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हम हाथ, थामेंगे साथी….!

इस कालखण्ड में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी तरह से परेशान है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष। चाहे बीमारी से हो या मानसिक तनाव से। इस समस्या से सामूहिक तौर पर सरलतापूर्वक लड़ा जा सकता है। एक दूसरे का भावनात्मक सहयोगात्मक हाथ थामिए।

अपने अन्दर के मनुष्य को देवता बनाइए, प्रयास करिए, जिसकी जैसे सहायता कर सकते हों। उस तरह से सहायता करिए। मनुष्य ही नहीं, मनुष्यता भी संकट में है, लोग अपने तक सीमित होते चले जा रहे हैं। हमें इससे बचना है। मनुष्यता का परिचय दीजिए।

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अपने आस-पास परिचित व्यक्तियों के लिए महाबली बनिए। आपसे यथासंभव जो भी मदद हो सके, उसके लिए कृतसंकल्पित हो जाइए। सहायता के लिए प्रार्थना करने वाला, आपको अपना समझता है। उसे आप पर पूर्ण विश्वास है, तब आपसे निवेदन करता है।

इसलिए यदि आप सशक्त-सामर्थ्यवान हैं तो सहायता करने से पीछे हटने और मना करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। यह परीक्षा का समय है, जब परमात्मा सभी को परखने का अवसर दे रहे हैं। कोई न कोई माध्यम बनाकर वे हम सभी के समक्ष अपना सन्देश प्रकट कर रहे हैं।

सुख की घड़ी में सबकी उपस्थिति रहती है, लेकिन यदि आसपास कहीं दु:ख है तो उसे हरने में हमें तो प्रतिबध्द होना ही चाहिए। इसे समझिए और आगे बढ़कर सहायता करने के लिए तत्पर रहिए। हर जगह, लोग सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। प्रत्येक संकट का समाधान घर-परिवार-समाज ने ही किया है।

सबके साथ से इस संकट को हम सब हराएँगे। विश्वास करिए, ये काली घटाएँ शीघ्र छँट जाएँगी। और पुनश्च सबकुछ दैदीप्यमान हो जाएगा। परमात्मा का स्मरण और उनका पूजन करते रहिए, जगन्नियन्ता से बड़ा कोई भी नहीं है। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से बचिए, और बचाइए।

नकारात्मक खबरें-सन्देश प्रसारित करना पूर्णरूपेण बन्द कर दीजिए, हँसिए-हँसाइए। और अपनी खिलखिलाहट से सबको ऊर्जावान बनाइए। रात के बाद दिन और दिन के बाद रात का क्रम अवश्य आता है। ठीक, ऐसा ही इस समय है। अतएव घबराएँ-नहीं। धैर्य व सम्बल बनाए रहिए,

सकारात्मकता के साथ उस कार्य में संलग्न हो जाइए,जिसके लिए समय के अभाव से जूझते रहे हैं। हमारे धर्मग्रंथों में पूरा मानव विज्ञान व प्रत्येक परिस्थिति का हल है। उनका पारायण करिए और मर्म समझिए। सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम उस आराध्य को भूल रहे हैं,

जबकि यह समय वह है जब हमें उस दृश्य-अदृश्य, साकार-निराकार, सगुण-निर्गुण, परमपिता परमात्मा का ध्यान करने। योग-प्राणायाम के माध्यम से मन:स्थिति को सन्तुलित रखना है। ध्यान रखिए! जो सृष्टि का रचनाकर्ता उसके पास समस्याओं का समाधान भी है।

!भगवान श्री राम प्रभ  सबका मङ्गल करें!

!!स्वस्थ रहिए-सुरक्षित रहिए!!

लेखक:- श्री कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
सम्पर्क – 9617585228