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देश के विकास का आधार नारी सशक्तिकरण

नारी ईश्वर की वह अदभुत शक्ति है जो शक्ति व सर्जन कीअपार क्षमता से युक्त है। जिसमे संवेदनाओ के साथ मूल्यों, संस्कृतिऔर परंपराओं को समेटने व संरक्षित करने की क्षमता निहित है।  हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब स्त्री को आगे बढ़ने के अवसर मिले तब-तब उसने अपनी उपस्थिति का मजबूती से परिचय देते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।

महिलाएं किसी भी देश की आबादी का आधा हिस्सा होती हैं इसलिए कोई समाज तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक कि देश की महिलाएं अपना पूर्ण सहयोग ना प्रदान करें। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षित और सुसंस्कृत स्त्री शक्ति से देश का भाग्य बदला जा सकता है। स्त्री को सशक्त करने में शिक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है। इसके द्वारा महिलाओं के हक में सकारात्मक माहौल उत्पन्न किया गया ताकि स्त्री को एक नई पहचान मिले और आगे आने वाली पीढ़ियों में भी चेतना और आत्मनिर्भरता का संचार हो। महिलाओं में शिक्षा का प्रसार होने तथा औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप उन्हें आर्थिक क्षेत्र में अवसर प्राप्त हुए। इससे उनकी पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता कम हुई। संचार के विभिन्न साधनों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जिसके फलस्वरूप उनमे जागरूकता आई और वे अपने अधिकारों के लिए सचेत हुई। इस से अनेकों कुप्रथाओ में कमी आई। प्रशासनिक, राजनैतिक, व्यावसायिक क्षेत्रों के साथ ही  थल सेना, वायु सेना, नौसेना में भी इनकी मौजूदगी का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।

इतिहास महिला दिवस का-प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास 20वीं सदी से जुड़ा है जब अमेरिकी श्रमिक आंदोलन और समाजवादी आंदोलन से इसका प्रारंभ हुआ। उस समय महिलाएं अपने सामान्य अधिकार जैसे काम के घंटे पुरुषों के बराबर करने और पुरुषों के समान वेतन करने, वोट देने के अधिकार आदि मांगों के लिए लड़ रही थी। इस दिन को पहली बार 19 मार्च 1911 में मनाया गया। पहली बार मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दौरान डेनमार्क, स्विट्जरलैंड जर्मनी, ऑस्ट्रिया में लगभग 10 लाख से महिलाओं ने वहा आयोजित विभिन्न रैलियों में भाग लिया और अपने हक के लिये आवाज उठाई। इसके बाद महिलाओं ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न से लेकर घरेलू हिंसा इत्यादि मुद्दों पर बात उठाई। वर्ष 1977 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता प्रदान की गई और तब से हर वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना प्रारंभ हुआ। विश्व मे यह दिन महिलाओं के अधिकारों के सम्मान और उनकी उपलब्धियो के जश्न के रूप में मनाया जाता है। समाज में सकारात्मकता का संचार करने के लिए, उनके समान अधिकार पर बात करने के लिए यह दिन विशेष महत्व का है। यह दिन जागरूकता का दिन है ताकि समाज के उत्थान में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। संपूर्ण दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की उपलब्धियां और उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में निभाए जाने वाली भूमिका का उत्सव मनाना है। यह दिन आह्वान करता है कि महिलाओं को समानता और अधिकार प्रदान किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस वर्ष अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 की थीम “इंस्पायर इंक्लूजन” है।

भारतीय चिंतन में नारी
भारतीय चिंतन में नारी को सदैव से ही आदर व सम्मान का स्थान प्राप्त था। हमारे यहाँ अर्धनारीश्वर की संकल्पना है। हमारी संस्कृति नारी या पुरूष प्रधान नही अपितू धर्म प्रधान है। हमने उसे लक्ष्मी, सरस्वती व शक्ति रूप में पूजनीय माना।जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्थान प्रदान किया।

ऋग्वेद में कहा गया है कि “यत्र नर्यास्तू पूज्यंते रमंते तत्र देवता” यह भावना हमारी विशाल सांस्कृतिक विरासत है। हमारा आदर्श है कि कदाचित किसी भी सभ्यता और संस्कृति में नारी के लिए इतना महान उद्घोष उपलब्ध नहीं होगा। कहा जाता है कोई भी समाज जितना सभ्य सुसंस्कृत होगा महिलाओं की स्थिति वहां पर उतनी ही श्रेष्ठ होगी। हमारे देश की विदुषी नारीयो गार्गी, मैत्रयी, लोपा मुद्रा ने वेदों की ऋचाएं रची। जब शंकराचार्य ने मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ में हरा दिया तब उनकी पत्नी भारती ने शंकराचार्य से शास्त्रार्थ किया था। मध्य काल मे मुगलो के आक्रमण के फलस्वरूप समाज की स्थिति परिवर्तित हुई और नारी सुरक्षा के लिए अनेक नियम बनाये गए। पर्दा प्रथा, सती प्रथा जैसे कुप्रथाये प्रचलित हुई। धीरे-धीरे समाज में स्त्रियों की दशा गिरती गई।

