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महर्षि दधीचि के लोकहित परंपरा के संवाहक संघ के स्वयंसेवक

महर्षि दधीचि द्वारा लोकहित और मानव कल्याण में अपने प्राण त्याग देने के प्रसंग से शायद ही कोई व्यक्ति अनभिज्ञ हो l

त्याग, परोपकार, जनहित और लोक कल्याण को सर्वोपरि मानकर लोक के उद्धार एवं मानवता के कल्याण के लिए शरीर की हड्डियां तक देवताओं को समर्पित करने वाले महर्षि दधीचि के त्याग की प्रथा आज भी कुछ विशेष सेवाभावी लोग निरंतर आगे बढ़ाए जा रहा है l

कोरोना महामारी के दौर में जहां सम्पूर्ण देश एक अफरा तफरी का मौहाल और अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है, वहीँ ऐसे कठिन दौर में भी एक वर्ग है, जो मानवता के लिए अपने घरों से आज बाहर सेवा कर रहा है l

479949 स्वयंसेवक, 85701 स्थानों पर सेवाएँ: कोरोना के खिलाफ जंग में RSS

ये वही वर्ग है जो कोरोना की पहली लहर आने के बाद लोगों के कंधे थाम रहा था, किसी को जरूरी सामग्री का वितरण कर रहा था, तो कहीं प्रवासी मजदूरों की देखभाल व परिवहन में लगा था l पिछले साल के सेवा कार्यों के प्राप्त आंकड़ों की बात करें,

तो इस परंपरा के अनुन्यायी संघ के स्वयंसेवकों ने पूरे देश में 92 हजार 656 स्थानों पर सेवा कार्य किए, इसमें 5 लाख 60 हजार से अधिक स्वयंसेवक सक्रिय रहे, 73 लाख राशन किट वितरित किए, 4.5 करोड़ लोगों को भोजन पैकेट वितरित किए गए, 90 लाख मास्क का वितरण किया,

20 लाख प्रवासी लोगों की सहायता की गई और 2.5 लाख घुमंतू लोगों की अनेक प्रकार से सहायता की गई। समाज के बीच में रहने और दिखने वाले लोगों ने समाज के लिए ही एक असामान्य सेवाकार्य कर एक कठिन दौर में अपने समाज को संबल प्रदान किया था l

हम आज फिर एक साल पूर्व के जैसी ही स्तिथि में आ खड़े है, शायद उससे भी बत्तर, हज़ारों लोग संक्रमित हैं व हज़ारों अस्पताल व होम आइसोलेशन में समय काट रहे हैं l किसी को छोटी-छोटी सामग्री की जरूरत है, तो किसी को सही मार्गदर्शन व सही जानकारी की l

ऐसी स्तिथि में ही कुछ दिन पूर्व ही एक स्वयंसेवक से फोन पर बात हुई तो उस वक्त वे कोरोना महामारी के चलते देवलोक गमन कर गए एक व्यक्ति की अंतिम क्रिया की व्यवस्था करने में लगे थे l तब मन अत्यधिक व्यथित था और साथ कई प्रश्न भी,

कि उनका अपना परिवार व छोटे-छोटे बच्चे होने के बाद भी वे समाज की सेवा में निरंतर लगे हुए है l बहुत से परिचित प्लाज्मा से लेकर ब्लड व अस्पताल में बेड़ों की अवैलबलिटी पता कर नागरिकों को सही जानकारी उपलब्ध करवा रहे है l हर वो छोटी मदद कर रहे है,

जिससे कोई भी व्यक्ति प्रारंभिक समस्या से निजात पा लें l पिछले कुछ दिनों में लोगों की अस्पतालों में बेड की कमी को देखते हुए, प्रदेश के लगभग अधिक्तर सरस्वती शिशु मंदिर ने अपने स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर व वैक्सीनशन सेन्टर बना दिया l

घरों में आइसोलेट होने में समस्या प्रतीत होने वाले लोग निरंतर इन केंद्रों पर आ रहे है l अभी हाल ही में इंदौर में खंडवा रोड पर राधा स्वामी स्टेडिम में बन रहे विशाल कोविड केअर सेंटर की जिम्मेदारी उठाने का भी इन्ही स्वयंसेवकों ने बीड़ा उठा लिया है l

अगर भोपाल की बात करें तो शिवजी नगर, लाल-घाटी व अन्य क्षेत्रों में बने क्वारंटाइन सेंटर की देखभाल व भोजन व्यवस्था से लेकर सारी चिंता ऐसे ही स्वयंसेवक कर रहे है l वर्तमान में लगभग 200 बेड़ों की व्यवस्था इन चार क्वारंटाइन सेंटर पर कर रखी है,

और जल्द ही एक प्राइवेट कॉलेज के आपसी सहयोग से 400 बेड़ों की व्यवस्था जल्द ही हो जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी भी इन्ही स्वयंसेवकों के कंधों पर होगी l जब सड़के खाली हो, व्यक्ति से व्यक्ति को संक्रमण का खतरा हो, व्यक्ति घर से बाहर निकलने में व्यथित महसूस करता हो,

ऐसे में इन स्वयंसेवकों का सेवा कार्यों में सक्रिय रहना समाज में संबल प्रदान करता है, कोई विश्राम घाटों पर सेवा में लगा है, तो कोई अनेक अस्पतालों में भोजन व्यवस्था में, कोई प्लाज्मा दिलवाने के लिए सूची बना रहा है, तो कोई अस्पतालों में खाली बेड़ों की जानकारी प्राप्त कर पीड़ितों तक पहुँचा रहा है l

साथ ही साथ सेवा में निरंतर लगे हज़ारों डॉक्टरों, पैरा मेडिकल स्टॉफ, सफाई कर्मचारी, पुलिस कर्मचारी, शासकिय व प्राइवेट सेवा में लगे हर कर्मचारी का प्रोत्साहन व सम्मान कर समाज की हर पीड़ा में ये वर्ग आज साथ खड़ा दिखता है l आज इस प्रतिकूल समय में समाज को सबसे अधिक संबल व हौसले की ही जरूरत है,

जिस भी प्रकार से हम समाज की मदद कर सकें, हमे आगे बढ़कर करना चाहिए l शासन के सभी निर्देशों का पालन करना, संक्रमण से बचने की सभी सावधानियों का रखना व इन सेवा कार्यों में लगे सभी स्नेहीजनों का हौसला बढ़ाना समाज के प्रत्येक नागरिक का आज प्रथम कर्तव्य है l

श्री सुयश त्यागी जी की कलम से