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भव्यतम महाकाल कारिडोर – डाॅ. किशन कछवाहा

मध्यप्रदेश प्रान्त के उज्जैन में स्थित विश्वविख्यात महाकाल मंदिर कारिडोर को अत्यन्त सराहनीय तरीके से सजाया सवाँरा गया है। इस महान योजना के प्रणेता देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर को इसका लोकार्पण भी कर दिया। वह एक ऐतिहासिक महत्व का दिन था।

इस प्रख्यात महाकाल लोक में देश का प्रथम नाईट गार्डन भी कुछ इस तरीके से निर्मित किया गया है, जहाँ भगवान शिव के साथ ही साथ शक्ति और उनसे जुड़ी अन्यान्य धार्मिक घटनाओं को स्मरण करा देने वाली लगभग दो सौ से अधिक मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। यहाँ पर आकर श्रद्धालु गण भगवान शिव से जुड़े अनेक प्रसंगों का अनुभव कर सकेंगे। यहाँ पर सप्तऋषियों, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमलताल में भगवान आशुतोष की मूर्तिए तांडव की विभिन्न भंगिमाओं को दर्शाती प्रतिमायें और नंदी की विशाल प्रतिमा को यहाँ देखा जा सकता है। यह दिव्यए अलौकिक एवं अद्भुत है।

मूर्तियों में क्यूआर स्केन करके भी उनकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

महाकाल कारिडोर के प्रथम चरण के अंतर्गत महाकाल पथए महाकाल वाटिकाए रूद्रसागर के तटों का भी आकर्षक विकास किया गया है। श्रद्धालु यहाँ आकर भगवान शिव के दर्शन के अलावा धार्मिक पर्यटन का भी आनन्द उठा सकेंगे। कारिडोर में घूमने-फिरने और विश्राम करने जैसी सुविधायें भी उपलब्ध हो सकेंगी।

इस सम्पूर्ण योजना के अंतर्गत महाकाल लोक के विकास कार्यों में 865=00 करोड़ रूपये व्यय किये जाने हैं। इस वृहत राशि में से 421 करोड़ मध्यप्रदेश सरकार और 271 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार से प्राप्त हुये हैं। अभी दूसरे फेज का कार्य चल रहा हैए जिसके एक वर्ष के अंदर पूरे होने की सम्भावना है।

मंदिर क्षेत्र परिसर अब दो हेक्टेयर से बढ़कर बीस हेक्टेयर हो गया है। दूसरे फेस के काम होने तक 47 एकड़ तक हो जाने की उम्मीद है।

महाकाल पथ से लगे हुये ऐतिहासिक-पुराणकालीन रूद्रमहासागर की साफ-सफाई कर इसे विकसित किया गया हैए साथ ही इस रूद्रसागर में गिरने वाली गंदगी को रोक दिया गया है। उद्घाटन के समय दीपावली जैसा भव्य स्वरूप सर्वत्र नजर आ रहा था।

महाकाल कारिडोर के विकास के लिये 152 भवनों का भी अधिग्रहण किया गया और मंदिर को क्षिप्रा नदी से जोड़ा गया है। उज्जैन आकाश और धरती के केन्द्र बिन्दू पर स्थित है। “महाकालेश्वर” का तात्पर्य है। “समय का स्वामी।” इस अवसर पर पाँच लाख घरों में प्रसाद बाँटा गया है। महाकाल परिसर में 42 देवता विराजमान हैं। उज्जैन में महाकाल को पीठासीन देवता माना जाता है।

प्रतिक्रिया :- उज्जैन स्थित “श्री महाकाल लोक” की दिव्यता और केन्द्र और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किये गये अद्भुत कार्य की सराहना अब सारे देश में हो रही है। यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आजादी के बाद हमारे धार्मिक एवं आध्यात्मिक केन्द्रों के गौरव को पुनस्थापित करने का कार्य शासन द्वारा स्वयं की प्रेरणा से सम्पन्न हो रहा है। बढ़ती नित्यप्रति दर्शनार्थियों की संख्या इस बात की द्योतक है कि कार्यस्थल को चमत्कारिक ढंग से सजाया गया हैए जिसकी चर्चा सर्वत्र हो रही है। जन.जन के साथ स्वयं अधिकारीगण भी मुखरित हो उठे हैं।

शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य ने कहा कि श्री महाकाल लोक दिव्य हैए यहाँ सब कुछ अलौकिक अविस्मरणीय एवं अविश्वसनीय है। महाकाल लोक की यह प्रकट-अवधारणा मध्यप्रदेश की आने वाली कई पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता और सांस्कृतिक ऊर्जा की चेतना प्रदान करती रहेगी।

ऐसी ही अनेकानेक प्रतिक्रियायें मिल रहीं हैं जिनमें आशा की गयी है कि आज प्राचीन मूल्यों पर नया भारत खड़ा हो रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के पुण्यों का फल साकार हुआ। जब उन्होंने ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गत मंगलवार को गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की। उन्होंने वहाँ विशेष रूप से चाँदी का बिल्व पत्र पात्र में अर्पित भी किया। चाँदी शीतल होती हैए इसलिये यह शिव की प्रिय धातु मानी गयी है। चाँदी से बना बिल्व पत्र पात्र शीतलताए पत्र एकाग्रता तथा जिस स्थान पर दिव्य देवता को अर्पित किया जाता है वहाँ समृद्धि प्रदान करता है।

मंगलवार का दिन उज्जयिनी के लिये कुछ अलौकिक ही थाए उसे देवलोक के देवताओं ने भी देखा होगा। देवाधिदेव महाकाल के वैभव की अनुगूंज दिग्दिगंत तक सुनायी दी। मंगलवार का अवन्तिका नगरी में उदित सूर्य ने स्वयं राजाधिराज और इस सृष्टि के अधिपति महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अदभुत वैभव देखा। तब यह वैभव और भी चमत्कृत करने वाला बन गया जब देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रनायक, शिवभक्त श्री नरेन्द्र मोदी ने नवनिर्मित “श्री महाकाल लोक” का लोकार्पण करने पहुँचे। पूरी दुनिया में सनातन धर्मी अपने-अपने साधनों से इस दृश्य का देखने उज्जयिनी पर दृष्टि टिकाये हुये थे। उन्होंने वहाँ पहुँचकर विधिविधान से पूजन-अर्चन और ध्यान भी किया। मानो उज्जयिनी की हजारों वर्षोंं से चिर प्रतीक्षित साधनाका पुण्य फलित हो गया है। यहाँ उन्होंने षोडशोपवार पूजन कर भारत के यशस्वी होने की कामना की। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की द्वितीय तिथि का यह उज्जैन का यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया।

बाद में उन्होंने कार्तिक मैला मैदान पर आयोजित सभा को “मोदी-मोदी” के नारों के बीच उमड़े जन सैलाब को संबोधित करते हुये कहा कि उज्जैन के कण-कण में इतिहास सिमटा हुआ है……. आध्यात्म समाया हुआ है। कौने-कौने में ईश्वरीय ऊर्जा संचालित हो रही है।

यह भारत के अमृत-महोत्सव का काल है। इस अमृतकाल में यह राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना का पुनः आव्हान कर रहा है। सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिये यह जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुये और गौरव से सिर उठाकर खड़ा हो जाये। यह भारत अपने प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है। साथ ही विज्ञान व शोध परम्पराओं को भी पुनःजीवित कर रहा है।

आपने यह भी कहा कि मिशन चन्द्रयान और मिशन गगनयान जैसी सफलताओं से भारत बड़ी छलाँग लगा रहा है। हमने गुलामी के कालखण्ड में जो खोया हैए उसे भारत रिनोवेट कर रहा है।

आपने आशा व्यक्त करते हुये अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि महाकाल के आशीर्वाद से भारत की दिव्यता विश्व के लिये शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।

उल्लेखनीय है कि महाकाल मंदिर का पुनर्निनिर्माण 11वीं सदी में हुआ था। इसके 140 साल बाद दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। 18वीं सदी के चैथे दशक में मराठा राजाओं का मालवा पर आधिपत्य होने के बाद पेशवा बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वस्त सरदार राणौजी शिन्दे को सौंपा। 18वीं सदी के चैथे-पाँचवें दशक में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया।

200 से अधिक साधुसन्त व करीब एक लाख लोगों की मौजूदगी में लोकार्पण किया। स्थान-स्थान, शहर-शहर यह लोकार्पण कार्यक्रम देखा व सराहा गया। सराहना इस बात की कि मोदी युग में हो रहा है। सांस्कृतिक भारत का अभ्युदयए केदारनाथ धाम का भी हुआ कायाकल्प।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान ने कहा कि आज एक वैभवशालीए गौरवशालीए सम्पन्न समृद्ध व शक्तिशाली भारत का निर्माण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है। हम सौभाग्यशाली हैं कि इन पलों के साक्षी हैं। महाकाल की नगरी दीवाली की तरह प्रकाशवान हुयी।

महाकाल लोक-स्कंद पुराण के अवंतीखण्ड में उज्जैन महाकाल मंदिर के विशेष उल्लेख का होना इस बात का पर्याप्त सबूत  है कि इसके संदर्भ मिलते हैं। वर्तमान महाकालेश्वर मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर तीन खंडों में विभाजित है। निचले खण्ड में महाकालेश्वरए मध्यखण्ड में औंकारेश्वर तथा सर्वोच्च खण्ड में श्री नागचन्द्रशेखर स्थापित हैं।

केन्द्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के चमत्कारिक सामंजस्य से एक बड़ा सपना साकार हो गया है। एक और शिवभक्त श्री नरेन्द्र मोदी थेए तो दूसरी तरफ सूबे के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान की अपूर्ण एवं चैतन्य शैली से प्राचीन नगरी अवन्तिका ने अपना पूर्ण भव्य रूप धारण किया। कोई सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा अद्भुत महाकाल लोक बनेगा।

भारत का इतिहास प्राचीन है। इस मंदिर से जुड़ा 5000 साल पुराना ज्ञात इतिहास प्रत्यक्ष साकार उठ खड़ा हुआ है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि भारत फिर विश्वगुरू बनेगा। इसकी झलक मिलना भी प्रारम्भ हो गयी हैए जिसे दूसरे नरेन्द्र मोदी पूरा कर रहे हैं। यह दोनों सरकारों की सेवा और समर्पण का प्रतिफल है।

उज्जैन जैसा क्षिप्रा नदी के तट पर बसा नगर खगोल विज्ञान (एस्ट्रोनामी) से जुड़ा शीर्ष नगर रहा है। यह आध्यात्मिक ज्योति का विकास हैए भारत के ज्ञान, विज्ञान और वैराग्य का विकास है।