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पाकिस्तान में कंगाली व भारत वैश्विक महाशक्ति की राह पर…

पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को भारत से एक दिन पहले बना, अलग हुआ अर्थात भारत व पाक को राजनीतिक स्वतंत्रता मिली और एक साथ विकास की यात्रा प्रारंभ हुई। फिर क्या वजह है कि भारत दुनिया में चन्हुओर विकास का परचम लहरा रहा है; वैश्विक महाशक्ति (जगतगुरु) बनने की राह पर बड़ी दुधुर्स्र गति से आगे बढ़ रहा है। वहीं पाकिस्तान में भुखमरी मची है। लोग आटे के लिए जानी- दुश्मन बने हुए एक दूसरे से छीना- झपटी कर रहे हैं। मंजर बहुत ही भयानक है,आज के पाक का। आखिर क्यों?

पाक के पास परमाणु बम तो है किंतु आटा खत्म है। वहीं भारत में अनाज उत्पादन आवश्यकता से 2 गुना अधिक हो रहा है। आज पाक दुनिया में भीख मांगने निकला और उसे मिली भी किंतु भीख के पैसे से आखिर कब तक पेट भरेगा पाक?? पाक को दुनिया से मिली भीख 10 बिलियन डालर है। पाक को भारत जैसा पड़ोसी देश मिलना किसी गौरव/सौभाग्य से कम नहीं है किंतु फिर भी पाक की यह बदहाली, दुर्दशा, भीखारीपन का जिम्मेदार कौन?

भारत के महान वैज्ञानिक सर सी. वी. रमन ने सन 1949 मे प्रयाग में एक विज्ञान महाविद्यालय में दीक्षांत भाषण में संबोधित करते हुए कहा था कि- “Boys when we import, we not only pay for our ignorance but we also pay for our incompetence.” “छात्रों जब हम कहीं से आयात करते हैं, तब हम न केवल अपने अज्ञान की कीमत चुकाते हैं अपितु हम अपनी अक्षमता की भी कीमत चुकते हैं।”

आज कंगाल पाक में मोदी- मोदी के नारे अथवा गुणगान हो रहा है। भारत की दुश्मनी ने पाक को कंगाल बनाकर ही छोड़ा। पाक की बर्बादी का कारण उसके भारत के प्रति नकारात्मक विचार अथवा रवैया रहा है। तीन बार युद्ध में पाक भारत से हार चुका है। किसी की उन्नति व अवोंंन्नति (दुर्गति) उसके विचार व कर्म से तय होती है। जिसके जैसे विचार होते हैं, वैसे ही उसकी क्रिया (कर्म) होती है; एवं कर्म से उसका भाग्य व भविष्य तय होता है।

भारत का विचार सदा से बड़ा -महान ,उदात्त रहा है। “वसुधैव कुटुंबकम” , “सर्वे भवंतु सुखिनः” , “जियो और जीने दो” का रहा है। भारत ने श्रेष्ठ विचार व श्रेष्ठ कर्म को प्रधानता दी। यह उसका सनातन -पुरातन संस्कार रहा है। भारत ने आदिकाल से ही विश्व को अपना ‘वृह्त्त परिवार’ Global family मानकर “आत्म सर्वभूतेषु” का व्यवहार किया। प्रखर कर्म व धर्म परायणता भारत की प्रकृति, संस्कार रहा है। इसीलिए सदज्ञान व सत्कर्म के योग से आज भारत दुनिया में बुलंदियों को छू रहा है।

वैश्विक महाशक्ति बनने के मार्ग पर दुधुर्स्र गति से आगे बढ़ रहा है; एवं ऐसा मनीषियों का कथन है की- 2026 से दुनिया भारत की शरण में होगी। कहावत भी है कि –
राजतिलक वनराज का, करे ना वन्य समाज।
स्वयं पराक्रम कर्म से, सिंह बने वनराज कबीरा।।…
वहीं पाक के बारे में श्रीरामचरितमानस की चौपाई सत्य प्रतीत होती है कि –
जिमी कुपंथ पग, धरत खगेशा
रहई न तेज, बुद्धि, बल लेसा।।

पाक की बर्बादी उसके हीन विचार, जलन खोरी, भारत से शत्रुता व आतंकवाद की पैदावार इत्यादि कुकर्म रहे हैं। जैसे भारत में गेहूं, चना, चावल, गन्ने की पैदावार की जाती है; तो पाक में गोला -बारूद, आतंकी फसल की पैदावार की जाती रही है। भारत 75 वर्षों में चांद पर पहुंच गया और मंगल की तैयारी है; वहीं पाकिस्तान आतंकियों को कश्मीर में घुसाने की तैयारी करता रह गया। दोनों देशों का अपना-अपना विचार ही तो है; जो फलित हो रहा है। जहां भारत का विचार व कर्म सृजन का रहा तो पाक में ध्वंस का। अर्थात “जैसी करनी-वैसी भरनी”। यह ईश्वर का अटल विधान है कि व्यक्ति या राष्ट्र कर्म के लिए स्वतंत्र है; किंतु परिणाम में कोई भागीदारी नहीं। इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि- “To be good and to do good that is the whole of religion.” अर्थात – “जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा, यही धर्म का सार है।” मनुष्य के आज के कर्म ही उसके कल के भाग्य का निर्माण करते हैं। बस यह तो अपना-अपना संस्कार है कि कौन किसका चयन करता है।

