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ओ नर्मदा मैया के भक्तों !! ….जरा विचार कीजिए!!

आज हम सभी नर्मदा मैया की जयंती मना रहे हैं। अपनी सांस्कृतिक परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। बड़े भव्य तरीके से नर्मदा मैया के घाट – घाट पर बड़े-बड़े भंडारे, पूजन, आयोजन आज के दिन किए जा रहे हैं। यह सब हमारे भक्ति का स्वरूप का प्रकृटिकरण है। बहुत अच्छा है और ऐसा होते रहना चाहिए किंतु हमें इस बात पर विचार करना चाहिए की भक्ति का सच्चा स्वरूप क्या है? क्या बड़े आयोजन करना, भंडारे करना, गीत गाना इत्यादि से ही हमारी नर्मदा भक्ति (मातृभक्ति) पूर्ण हो जाती है? अथवा कुछ और भी अभी बांकी है। जरा विचार करें कि – आज नर्मदा मैया के जल में डिंडोरी नगर में लगभग 7 नाले (मल- मूत्र गंदगी युक्त) मिल रहे हैं। शासन सो रहा है, नेतागण अपनी स्वार्थ पूर्ति में लगे हुए हैं, बातें तो करते हैं समाज और राष्ट्र के कल्याण की। किन्तु दोहरा चरित्र है। समाज के लोगों में धर्म के प्रति, नदियों के प्रति श्रद्धा है किंतु उसका पवित्र स्वरूप क्या होना चाहिए? इसका चिंतन अभी बाकी है। आज बनारस में गंगा मैया में भी कुछ नाले मिल रहे हैं; और भक्त बड़ी श्रद्धा से स्नान करके नारे लगाते हैं – ‘हर -हर गंगे’ और मध्यप्रदेश में ‘नर्मदे हर’ आज हमें इस बात का चिंतन करने की सबसे अधिक आवश्यकता है कि हमारी भक्ति में कहीं कुछ कमी तो नहीं है। यदि हम नर्मदा मैया के भक्त हैं तो उसे कैसे गंदा कर सकते हैं? गंदगी नर्मदा मैया में फैलाने वाला मनुष्य भक्त कैसे हो सकता है? इस प्रश्न पर चिंतन करने का आज दिन है। आज सरकार को चेतने की जरूरत है व समाज को जागने की जरूरत है नेतागणों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होकर उसे पूरा करने की आवश्यकता है। तभी हम सच्चे भक्त कहलाने के अधिकारी बनेंगे। नर्मदा जयंती मनाना सार्थक होगाा। सिर्फ औपचारिकता पूरी करने, ढोल -धमाके मात्र से हमारी भक्ति पूर्ण होने वाली नहीं है। अत: प्रत्येक कर्तव्य परायण नागरिक को इस तथ्य पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।

 वन्देमातरम्
!!नर्मदे हर!!

लेखक
डॉ. नितिन सहारिया
8720857296