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वैश्विक गणेश गिरमिटियाओं के देश में ‘भगवान विनायक’…

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गिरमिटियाओं के देश में ‘भगवान विनायक’…

गणेश चतुर्थी के दिन, पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश रखकर, लोगों को गणेश उत्सव मनाने के लिए प्रेरित करने वाला, विश्व का एकमात्र देश हैं – मॉरीशस..! अफ्रीका के पूर्व तट पर बसा, एक छोटा सा, निसर्गरम्य देश…

गणेश भगवान मॉरिशस के आराध्य हैं. गणेश चतुर्थी के दिन पूरे देश में उत्सव का माहौल रहता हैं. प्रत्येक हिन्दू के घर में गणेश जी की स्थापना होती हैं. यहां गणेश जी को ‘विनायक’ नाम से जाना जाता हैं. पूरे देश में अनेक हिन्दू मंदिर हैं।

लगभग सभी मंदिरों में गणेश भगवान विराजित हैं. कुछ गणेश जी के स्वतंत्र मंदिर भी हैं. यहां का मराठी समुदाय, विशेष रूप से गणेश उत्सव मनाता हैं. रास्तों पर नाचे – गाते, ढ़ोल – मंजिरा बजाते हुए गणेश विसर्जन होता हैं।

मॉरिशस के हृदय स्थल पर स्थित सवान्ने जिले मे, पर्वतीय क्षेत्र में एक तालाब हैं, जिसे यहां के नागरिकों ने ‘गंगा तलाव’ नाम दिया हैं. इस तलाव में कुछ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन होता हैं. बाकी सभी प्रतिमाएँ समुद्र में विसर्जित की जाती हैं।

मॉरिशस की १३ लाख जनसंख्या में लगभग ७०% लोग भारतीय मूल के हैं. ये सब १८३४ के बाद यहां लाए गए. सन १८०७ में ब्रिटिश सरकार ने गुलामी प्रथा समाप्त करने की घोषणा की. तब तक, मॉरिशस के गन्ने के खेतों में काम करने के लिए मजदूर, आस पड़ोस के अफ्रीकी देशों से ही, गुलाम के रूप में, लाये जाते थे।

फिर गुलामी समाप्त हुई तो प्रश्न उठ खड़ा हुआ, की मॉरिशस की इस उपजाऊ जमीन में काम करने किसे लाया जाए ? ‘भारत के मजदूर’ यह इसका उत्तर था. इन मजदूरों को अंग्रेजों ने बीस – बीस वर्षों के करारनामे पर मॉरिशस लाया. इनमे सभी प्रान्तों के लोग थे. बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र… आदि…

बाद में क़रारनामा समाप्त होने के पश्चात, इन भारतियों ने अपनी जबरदस्त मेहनत और हिम्मत के बलबूते, यहां पर जमीन खरीदी. खेतों में अच्छी फसल ली. आज सभी भारतीय, मॉरिशस में अच्छे स्थानों पर हैं, संपन्न हैं।

यहां भारतीय मूल के लोगों की ही सरकार बनती हैं. भारतीय मूल का व्यक्ति वहां का प्रधानमंत्री होता हैं, जैसे ‘प्रवीण जगन्नाथ’, जो वर्तमान में प्रधानमंत्री हैं।

मॉरिशस में अनेक गणेश मंदिर हैं. विशेषतः मराठी व्यवस्थापन वाले गणेश मंदिर, ‘विनायक मंदिर कहलाते हैं. मोंट इडा के गणेश मंदिर ने इस वर्ष, कोविड के बावजूद धूमधाम से गणेश उत्सव मनाया. पॉइंट दे लस्कर में ‘स्प्रिचुअल पार्क’ हैं, जिसमे काले पत्थर की बनी, ८ फीट ऊंची गणेश मूर्ति हैं, जो अत्यंत पवित्र और सिध्द मानी जाती हैं।

फ़िजी

सुदूर, ऑस्ट्रेलिया के पास, प्रशांत महासागर में कुछ छोटे छोटे द्वीप मिलाकर फ़िजी नाम का देश बना हैं. लगभग ९ लाख जनसंख्या के इस छोटे से देश में, हिन्दी यह इस देश की एक अधिकृत भाषा हैं।

