Trending Now

सीताफल की मिठास महिलाओं को बनाएगी आत्मनिर्भर

सिवनी- सीताफल की मिठास महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी। एक जिला एक उत्पाद में जिले के सीताफल का चयन किया गया है। इसमें सशक्त स्व-सहायता समूहों की महिलाएं आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का सपना साकार करने का प्रयास कर रही हैं।

जिले के छपारा में महादेव महिला आजीविका ग्राम संगठन खैरमाटाकोल (भूतबंधानी) के 11 स्व-सहायता समूह की 35 महिलाओं ने सीताफल प्रसंस्करण इकाई शुरू की है। इसमें सीताफल प्रसंस्करण कार्य करते हुए पल्प (पेस्ट) बनाकर बर्फीकरण करके फ्रिजर में संरक्षित किया जा रहा है। इसे बेचने के लिए नागपुर, जबलपुर के आइसक्रीम व खाद्य व्यापारियों को खाद्य सामग्री में उपयोग के लिए बेचा जा रहा है।

तैयार किया 40 किलो पल्प- समूह की अध्यक्ष संतोषी वर्मा ने बताया कि सीताफल प्रसंस्करण इकाई सीताफल के सीजन के अंतिम दिनों में शुरू हुई है। समूह की महिलाओं ने करीब डेढ़ सौ कैरेट सीताफल खरीदा था। इनका प्रसंस्करण कर 40 किलो पल्प तैयार कर फ्रीजर में संरक्षित रखा गया है। 20 किलो छोटे आकार के सीताफल में चार किलो पल्प तैयार हुआ है। ये पल्प कभी खराब नहीं होता है। इसका उपयोग आइसक्रीम व हेल्थ पाउडर के लिए होता है। अभी उन्हें करीब डेढ़ सौ किलो पल का आर्डर मिला है। इससे समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। धीरे धीरे प्रसंस्करण इकाई को और बढ़ाया जाएगा ताकि महिलाएं प्रगति कर सकें।

सीताफल का छिलका व बीज भी बनाएंगे आत्मनिर्भर- समूह की महिलाओं ने बताया है कि सीताफल का पल्प तो आमदानी का साधन बनेगा ही, वहीं इसके छिलके व बीज भी आत्मनिर्भर बनाएंगे। उन्होंने बताया है कि सीताफल के छिलके को एक टांका में एकत्र कर जैविक खाद तैयार की जाएगी। इसकी मांग बाजार में बहुत है। वहीं सीताफल के बीज का उपयोग कॉस्मेटिक वस्तुओं में किया जाता है। आजीविका मिशन इसके लिए महानगरों की कंपनियों से संपर्क कर रहा है।

मशीन से अलग-अलग हो जाता है पल्प व बीज- महिलाओं ने बताया है कि आजीविका मिशन से उन्हें दो फ्रीजर व एक पल्प निकालने की मशीन मिली हैं। इस मशीन में सीताफल के छिलके को अलग कर डाला जाता है। इसके बाद सीताफल का पल्प व बीज अलग अलग हो जाते हैं। पल्प को पैकेट में भरकर फ्रीजर में संरक्षित रख दिया जाता है।

सीताफल प्रसंस्करण इकाई का संचालन कर समूह की 35 महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। अजीविका मिशन से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने इकाई शुरू की है। समूह द्वारा तैयार किए गए पल्प के लिए महाराष्ट्र, नागपुर, जबलपुर व अन्य महानगरों में बाजार तैयार किए जा रहे हैं, ताकि महिलाओं के उत्पाद अच्छे दामों में बिक सके।

-साभार नईदुनिया