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कृषि व किसान की उन्नति के लिये एकात्म समन्वित कृषि की जरुरत- भैयाजी जोशी

जबलपुर- भारत का अपना दृष्टिकोण व चिंतन है। जो की प्राचीन है। युगानुकुल व्यवस्थाओं के साथ कृषि में परिवर्तन करते हुए शास्वत चिंतन करना होगा। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने कृषि विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय किसान संघ व भारतीय एग्रो इकानोमिक रिसर्च सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रखे।

श्री जोशी ने कृषि व किसान की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मात्र खाद्यान्न उत्पादन की मंशा के साथ युगानुकुल व्यवस्थायें अपनाकर कृषि व किसान का हित नही हो सकता है। हमें भूतकाल से सीखते हुए वर्तमान की समीक्षा करके भविष्य का मार्ग बनाना होगा।

श्री जोशी ने कृषि की समस्याओं के समाधान की बात करते हुए कहा कि कृषि व किसान की उन्नति के लिये एकात्म समन्वित कृषि की जरुरत है। तभी युगानुकुल व्यवस्थायें अपनाकर कृषि, किसान व गाँव स्वाबलंवी, आत्मनिर्भर, समर्थ व संपन्न होंगे।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मन्त्री श्री दिनेश कुलकर्णी ने उद्घाटन सत्र में दो दिवसीय राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में चर्चा व चिंतन में शामिल होने वाले विषयों की प्रस्तावना को रखा। कनेरीमठ के स्वामी मुप्पीन काडसिद्धेश्वर स्वामी ने कृषि क्षेत्र में पलायन पर चिंता वक्त की। प्रारम्भ में उद्घाटन कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित श्री सुरेश भैया जी जोशी, कनेरीमठ के स्वामी मुप्पीन काडसिद्धेश्वर स्वामी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, डॉ. जलपती राजू , कुलपति डॉ.पी के विषेन ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

मंच का संचालन डॉ. आशुतोष मुर्कुटे ने किया। इस अवसर पर देश भर के कृषि वैज्ञानिकों के साथ साथ भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय मंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, क्षेत्र संगठन मंत्री महेश चौधरी, प्रांत संघठन मंत्री भरत पटेल, प्रदेश प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल, प्रांत महामंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, जिलाध्यक्ष मोहन तिवारी सहित सभी प्रमुख प्रांत, जिला के पदाधिकारियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

भूमि सुपोषण, बीज, जल प्रबंधन, फ़सल सुरक्षा व पशुपालन पर होगा चिंतन
भारतीय एग्रो इकानोमिक रिसर्च सेंटर के महामंत्री श्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि दो दिवसीय राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में देश भर के वरिष्ठ वैज्ञानिक “आदान समग्रता से शाश्वत कृषि” विषय पर अपना चिंतन व विचार रखकर कृषि की समस्याओं पर समाधानपरक निदान रखेंगे।

कृषि वैज्ञानिकों की व्यासपीठ में किसान व कृषि की उन्नति के लिये पर्यावरण सुसंगत मार्ग पर विस्तृत चर्चा होने के उपरांत उपयुक्त समाधान भी देश के नीति निर्धारकों के समक्ष रखा जायेगा। श्री चौधरी ने आगे बताया कि किसान व कृषि की दुराव्यवस्था के लिये पूंजीवादी व्यवस्था उत्तरदायी है। ऐसे में किसान व कृषि के पुनरुत्थान के लिये कृषि आदानों में स्वदेशी विकल्प की अनिवार्यता जरूरी है। राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में भूमि सुपोषण, बीज, जल प्रबंधन, फ़सल सुरक्षा व पशुपालन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चिंतन व चर्चा जारी है।

देश भर के कृषि वैज्ञानिक हो रहे हैं शामिल
राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन के संयोजक श्री आशुतोष मुर्कुटे ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक सम्मेलन में देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों व कृषि से सम्बंधित शोध संस्थानों के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं। जो दो दिन तक यहां रहकर विभिन्न सत्रों में कृषि व किसान के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन व चर्चा में भाग लेंगे।