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“सेम मानेकशॉ की रणनीति पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के परखच्चे उड़ाए”

(पाकिस्तान ही नहीं वरन् आधी दुनिया की शक्तियों ने घुटने टेके थे – सेम की सलाह पर पाकिस्तान के पराजित 8 उच्च सेनानायक युद्धबंदी के रुप में 28 माह जबलपुर में बंद रहे)

भारतीय सेना का देश दुश्मनों के लिए यह संदेश सर्वश्रुत है कि “ईश्वर हमारे दुश्मन पर दया करे, क्योंकि हम तो करेंगे नहीं।”

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में में हिंद की सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर धूल चलाकर पाकिस्तानी सेना के परखच्चे उड़ा दिए थे। एतदर्थ विजय दिवस की बधाईयों के साथ चलते हैं बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर सन् 1971 की ओर, साथ ही जानते हैं कि कैंसे पाकिस्तान के साथ आधी दुनिया की शक्तियों ने भारत के सामने घुटने टेके थे?

यह युद्ध प्रारंभ तो हुआ था, बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर के रुप में परंतु अमेरिका और इंग्लैंड के हस्तक्षेप से विश्व व्यापी बन गया। भारत और रुस एक साथ हो गए और व्यूह रचना के वास्तुकार जनरल सेम मानेकशॉ, ले. ज. जगजीत सिंह अरोड़ा, जे.एफ .आर. जैकब, सुजान सिंह, एडमिरल कुरुविल्ला,राॅ के प्रमुख रामनाथ काव, प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, रुस के राष्ट्रपति लियोनिद ब्रेझनेव, विरुद्ध दूसरे मोर्चे पर पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड की ओर से क्रमशः याहया खान, ले. ज. नियाजी, अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ही थे।

यह युद्ध 3 दिसंबर से 16 दिसंबर कुल 13 दिनों तक चला। अब विस्तार से आगे बढ़ते हैं कि कैंसे पाकिस्तान के साथ आधी दुनिया पराजित हुई? कैंसे आई. एन. एस. राजपूत ने आई. एन. एस. विक्रांत का स्वरुप लेकर पाकिस्तानी की गाजी पनडुब्बी पर काल की तरह टूटा और ध्वस्त किया? कैंसे पाकिस्तान की आधी नेवी समाप्त हुए? कैंसे एयरफोर्स ने 7 पाकिस्तानी एयर बेस और करांची एयर बेस को ध्वस्त कर आपरेशन चंगेज खान के धुर्रे उड़ा दिए? गन बोट डिप्लोमेसी (यू. एस. ए. एवं यू. के.) क्या है? ब्लिट्जक्रीग स्ट्रेटजी क्या थी?

मार्च 1971 के आते-आते पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान की ओर से 30 लाख लोगों को मार दिया गया और 2 करोड़ शरणार्थियों के आगमन की स्थिति बन गई, और वे भारत में प्रवेश करने लगे। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 25 अप्रैल 1971 को आपात बैठक बुलाई। अंततः तत्काल आक्रमण का निर्णय लिया गया परंतु जनरल सेम मानेकशॉ ने असहमति व्यक्त की। इस बात को लेकर यद्यपि श्रीमती इंदिरा गांधी और सेम में मतभेद हुए परंतु जब सेम ने वस्तु स्थिति स्पष्ट की तो श्रीमती गांधी सहमत हुईं। सेम ने कहा कि “मानसून आते ही नदियों में बाढ़ जैंसे स्थिति बनेगी वायुसेना भी ठीक तरह से सहायता नहीं कर सकेगी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन, ऐंसे मौके पर पाकिस्तान का सहयोग निश्चित करेगा और हम हार जायेंगे”। इसलिए दिसंबर में हमला किया जाये उत्तर – पूर्व में बर्फ जम जायेगी और चीन का सहयोग नहीं मिलेगा। पाकिस्तान की गुप्तचर व्यवस्था ये जानने में असफल रहीं कि भारत ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर पूरी तैयारी कर ली है।

4 दिसंबर को सेम ने पाकिस्तान पर आक्रमण की तैयारी कर ली। पाकिस्तान ने उतावलेपन 3 दिसंबर को अमृतसर एयर बेस समेत अन्य एयर बेस को निशाना बनाते हुए आक्रमण कर दिया और सन् 1971 का बांग्लादेश लिबरेशन वाॅर प्रारंभ हो गया। पाकिस्तान ने इस एयर अटैक को आपरेशन “चंगेज खान” नाम दिया। भारत ने जवाब आपरेशन कैक्टस – लिली और सर्चलाइट के अंतर्गत दिया, पाकिस्तान के 7 एयर बेस उड़ाये और कराची बेस को ध्वस्त कर आपरेशन चंगेज खान की कमर तोड़ दी। पाकिस्तान ने अमेरिका से 10 वर्ष के लिए उधार ली पनडुब्बी पी. एन. एस. गाजी को भारत के जहाजी बेड़े आई. एन. एस. विक्रांत को नष्ट करने के लिए लिए भेजा। तब आई. एन. एस. राजपूत को विक्रांत का स्वरुप देकर आगे बढ़ाया गया। आखिरकार राजपूत ने गाजी को खोज लिया और काल की तरह टूटा पनडुब्बी स्वाहा हो गयी। आपरेशन ट्राइडेंट और आपरेशन पायथन के अंतर्गत एडमिरल कुरुविल्ला और वाइस एडमिरल कोहली के नेतृत्व में नेवी ने कहर बरपाया, 10 पाकिस्तानी युद्धपोत दफन कर कराची बेस के चिथड़े उड़ा दिए।