सरकार की प्रतिबद्धता महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु- महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए वर्तमान मोदी सरकार की प्रतिबद्धता नारी हित मे लिये उनके कई निर्णयो में साफ देखी जा सकती है। वर्तमान में देश मे अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं चल रही है “महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण मोदी की गारंटी है।” यह हमारे प्रधानमंत्री जी का कहना है। महिलाओं के लिए उज्जवला गैस कनेक्शन योजना, महिला शौचालय हेतु स्वच्छता योजना, घरों में नल के पानी हेतु जल जीवन योजना जैसी अनेक योजनाएं चल रही है। इसी के साथ पीएम आवास योजना में महिलाओं को परिवार का स्वामित्व जैसी योजना जिनसे उनका जीवन सरल व सम्मानजनक हो पाए। केंद्र सरकार ने इसी के साथ तीन तलाक कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं के हित में महत्वपूर्ण कदम उठाया जिससे उनके स्वाभिमान में वृद्धि हुई। नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 लाकर महिलाओं को लैंगिक समानता प्रदान करने, उन्हें सशक्त बनाने और उनकी आवाज को मुखर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इन फैसलो का बहुत अच्छा असर देखने को मिला।

वर्तमान में हर एक क्षेत्र में महिला अपना परचम लहरा रही है महिला पुलिस कर्मियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। देश की महिला खिलाड़ी देश के लिए अनेक मेडल ला रही है। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। भारतीय वायु सेवा में वर्ष 2016 में महिला फाइटर पायलटो को शामिल किया गया। इसके बाद से महिलाएं इंजीनियरिंग, सिग्नल, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक व मैकेनिकल इंजीनियरिंग सहित विभिन्न सेवा की इकाइयों में कमान संभाल रही है। भारतीय थल सेना वायु सेवा में उनकी संख्या और भागीदारी लगातार बढ़ रही है। नौसेना ने महिला अधिकारीयो को फ्रंटलाइन जहाज पर नियुक्त करना शुरू कर दिया है जो पहले महिला अधिकारियों के लिए नो -गो- जोन था।

नई सदी में नारी की एक नई छवि उभर रही है। पिछली अनेक  सदियों से वह जिन बेड़ियों में जकड़ी हुई थी उन बेडियाँ  को तोड़कर नई पहचान बनाने में जुटी है। आज वह अबला नहीं रही बल्कि सबला और समर्थ बन चुकी है। वर्तमान युग चेतना का युग है। चेतना से उसने अपने संघर्ष को धार दी और पीड़ा सहकर् अपने मौन को मुखर किया और अपने अस्तित्व का मजबूती से एहसास कराया। आज के दौर में अनेक क्षेत्रों में नई मिसाल पेश कर रही है।  विभिन्न चुनौतियों और प्रचलित सामाजिक भेदभाव का सामना करते हुए सफलता के साथ निरंतर अग्रसर है। हर प्रकार के अवरोध, तनाव, घरेलू दबाव को सहकर भी विकास की, सफलता की नई इबारत रच रही है। वह  सदियों से होते आए दमन और शोषण के प्रति जागरूक बनी है।

इन सब सफलताओ के वावजूद कुछ चिंतनीय आंकड़े आज भी हमे भयभीत करते है। देश के विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर दर्ज अपराधों पर एनसीआरबी ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार साल 2023 में महिलाओं और बच्चों पर हिंसा के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध में चार प्रतिशत 8.7% और 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2023 में साइबर अपराध भी 24.4 तक बढ़ गए। राष्ट्रीय महिला आयोग को पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायते प्राप्त हुई। जिसमें से समय ज्यादा उत्तर प्रदेश की है। सबसे ज्यादा शिकायतें गरिमा के अधिकार श्रेणी में प्राप्त हुई। घरेलू हिंसा के अलावा अन्य उत्पीड़न भी इनमें शामिल है। आंकड़ों में कहा गया है कि दहेज उत्पीड़न की 4,797 छेड़छाड़ की 2,349 पुलिस के प्रति पुलिस की उदासीनता की 1,618 और बलात्कार और बलात्कार के प्रयासों की 1,537 शिकायतें प्राप्त हुई।

नारी प्रेम, त्याग, बलिदान का पर्याय है। वह इसके बदले कुछ भी नही चाहती सिवाय सम्मान के। पर आज भी उसका कई स्तरों पर शोषण जारी है। कई क्षेत्रों में वह समानता व सम्मान के लिए आज भी संघर्ष कर रही है। बलात्कार, यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग, घरेलू हिंसा के ये आंकड़े बताते है कि उसको अभी भी लंबा सफर तय करना है।

यदि हम उसे समानता,सम्मान और अपराधमुक्त परिवेश देना चाहते है जहाँ वह भयरहित होकर मुक्त कंठ से स्वयं को अभिव्यक्त कर सके, तो हमें एक ऐसे समाज की जरूरत है जिसके पास अपने उच्च मूल्य हो, अपना सनातन चिंतन हो और एक खुला हुआ विकसित दिमाग।

आज तक का सफर चुनौती भरा जरूर है लेकिन उसमें हर चुनौती से लड़ने का साहस आ गया है। उसमें आत्मविश्वास आ गया है जिसके बल पर वह दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रही है और हर मोड़ पर, हर क्षेत्र में अपनी परिपक्वता का परिचय दे रही है। महिलाओं की स्थिति में आए इस सकारात्मक परिवर्तन में साहित्य जगत का भी महत्वपूर्ण योगदान है। विभिन्न लेखिकाओ ने अपनी कलम के बल पर महिलाओं की समस्याओं को उठाया और उनके लिए एक ऐसा मंच तैयार किया जहां वह बेखौफ होकर अपनी संवेदना को अपने दर्द को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त कर सकें।

आज की नारी एक नई चेतना से अभिभूत हुई है। वह जागरूक और सशक्त होकर अपने पथ पर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है और सफलता का स्वर्णिम इतिहास रच रही है।

प्रो. मनीषा शर्मा