हरि विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम की सेवा करने के लिए हनुमान के रूप में प्रकट हुए।

इस कलयुग में भगवान श्री हनुमान जी की पूजा विभिन्न ग्रहों के दुष्प्रभावों से मनुष्य को मुक्त करती हैं और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।

तुलसीदास जी ने भी हनुमान चालीसा में यह स्पष्ट किया है-

नासै रोग हरे सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा…..

हनुमान जी इस पृथ्वी पर भक्तवत्सल है । गुरुओं के गुरु हैं बुद्धि के साथ बल और विवेक के ज्ञाता है। आज की युवा पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ प्रबंध गुरु के रूप में इस पृथ्वी पर विद्यमान है।
यह बहुत बड़े शोध का विषय है कि-

महावीर हनुमान जी में सभी प्रकारों के गुणों का इतना समतुल्य सामंजस्य कैसे संभव है? जिन्होंने विशाल शरीर के साथ साथ बुद्धि का और बल का प्रयोग करते हुए भगवान श्रीराम को धर्म और सत्य की स्थापना के लिए अपना सहयोग दिया।

आज भी बाल ब्रह्मचारी मारुति नंदन अपने भक्तों को मार्गदर्शन देते हैं। पवन सुत हनुमान जी की पूजा आज की युवा पीढ़ी के लिए सर्वश्रेष्ठ आधार है। आज की युवा पीढ़ी को किस तरह अपनी ऊर्जा को संयमित करके अपने लक्ष्य की सफल साधना करनी चाहिए,

यह ज्ञान हनुमान जी के जीवन चरित्र से प्राप्त होगा। इस कोरोना काल में सद्भाव से मारुति नंदन का स्मरण करने से संकटों का हरण होगा और सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति मिलेगी।

!!जय श्रीराम!!

डॉ नुपूर निखिल देशकर ज़ी की कलम से