यहां पचास से ज्यादा हिन्दू मंदिर हैं, जिनमे भगवान गणेश की मूर्तियां हैं. इस द्वीप समूह में दो स्थान प्रमुख हैं – वीथी लेउ और वनुआ लेउ. इन सभी क्षेत्रों में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता हैं…

इस देश में भारतीय आए, वो मॉरिशस जैसे ही. खेतों में काम करने वाले मजदूरों के रूप में. इनमे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग ज्यादा थे. मॉरिशस से लगभग १० वर्षों के बाद, अर्थात १८४५ से, भारतीय यहां आते गए. आज वे ४०% के आसपास हैं।

और देश की राजनीति में और प्रशासन में खासा दखल रखते हैं. होली, रामनवमी और दीवाली को यहां राष्ट्रीय अवकाश रहता हैं. अनेक हिन्दू मंदिर यहां हैं और भगवान गणेश की आराधना, प्रत्येक कार्य प्रारंभ करने के लिए की जाती हैं.।

नादी क्षेत्र मे, श्री शिव सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर यह फ़िजी के भारतियों के आस्था का प्रमुख केंद्र हैं. वाइडेलिक, तालेवु के सूर्य नारायण मंदिर के तत्वावधान में सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाता हैं. राजधानी सुवा में गणेश विसर्जन की बड़ी शोभायात्रा निकलती हैं।

त्रिनिनाद – टोबेगो

तेरा लाख जनसंख्या वाले ये द्वीप, ‘वेस्ट इंडीज’ समूह का हिस्सा हैं. लगभग २३% हिन्दू जनसंख्या का प्रभाव इस देश पर हैं. यहां अनेक मंदिर हैं. भगवान गणेश की पूजा, प्रत्येक भारतीय घर में होती हैं. गणेश जी को यहां विघ्नहर्ता माना जाता हैं।

त्रिनिनाद में ‘संख्या टी वी’ यह पहला हिन्दू चैनल हैं, जिस पर त्रिनिनाद के गणेश विसर्जन शोभायात्रा का चालित वर्णन (running commentary) चलता रहता हैं. इन दोनों द्वीपों में गणेश विसर्जन का कार्यक्रम यह आकर्षण का केंद्र रहता हैं. यहां भी १८५७ के स्वातंत्र्य युध्द के थोड़े पहले से भारतीय आने लगे थे।

सूरीनाम

दक्षिण अमेरिका के तट पर बसा यह एक छोटासा देश. मात्र ६ लाख जनसंख्या वाला. यहां भारतियों की संख्या लगभग एक चौथाई हैं. भोजपुरी मिश्रित हिन्दी, यहां की तीसरे क्रमांक की राष्ट्रीय भाषा हैं. अनेक हिन्दू मंदिर हैं. गणेश भगवान लगभग प्रत्येक मंदिर में विराजमान हैं. गणेश उत्सव यहां उत्साह से मनाया जाता हैं।

सूरीनाम के राष्ट्रीय राजनीति में हिन्दू समुदाय की ख़ासी दखल हैं. वर्तमान उप-राष्ट्रपति अश्विन अधीन जी, बड़े गर्व के साथ कहते हैं, ‘हां, मैं स्वाभिमानी हिन्दू हूं..!’

मॉरीशस, फ़िजी, त्रिनिनाद – टोबेगो, सूरीनाम… ये देश विश्व के शब्दशः कोने कोने में हैं. इन सभी देशों में डेढ़ सौ – पौने दो सौ वर्ष पहले भारतीय, ‘गिरमिटिया मजदूर’ के रूप में गए. अत्यंत कष्ट सहते हुए वहां डटे रहे।

अपनी मेहनत, हिम्मत और पुरुषार्थ के बल पर आज इन सभी देशों में भारतीय, प्रमुख भूमिका में हैं. इस दौरान उन्होने स्थानिक लोगों से संघर्ष नहीं किया, वरन उनके साथ मिलकर देश को खड़ा किया. हिन्दू धर्म के प्रति उनमे आस्था जगाई।

आज विश्व के सभी हिस्सों में भगवान गणेश के जयकारे लग रहे हैं. विश्व, हम हिंदुओं के विघ्नहर्ता भगवान को अपना रहा हैं।