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“ईसाइयत के प्रचार प्रसार के ठेकेदार हुए पर्दाफाश” नोट तक तो फिर भी ठीक था, लेकिन डॉलर की बरामदी बहुत कुछ कहती है

आज एक बहुत बड़ी घटना सामने आई, मैं तो इसे घटना ही कहूंगा और घटना क्या हुई कि ईसाई धर्म गुरु के घर ईओडब्ल्यू का छापा जिसमें करोड़ों रुपयों की बरामदी बड़ी संख्या में विदेशी मुद्रा की जब्ती हुई और यह घोटाला इतना बड़ा है कि नोट गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन बुलानी पड़ी।

यह कोई सामान्य घटना नहीं है और ना ही यह उस न्यूज़ की तरह है जिसमें कोई घोटाला हुआ भ्रष्टाचार का आरोप लगा और छापा पड़ा यह घटना एक प्रकार से ईसाई मिशनरियों के द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण के कार्यक्रम को पर्दाफाश करता है यह ईओ डब्ल्यू का छापा कोई समान अनुक्रम में किया गया छापा नहीं है यह इसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण के कार्यक्रम उनकी कार्यशैली उनके प्रयोग उनके धनबल की जड़ों तक पहुंचने का एक रास्ता प्रदान करती है।

इस घटना से यह बात तो स्पष्ट हुई कि कैसे हमारी और आपकी गाड़ी कमाई जो हम अपने बच्चों की फीस के रूप में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए इनके संस्थानों में भेजते थे कि इनका एजुकेशन सिस्टम अच्छा है हमारे बच्चों का भविष्य अच्छा होगा इनकी संस्थानों में पढ़कर हमारी उस मेहनत की कमाई को अपने फायदे के लिए तथा हमारी मोटी गाढ़ी कमाई को धार्मिक संस्थाओं को ट्रांसफर किया गया इसके पीछे कौन काम कर रहा है,

धर्म के नाम पर क्या-क्या चीजें हो रही हैं हमारे आपके बच्चे जिनके संस्थानों में अच्छी शिक्षा के लिए यह सोचकर भेजते थे हमारा बच्चा कल के लिए एजुकेशन प्राप्त करेगा उन सब की भावनाओं को ठेस पहुंची है और इस घटना से अब इनके तारों को भी जोड़ा जाएगा कि इनके तार कहां-कहां जुड़े हैं तथा किस तरह से पूरे सिस्टम में घुस कर अपने कार्य को अंजाम दे रहे थे आखिर यह सब कैसे हो रहा था कैसे इन सब चीजों को कियावित किया जा रहा था और हमें आपको खबर ही नहीं थी।

आज की यह घटना हमारी उस बात को भी बल देता है जो बरसों से हम कहते आए हैं कि ईसाई मिशनरि अपने धन के बल पर हमारी संस्कृति हमारे सनातन धर्म और हमारे अपने लोगों को जो धन के मामले में कमजोर थे उनको धन का प्रलोभन देकर कैसे धर्मांतरण करने के लिए मजबूर करते थे। उनसे खिलवाड़ करते हैं इस घटना से हमारी उन बातों को भी बल मिला जिसमें हम शुरुआत से कह रहे हैं कि ईसाइयों द्वारा चलाया जा रहा धर्मांतरण का कार्यक्रम एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है जिसमें विदेशी ताकतों विदेशों से फंडिंग होती है इसमें विदेशी पैसा भी लगता है और भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बरामदी हमारी इन बातों को पूर्ण तरह से प्रमाणित करती है,

यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस घटना से यह बातें स्पष्ट हो गई कि यह जो ईसाई मिशनरियां जो देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय भूमिका निभा रही है उसमें जो धनबल का प्रयोग इनके द्वारा किया जाता रहा है वह विदेशी अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से तो हो ही रहा था साथ में हमारा आपका पैसा भी वह इस कार्यक्रम में उपयोग कर रहे थे और हमें इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी कि कैसे वह हमारे और आपके मेहनत की गाढ़ी कमाई जो हम अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा मैं खर्च कर रहे थे यह सोच कर कि हमारे बच्चे इनकी संस्थाओं में पढ़ेंगे तो योग्य और काबिल बनेंगे इनकी शिक्षा संस्थान बेहतर है जिससे हमारे बच्चों को एक बेहतर भविष्य इनके शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़कर मिल पाएगा यह घटना हमारे इस विचार पर भी एक प्रश्न चिन्ह है जो हम अपनी सनातन धर्म से बढ़कर इनके धर्म पर इनके धार्मिक शिक्षण संस्थाओं पर भरोसा करते थे उस पर भी एक प्रश्न चिन्ह लगाती है,

