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क्रांतिवीरों के सम्मान में जलाये दीप

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम अंतर्गत दी गई क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि

मंडला- गुमनाम क्रांतिवीरों के सम्मान में दीप जलाये गये जो इतिहास में कहीं गुम होकर रह गये थे। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव अंतर्गत जो विभिन्न कार्यक्रम पिछले समय से आयोजित किए जा रहे हैं उन कार्यक्रमों में यह कार्यक्रम अपनी एक अलग पहचान रखता है।

1857 की क्रांति से सभी देशवासी परिचित हैं। नगर का युवा वर्ग अब तक इस बात से अंजान था कि 1857 में हमारे नगर के वीरों ने भी आजादी के लिए न केवल संग्राम किया बल्कि एकजुटता दिखाकर अंग्रेजों को परास्त भी किया था। इस दौरान बड़ी संख्या में क्रांतिवीर स्वाधीनता के लिए शहीद भी हुए। अनेक क्रांतिवीरों को अंग्रेजों द्वारा बड़ चौराहे के उस बरगद के वृक्ष में फांसी में लटका दिया गया था जो आज भी जीवंत इतिहास के रूप में हमारे समक्ष मौजूद हैं। इसी बरगद के वृक्षतले उन अनाम क्रांतिवीरों को नगरवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की उनकी याद में दिये जलाये गए।

बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने दुकानों में जलाये दीप
कार्यक्रम का प्रारंभ भारत माता के चित्र एवं बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हुआ जिसमें नगरवासियों द्वारा क्रांतिवीरों के सम्मान में बरगद के वृक्ष के नीचे दीप प्रज्जवलन किया गया और दीपों की एक श्रंखला बड़ चौराहे से लेकर जयस्तंभ उदय चौक तक जारी रही। महिलाओं ने दीपों को आस पास स्थित दुकानों में भी क्रांतिवीरों की याद में सम्मान करते हुए रखा। कार्यक्रम में सहयोग करते हुए इन दुकानदारों ने पहले से ही इन बलिदानियों की याद में अपनी दुकानों में दिये जलाकर रखे हुए थे। दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात दुर्गेश बैरागी के नेतृत्व में घोष वादन टोली द्वारा घोष बजाकर क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

बलिदानियों के सम्मान में एकत्र हुआ मंडला
इस अवसर पर क्रांतिवीर पुण्यस्मृति कार्यक्रम समिति के प्रमुख हीरानंद चंद्रवंशी ने कहा कि नवंबर 1857 में मंडला के वीर योद्धाओं ने अपने अदम्य साहस के साथ आधुनिक हथियारों का सामना धनुष बाण, तलवार, भाला जैसे परंपरागत हथियारों से करते हुए अंग्रेजों को नाकों चने चबाने मजबूर कर दिया। जिले के मालगुजार एवं जमींदारों ने अपनी सेना के साथ मंडला नगर में 24 नवंबर को आक्रमण कर दिया। लेकिन नवीन आग्नेय अस्त्रों का सामना नहीं कर सके। अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को खदेड़ दिया और जो 21 वीर डटे रहे वे पकड़े गये। अगले दिन क्रांतिकारियों की कई और टुकड़ी मण्डला पहुंच गई जिसने तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर वडिंगटन को खदेड़ दिया। वडिंगटन के मण्डला छोड़ते ही मंडला नगर भी स्वतंत्र हो गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई गुमनाम वीर शहीदों की स्मृति में आज हम सभी उन्हें याद करने सम्मान देने यहां एकत्रित हुए हैं।

भारत माता की आरती के साथ हुआ समापन
कार्यक्रम स्थल पर उस समय के घटनाक्रम से संबंधित जो पेंटिंग लगाई गई है वह हमारे नगर के ही चित्रकार अशोक सोनवानी द्वारा कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से बनाई गई है इसके साथ ही नगर के समाजसेवी बैशाखू नंदा ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान क्रांतिवीरों के याद में एक गीत प्रस्तुत किया आजादी की अलख जगाता और क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते इस गीत की रचना नगर के ही प्रख्यात कलाकार श्याम बैरागी ने की है। भारत माता की आरती के पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ।