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रॉयल गोंडवाना 1608 ईसवी में : कब कब टूटा गोंडवाना

गोंडवाना राज्य का स्वर्णिम इतिहास 1510 से माना जाता है, जब राजे संग्राम साही ने राज्य सम्भाला। तत्कालीन चार प्रमुख गढ़ को संगठित कर उनके अधीन 52 गढ़ों का गणराज्य बनाया।
ये आकर और राजस्व में मध्य भारत का सबसे बड़ा राज्य था।
इस राज्य को इसके चरम वैभव पर रानी दुर्गावती ने पहुँचाया, और 1564 में मुग़ल आक्रमण के एक वर्ष बाद मुग़ल भी समझ गए थे की गोंडवाना में गोंड के अलावा कोई और शासन नहीं कर पाएगा, इसीलिए उन्होंने राजा संग्राम साही के दूसरे पुत्र, राजा चंद्र साह को संधि हेतु बुलाकर रसद और आमद की संधि कर वापस 47 गढ़ कर दिये , मालवा से सटे दस गढ़ बस उनके पास रखे।
लेकिन औरंगज़ेब की मृत्यु तक राजा हिरदेसाही और निज़ाम (सूर्य) साही तक गोंडवाना अभेद्य रहा , यहाँ तक कई हिंदू शासकों ने मुस्लिम आक्रांताओं से बचने इसमें आश्रय और अभयदान पाया, कालांतर में नागपुर के भोंसले पहले नागपुर और चांदा के करद रहे।
चार प्रमुख राज्य थे – गढ़ा कटंगा (मध्यप्रदेश), देवगढ़ (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र), खेरला (छत्तीसगढ़) और चांदा (महाराष्ट्र)।
रिसले ने अध्ययन किया और समझा गोंडवाना की सामाजिक व्यवस्था को :
गोंड समाज में योग्यता आधारित सामाजिक विभाजन था, जो केवल आंतरिक गोत्र व्यवस्था के लिए था , बाहर का कोई भी गोंड समाज की आंतरिक सामाजिक व्यवस्था से अवगत नहीं था :
राज गोंड – कबीलों के मुखिया थे
ध्रुव गोंड – किसान थे
प्रधान – शिक्षा और अनुष्ठान के लिए थे
बैगा – जड़ी बूटी और वैद्य थे
गोवारी अहीर – पशुपालन के लिए थे
अगरिया गोंड – अस्त्र शस्त्र बनाते थे

उपरोक्त व्यवस्था केवल आंतरिक थी, सभी अपने गोत्र और देव व्यवस्था में थे।
अंग्रेजों ने संगठित गोंड सामाजिक व्यवस्था को ही नहीं तोड़ा, बल्कि विभिन्न आंतरिक व्यवस्था को अलग पहचान देकर, सामूहिक एकता तो तोड़ दिया, रिसले ने 1891 में जो विभाजन किया वो आज भी चल रहा है।
आज़ादी के बाद अपेक्षित था, गोंडवाना राज्य की राजधानी “नागपुर“ को बनाया जाता, जिसमें जबलपुर, रायपुर, छिन्दवाड़ा, आदिलाबाद, बिलासपुर जैसे शहर शामिल होते। यह आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध राज्य होता, लेकिन तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था को, ये क़तई मंज़ूर नहीं था।
जिस सांस्कृतिक अस्तित्व वाले राज्य को 1608 में पहले ब्रिटिश राजदूत सर थॉमस रो ने समझा उसे, 1950 में किसने नकार दिया।

आज गोंडवाना का इतिहास दबा दिया गया है, इसके गौरव को पुनर्स्थापित करने हमें, वापस अपनी पुरानी सामाजिक एकता को स्थापित करना होगा, भले प्रशासनिक रूप से गोंड समुदाय बँटे हों, सामाजिक रूप से राज गोंड, ध्रुव गोंड, प्रधान गोंड, अहीर गोंड, बैगा व अगरिया को एक राजनीतिक शक्ति के रूप में एकत्रित होना पड़ेगा, तब जाकर 1608 में अंग्रेजों द्वारा स्वीकार किए गोंडवाना राज्य को अपने पुराने गौरव पर लाया जा सकता है आज गोंड समुदाय की कुल जनसंख्या 2.5 करोड़ के समीप है, जो विभाजित है, उसकी सामाजिक शक्ति को समझें, और 52 गढ़ के वैभवशाली इतिहास को पुनर्स्थापित करें।

– कुंवर लक्ष्मण राज सिंह मरकाम
(राजा इमलाई/दियागढ़ )