आज की घटना संपूर्ण ईसाई समाज को भी कटघरे में लाकर खड़ा करती है कि कैसे उनके ही समाज में कैसे उनके ही पैसों का दुरुपयोग किया जाता है तथा विस्तार वादी विचारधारा की आड़ में क्या-क्या अपराध गठित किए जा रहे हैं यह एक गंभीर घटना है जिसने हम सनातनीयों के साथ-साथ संपूर्ण ईसाई समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे उनकी मेहनत की कमाई को रबड़ी की तरह बांटा जा रहा है जिसमें कोई हिसाब नहीं है कि कहां कितना पैसा किसको जा रहा है यह तो बात सिर्फ उन पैसों की है जो बरामद किए गए यह तो मात्र एक छोटी सी कडी है जिसके तार ना जाने कहां कहां तक फैले है,

इस घटना से यह बात तो साफ होती है की बात सिर्फकरोड़ों की नहीं है बात उससे कहीं ज्यादा की है यह तो वह पैसा जो बच गया था जो पैसा बांटने के बाद बच गया था। सोचने वाली बात तो यह है कि कितना पैसा इकट्ठा हुआ होगा और किस -किस में संस्थाओं को गया होगा कैसे-कैसे गया होगा और उन बांटे गए पैसों का किस रूप में प्रयोग किया गया होगा यह बहुत ही बड़ा प्रश्न है जिस पर संपूर्ण जांच होनी चाहिए क्योंकि यह कार्य तो बरसों से चला आ रहा था और चलता रहता है,

यह तो वर्तमान परिवेश ऐसा है कि भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाई जा रही है उन पर एक्शन हो रहा है उसी परिपेक्ष में इस घटना को अंजाम दिया गया ।इस घटना को स्वरूप दिया गया जिसमें बहुत सारी कड़ियां लोगों के तार अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।

घटना से धर्मगुरुओं द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण के काले अध्याय का संपूर्ण चिट्ठा सामने आने को आतुर हो रहा है बस देखते जाइए आगे आगे होता है क्या यह तो बस शुरुआत है और हम सभी के लिए एक सीख भी है, कि हम सब जो अपने सनातन धर्म अपनी पुरानी प्राचीन सभ्यता को छोटा बुरा बोलने में बिल्कुल संकोच नहीं करते और दूसरों के धर्मों को बढ़ा हमसे बड़ा हमसे अच्छा समझने की जो भूल कर चुके हैं अब वह नहीं करना है।

और यह घटना हमारा ध्यान इस ओर भी आकर्षित करती है कि जब संविधान का निर्माण हो रहा था तो उसमें अनुच्छेद 29 और 30 मे जो प्रावधान लागू किए गए थे उनको भी अब बदलने की आवश्यकता है क्योंकि उस परिवेश में उस समय की परिस्थिति वश यह प्रावधान लागू किए गए थे कि धार्मिक संस्थाएं जो अल्पसंख्यको द्वारा संचालित की जा रही थी उस समय उनके उत्थान के लिए कुछ लचीले प्रावधानों की व्यवस्था की गई थी जिसका फायदा उठाकर यह धार्मिक संस्थाएं शिक्षा की आड़ में एक बड़ा अर्थ तंत्र तैयार कर लिया क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के अनुसार इनको कुछ रियायतें प्रदान की गई थी जिसके अंतर्गत इनको आईटीआई की परिधि से दूर रखा गया तथा इनसे लेखा-जोखा भी इनसे नहीं पूछा जाता था जिसका परिणाम यह हुआ कि इस छूट का दुरुपयोग करते हुए इन्होंने बहुत बड़ा धन तंत्र इकट्ठा कर लिया और इस धन को देश विरोधी गतिविधियों में तथा असामाजिक तत्वों को तैयार करने में लगा दिया। क्योंकि उसका हिसाब किताब को देना नहीं था,

आज यह घटना हमे आत्मचिंतन करने को कह रही है, कि हमें दल अपनी प्राचीन संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए उस पर गर्व महसूस करते हुए उसे आगे बढ़ाना होगा तथा हमारी मोटी गाढ़ी कमाई का ऐसा दुरुपयोग अब नहीं होने देना है। सिर्फ सहिष्णु बने रहने से काम नहीं चलेगा अब समय आ गया कि हमें अपने विवेक और कौशल पर भी बल देना होगा तथा उस पर पूर्ण विश्वास करना होगा।

लेखक – अमित गर्ग