पाकिस्तान की आधी जल सेना तबाह हो गयी। थल सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर भयंकर कहर बरपाया। लोंगोंवाल का प्रसिद्ध युद्ध हुआ। सेना ने पाकिस्तान में 5795 वर्ग मील कब्जा कर लिया (आजाद कश्मीर, सिंध और पंजाब) बाद में उनको वापस किया। यह तत्कालीन सरकार ने गलत किया क्योंकि यह सही समय था कश्मीर समस्या को हल करने का।

अब चलते हैं पूर्वी पाकिस्तान जहाँ पूर्वी कमान के ले. ज. जगजीत सिंह अरोड़ा ने मोर्चा संभाला था। आपरेशन जैकपाट के साथ ब्लिट्जक्रीग वाॅर स्ट्रेटजी (द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने इसका प्रयोग किया था) का प्रयोग किया गया। पाकिस्तानी सेना त्राहि माम करने लगी, और 16 दिसंबर 1971 को द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत विश्व का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण पाकिस्तानी ले.ज. नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ किया। लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के साथ 7 बड़े सेनानायक युद्धबंदी के रुप में जबलपुर लाए गए जिनके भाग्य का निर्णय बाद में हुआ। जबलपुर का यह युद्ध बंदी शिविर नंबर 100, तत्समय ए. ओ. सी. स्कूल, विजयंत ब्लाक था, सन् 1971 में पाकिस्तान की शर्मनाक पराजय और हमारी सेना के साहस और शौर्य का अप्रतिम प्रतीक है। पराजित पाकिस्तानी सेनानायकों में, लेफ्टिनेंट जनरल ए. ए. के. नियाजी, मेजर जनरल मोहम्मद हुसैन अंसारी, मेजर जनरल नजर हुसैन शाह, मेजर जनरल राव फरमान अली, मेजर जनरल मोहम्मद जमशेद, मेजर जनरल काजी अब्दुल मजीद खान, रिअर एडमिरल मोहम्मद शरीफ और एयर कमांडर इनामुल हक खान को जबलपुर में 28 माह तक युद्धबंदी के रुप में रखा गया था। शिमला समझौते के बाद ही इनकी मुक्ति हुई। गौरतलब है कि जबलपुर ब्रिटिश काल से ही भारत के सामरिक महत्व का सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, सन् 1948 में पाकिस्तान के साथ सन् 1962 में चीन के साथ और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में सहभागिता रही है, इसी कड़ी में सन् 1971 में बांग्लादेश लिबरेशन वॉर में जबलपुर की आयुध निर्माणियों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आयुध निर्माणी खमरिया (ओ. एफ. के.), केंद्रीय शस्त्रागार (सी. ओ. डी.) तोपगाड़ी निर्माणी (जीसीएफ) वाहन निर्माणी (व्हीकल फैक्ट्री) का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जबलपुर में थल सेना के 4 मुख्यालय हैं। जबलपुर की कोर ऑफ सिगनल्स ने सन् 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय सेना – संचार व्यवस्था को संभाला। कोर आफ सिगनल्स के सैनिकों को कठिन परीक्षण से गुजरना पड़ा क्योंकि पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर युद्ध हो रहा था। इस कठिन परीक्षा में यह संगठन अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप खरा उतरा। ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर जबलपुर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साथ ही जम्मू कश्मीर राइफल्स, जबलपुर ने बांग्लादेश लिबरेशन वार में पश्चिमी मोर्चे पर कहर बरपाया। वहीं जबलपुर स्थित म. प्र. बिहार एवं उड़ीसा मुख्यालय के सैनिकों ने भी सन् 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

अब कूटनीतिक पद “गन बोट डिप्लोमेसी” की चर्चा करना बहुत आवश्यक है। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत के विरुद्ध प्रश्न उठाया पर रुस ने कामयाब नहीं होने दिया। फलतः कुंठित होकर भारत को भयाक्रांत करने के लिए अमेरिका ने अपना 7वाँ जहाजी बेड़ा और इंग्लैंड ने ईगल भेजा परंतु रुसी कमांडर ब्लादिमीर ने 10 वीं आपरेटिव नेवल ग्रुप के साथ परमाणु पनडुब्बियों से घेर लिया और धमकाया की वापस लौट जाओ नहीं तो डुबा देंगे। अमेरिका और इंग्लैंड अपनी फजीहत कराकर अपना कृष्ण मुख लेकर वापस लौट गये, और इस तरह आधी दुनिया की शक्तियों की पराजय के उपरांत भारत 6वीं विश्व शक्ति के रूप में सामने आया।

!! जय हिंद की सेना !!


डॉ. आनंद सिंह राणा