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व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण

हम छात्र शक्ति के प्रखर पुंज,
हम देव भूमि के हैं साधक।।
हम छात्र शक्ति से राष्ट्र शक्ति,
गढ़ने वाले हैं आराधक।।

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सदैव कुछ ना कुछ सीखता रहता है किंतु संपूर्ण जीवन में विद्यार्थी जीवन स्वर्णिम काल की तरह होता है जहाँ से वह व्यक्ति अपने जीवन की दिशा और दशा दोनों का निर्धारण करता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र शक्ति के सर्वोमुखी विकास करने वाला विश्व का एकमात्र संगठन है। भारत ही नहीं विश्व के मानचित्र में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसा कोई दूसरा संगठन नहीं जो विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ राष्ट्र विकास का भी चिंतन मनन करता हो।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद 10 जुलाई 1949 अर्थात अपने शैशव काल से ही व्यक्ति विकास से राष्ट्रीय विकास के लिए सतत कार्य कर रहा है। स्वामी विवेकानंद जी को अपना चेतना पुंज मानकर युवा शक्ति को संस्कारों के साथ, अनुशासन के साथ, शिक्षा और शास्त्रों के साथ, व्यक्तित्व निर्माण के विभिन्न आयामों के साथ, राष्ट्र भाव के प्रति, राष्ट्री कर्तव्य के प्रति, विद्यार्थियों को शिक्षित प्रशिक्षित और जागरूक किया जाता है।

ज्ञान, शील, एकता के त्रिसूत्र में आबद्ध करके अभाविप की पाठशाला से विद्यार्थियों को तराशा जाता है। विद्यार्थी मात्र शिक्षा में ही नहीं, शिक्षा के साथ-साथ विनम्रता के मनोभावों से समाज के प्रत्येक क्षेत्र, आयु, वर्ग के विद्यार्थियों को संस्कारित करने कार्य सतत्, अनवरत चल रहा है।

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परिषद वह मंच है जिसने सबसे पहले भारत भूमि को दो भागों में विभाजित करने वाली धारा 370 का विषय समाज के सम्मुख रखा। इस विषय पर देश के हित में चिंतन किया गया, प्रतिवेदन लाए गए, आंदोलन किए गए और भारत की नव निर्माण में 1991 से प्रारंभ की गई यह यात्रा 2020 को अपने लक्ष्य सिद्धि के साथ संपन्न की गई। भारत का वह अंग जो धारा 370 के कारण भारत से तटस्थ था आज वह भारत का अभिन्न अंग हो गया। यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि परिषद में व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण होता है।

शिक्षा ही नहीं राष्ट्र हित से जुड़े जितने भी विषय समाज में व्यक्तियों के चिंतन में आते हैं, उन सभी विषयों पर यहाँ मंथन किया जाता है और उन विषयों को सकारात्मक रूप से समाज में और राष्ट्र में लाने का प्रयास किया जाता है।

जब विश्व कोरोना के भीषण संकट से गुजर रहा था उस समय परिषद का प्रत्येक कार्यकर्ता अपने-अपने घरों से निकलकर आपदा प्रबंधन का कार्य कर रहा था। समाज के सुदृढ़ क्षेत्रों के साथ-साथ अछूत क्षेत्रों में भी जाकर इन कार्यकर्ताओं ने कार्य किया। जहाँ पर कार्य करने की अनुकूल परिस्थितियों का अभाव था। वहाँ सच्चे सेवकों की तरह ये कार्यकर्ता तैनात थे।

व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का एक उदाहरण 15 अगस्त 2020 में देखने को मिला जिसमें स्वतंत्रता दिवस के दिन एक समय, एक साथ, एक ही दिन संपूर्ण भारत के लगभग 109000 स्थानों पर ध्वजारोहण किया गया तथा इस कार्यक्रम के निमित्त प्रत्येक क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्तियों को राष्ट्रीय भाव से जोड़कर समरसता के साथ एकता के सूत्र में बाँधा गया।

हम तरुणाई मैं संस्कारों की अलख जगायेंगे,
हम भारत में समरसता के भाव जगायेंगे।
हम नवयुग के भारत का अखंड दीप जलाएंगे,
हम विश्व गुरु भारत का ध्वज आगे लेकर जाएंगे।।

लेखिका:- नुपूर निखिल देशकर