जरा सोचिए भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए करीब 7000 करोड़ का फंड बनाया था। जिसमें भूटान को 3000 करोड़ रुपए, बांग्लादेश -200 करोड़, नेपाल- 992 करोड़, म्यानमार- 400 करोड़, श्रीलंका -200 करोड़, अफगानिस्तान- 350 करोड़ रु. मदद के नाम पर यूं ही दे दिया। वहीं पाक को दुनिया से भीख में करीब 10 बिलीयन डॉलर मिला; जबकि इतना तो भारत ने अकेले मदद में श्रीलंका को (4 बिलियन डालर, 1.2 का फ्यूल व 3.5 बिलियन डॉलर की विकास परियोजनाएं) यूं ही दे दिया। भारत की मदद से नेपाल में 27 परियोजनाएं चल रही हैं। बांग्लादेश -12, श्रीलंका- 11, म्यानमार- 15, मालदीप- 03 परियोजनाएं चल रही हैं। वंही आफ्रीका के 40 देशों में भारत की मदद से 357 विकास परियोजनाएं चल रही हैं; जिनमें 14 बिलियन डालर से अधिक का निवेश है। भारत आज दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है; और ब्रिटेन पीछे हो गया है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $600 अरव डालर का है। भारत आज दुनिया में 4th (चतुर्थ) रैंकिंग पर पहुंच चुका है।

पाकिस्तान में आज आटा ₹150 किलो बिक रहा है। तब भी पाक को कटोरा लेकर भीख मांगना मंजूर है लेकिन भारत से मदद मांगना मंजूर नहीं। भारत ने अफगानिस्तान की मदद के लिए गेहूं भेजें पाक के रास्ते जिसे पाक ने तरह-तरह के बहाने बनाकर मना कर दिया। अब वही पाक गेहूं के दाने-दाने को मोहताज है। अब सबको समझ में आ रहा है कि भारत में – “अन्न देवो भव” यूं ही नहीं कहा गया है। मनुष्य जो अज्ञान, अहंकार, स्वार्थ में यूं ही ड़ीन्गे मारता रहता है। परमात्मा चाहे तो पलभर में घुटनों पर ला सकता है। वह सर्वशक्तिमान है एवं मनुष्य के सीमोलन्घन के पश्चात उसका दंड विधान लागू होता है; तब मनुष्य त्राहिमाम-त्राहिमाम करता नजर आता है। अच्छा यही है कि मनुष्य मर्यादा में रहे व मनुष्यता का आचरण करें।

पाक के जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था- “चाहे हमें घास की रोटियां क्यों ना खानी पड़े लेकिन हम एटम बम बनाकर ही दम लेंगे।” और आज पाक में घांस की रोटियां खाने की नौबत आ गई है; घुटनों पर आया पाक, सारी हेकड़ी निकल गई। पाक के ऊपर कर्ज़ दिन दूना -रात चौगुना बढ़ता जा रहा है, कर्ज की किस्त कैसे चुकाएगा पाक? बार-बार भी कोई भीख नहीं देने वाला,आज पाक वेंटिलेटर पर व अर्थव्यवस्था चौपट है। पाक के रक्षा विशेषज्ञ शहजाद चौधरी का कहना है कि- “अमेरिका का भारत एक सहयोगी है और हम पाकिस्तानी केवल कोसने में लगे रहते हैं। रूस पर आज बड़े अमेरिकी प्रतिबंध, लेकिन भारत अपनी शर्तों पर रूस से तेल खरीद रहा है। दुनिया के दोनों सैन्य शक्ति रूस- अमेरिका भारत को अपना सहयोगी मानते हैं, क्या ये राजनयिक तख्तापलट नहीं है।”

टी. वी. चैनल पर पाक की एक महिला भारत से भीख/मदद की गुहार लगाते हुए कह रही है की- “74 देशों को भारत आज गन्दुम (गेहूं) भेंट कर रहा है, तो पाक पीएम भारत की तरफ दोस्ती का हाथ क्यों नहीं बढ़ाते हैं।” आखिर किस मुंह से भारत से मदद मांगे पाक? भीख से तात्कालिक हालात तो सुधारे जा सकते हैं किंतु स्थाई सुधार के लिए सकारात्मक, सृजनात्मक विचार व कर्म की पहल करते हुए भारत की शरण में आना होगा, माफी मांगना ही एकमात्र विकल्प है पाक के पास। आज पाक की खराब माली हालत की वजह एकमात्र भारत से दुश्मनी है। पाक को अब दुश्मनी छोड़, कारोबारी रिश्ता बहाल करना, दोस्ती का हाथ सच्चे मन से आगे बढ़ाना चाहिए। आतंकी कैंप बंद करके, आतंकी पैदावार बंद करके अब गेहूं, चना, गन्ने की खेती करना चाहिए; क्योंकि भीख पर जीवन नहीं चलता (कटता) है। समय पर जो जाग जाए उसे समझदार कहते हैं। वैसे पाक पीएम शहवाज शरीफ ने कुछ सकारात्मक संकेत दिए हैं; किंतु पाक के इतिहास को ध्यान में रखते हुए विश्वास नहीं किया जा सकता है।

लेख़क – 
डॉ. नितिन सहारिया
8720857296