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भारत: पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर

15 अगस्त को भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे। भारत की राष्ट्रीय विकास यात्रा का यह अत्यधिक महत्वपूर्ण वर्ष है। यह वर्ष हमें एक और आत्मचिन्तन का अवसर प्रदान करता है, वही दूसरी तरफ सिंहावलोकन का भी वैसा ही सुअवसर है।

जब सन् 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से देश आजाद हुआ था, उस समय देश अनेक झंझावातों में उलझा हुआ संघर्ष करने मजबूर था। उस समय की अर्थ व्यवस्था को पूर्व शासकों द्वारा खोखला बना दिया गया था।

ब्रिटिश शासन द्वारा अपनायी गयी नीतियों का दुष्परिणाम तो स्वाभाविक रूप से भोगना ही था। इतना ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान की बदनीयती का भी विवश होकर सामना करना पड़ा था।

उद्योग धंधे व कृषि कार्य अत्यधिक प्रभावित होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर राष्ट्र को विभाजन ने देश को और भी अधिक दुर्दशा ग्रस्त स्थिति में ला दिया था। एक बड़ी संख्या में शरणार्थियों के व्यवस्थापन की कोशिश की जाना थी। इस कार्य ने विकास कार्य को और भी कठिन बना दिया था।

इस 75 वर्ष की यात्रा के परिणाम स्वरूप और वर्तमान सजग नेतृत्व ने अपने प्रयासों और सुनीतियों के परिणाम स्वरूप उस व्यवस्था को सुचारू बनाया साथ ही विश्व में अपनी नयी पहचान भी बनायी। यद्यपि अभी भी समस्याओं और चुनौतियों से देश घिरा हुआ ही है। इन सब झंझावातों के बीच देश आगे बढ़ रहा है- यह संतोष का विषय हो सकता है।

वर्तमान नेतृत्व के प्रयासों के चलते विशेषज्ञों द्वारा यह आशा जतायी जा रही है कि आजादी के इस अमृत महोत्सव के कालखंड में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत विश्व के शीर्ष पाँच देशों में भी शामिल हो सकता है। यह कालखण्ड भारतीय अर्थव्यवस्था की दृष्टि से शुभ फलदायक सिद्ध हो सकता है। विकास के सिलसिले की गति आगे भी इसी गति से जारी रहने की पूरी सम्भावनायें हैं।

इस अवधि में 400 अरब डालर से अधिक की वस्तु निर्यात  किया जाना एक संकेत है, चालू वित्त वर्ष में इस निर्यात को बढ़ाकर 500 अरब डालर तक पहुँच सकता है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि वे इस निर्यात से उत्साहित हैं। उनके एक अनुमान के अनुसार और प्राप्त आँकड़े भी बताते हैं कि वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 3.18 ट्रिलियन डालर की थी, जबकि इस अवधि में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के आँकड़े बताते है  कि उसकी स्थिति 3.19 ट्रिलियन डालर थी। यद्यपि भारत अभी ब्रिटेन से मामूली रूप से पीछे हैं।

आई.एम.एफ. के ही अनुमान के अनुसार सन् 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 3.53 ट्रिलियन डालर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि विगत वर्षों में कोरोना महामारी ने उथल-पुथल  मचा देने में कमी नहीं की थी। इसके बावजूद भारत तेज गति से विकास को आगे बढ़ाने में संलग्न है। इस अनुमान के अनुसार वर्ष 2023-24 में भी भारत 6.1 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की महत्वाकांक्षा को लेकर तेजगति से विकास पथ पर अग्रसर है। अभी ब्रिटेन सहित यूरोप के अन्य देशों में मंदी का दौर प्रतीत हो रहा है। लेकिन अभी अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन को आगे ही जाना जायेगा। यद्यपि भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने का है।

यह संतोष एवं आशाजनक विषय है कि आज भारत सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से विश्व की छठवें स्तर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपना स्थान बनाने जा रहा है। इसे विश्व की सबसे तेजगति से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना जा रहा है।

आर.बी.आई. के डिप्टी गवर्नन का मानना है कि ‘‘विशाल जनसंख्या’’ का भरपूर लाभ उठाना भारत के लिये अवसर होने के साथ साथ चुनौती भी है। उन्होंने कहा कि निर्यात बढ़ाने के लिये मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि आवश्यक है। यदि ऐसा सम्भव हो सका तो अगले दशक तक 11 प्रतिशत की वृद्धि को भी हासिल किया जा सकता है। यह स्थिति भारत को दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये वर्ष 2048 का इंतजार नहीं पड़ेगा। उन्होंने ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये अपने विचार व्यक्त किये थे।

आज भारत बदलाव के दौर से आगे बढ़ता दृष्टिगोचर हो रहा है। जनसंख्या में मामले में भी वह चीन से आगे बढ़कर विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जायेगा। भारत कम विकसित और विकासशील देशों के हितों की लड़ाई भी लड़ रहा है, दूसरी ओर उभरती हुयी अर्थव्यवस्थाओं और बड़ी शक्तियों से तालमेल भी बढ़ रहा है।

‘‘कर्मण्येवधिकारस्ते’’ धर्म वाक्य पर पूरी आस्था रखते हुये भारतीयों ने मुगल आक्रान्ताओं और ब्रिटिश सत्ता के शोषण काल की परवाह न करते हुये माँ भारतीय के गौरव को आँच न आने देने के लिये हर समय – हर स्तर पर संघर्षरत रहें।

तमाम क्रूर आक्रान्ताओं के जुल्मों को सहते हुये, मुगलिया- ब्रिटिश सल्तनत द्वारा की गयी लूट-खसोट के बावजूद भारतीय शान से मुकाबला करते रहे – शान से अपनी जान की परवाह किये बिना मैदान में डटे रहे। इसी पुरूषार्थ का परिणाम था, सन् 1947 को आजादी मिलना। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हम ‘वन्दे मातरम्’ घोष के साथ कदम-कदम सम्हाल कर रखते हुये हम अपने पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। यह हम सब के लिये आत्म सुख का अवसर है।

लेख़क – डाॅ. किशन कछवाहा
संपर्क सूत्र – 9424744170