Trending Now

“जब भारत रत्न सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान को गांधीजी और कांग्रेस ने दिया धोखा”

(भारत रत्न सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान की पुण्यतिथि पर सादर समर्पित)

आज पख्तूनिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा होता क्योंकि देश के बंटवारे के समय पख्तूनिस्तान के शासक ने भारत के साथ रहने की इच्छा प्रकट की थी। पर, उसके आग्रह को भारत सरकार ने ठुकरा दिया। उसके बाद गफ्फार खान ने गांधी जी से कहा था कि ‘‘आपने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया।’’ बादशाह खान बलूचिस्तान और सीमा प्रांत के बड़े कांग्रेसी नेता थे।

महात्मा गांधी ने ‘सरहदी गांधी’ यानि अब्दुल गफ्फार खान को आश्वासन दिया था कि पाकिस्तान में आपके साथ अन्याय हुआ तो भारत आपके लिए लगेगा।
देश के बंटवारे के समय महात्मा गांधी ने ‘सरहदी गांधी’ खान अब्दुल गफ्फार खान को यह आश्वासन दिया था कि ‘‘यदि आप के साथ अन्याय हुआ या आपका दमन हुआ तो भारत आपके लिए लड़ेगा।’’
पर ऐसा नहीं हो सका। देश के बंटवारे के समय पख्तूनिस्तान के शासक ने भारत के साथ रहने की इच्छा प्रकट की थी। पर, उसके आग्रह को भारत सरकार ने ठुकरा दिया। उसके बाद गफ्फार खान ने गांधी जी से कहा था कि ‘‘आपने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया।’’ बादशाह खान बलूचिस्तान और सीमा प्रांत के बड़े कांग्रेसी नेता थे।
उनका 6 फरवरी, 1890 को जन्म हुआ था। निधन 20 जनवरी, 1988 को हुआ। आज भी पख्तूनिस्तान में अस्त-व्यस्त है। वैसे तो अब पूरे पाकिस्तान में अफरा तफरी है, किंतु पख्तूनिस्तान के लोग तो दशकों से परेशान रहे हैं। खुद गफ्फार खान लंबे समय तक पाक जेल में रहे।वे आजादी की लड़ाई के दौरान 15 साल तक अंग्रेजों के जेलों में रहे थे।

सन 1969 में गफ्फार खान उर्फ बादशाह खान भारत आए थे। उस समय भी उन्होंने उस बात की याद दिलाई कि किस तरह कांग्रेस नेतृत्व ने हमारे साथ धोखा किया। बादशाह खान ने कहा कि ‘यदि कांग्रेस ने हमें थोड़ा भी इशारा किया होता कि वह हमें छोड़ देगी तो हम अंग्रेजों से या जिन्ना से अपने प्रदेश के लिए बहुत फायदेमंद शर्तें मनवा लेते। किंतु कांग्रेस ने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया। ब्रिटिश सरकार ने हमें कांग्रेस से अलग करने की बहुत कोशिश की। मगर हमने कांग्रेस छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने हमसे यहां तक कहा कि यदि हम कांग्रेस से अलग हो जाएंगे तो वे हमें दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक अधिकार देंगे। लेकिन हम नहीं माने। हम दो चेहरे वाले धोखेबाज नहीं थे। हमने उनसे साफ कह दिया कि हम अपने साथियों को दगा नहीं देंगे।’

गफ्फार खान ने यह भी कहा कि ‘जिन्ना साहब ने भी हमें फुसलाने की कोशिश की थी। हमने उनसे भी यही कहा।’ बंटवारे के समय की हलचलों की चर्चा करते हुए बादशाह खान ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मैंने और गांधी जी ने अंत तक देश के बंटवारे का विरोध किया। किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। 1969 में जब गफ्फार खान भारत आए थे तो उन्होंने यहां के तब के सत्ताधारियों से यह सवाल किया कि ‘गांधी जी ने हमसे जो वायदा किया था, उसके अनुसार क्या हमारी मदद करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है ?’

गांधी जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने बादशाह खान को भारत बुलाया था। यहां आने के बाद बादशाह खान ने कहा कि ‘मैं खुद को इस मुल्क का एक हिस्सा मानता हूं। इसलिए मैंने यहां जो देखा,उससे मुझे दुख हुआ।’

डॉ. आनंद सिंह राणा