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रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठियों की बढ़ती संख्या चिन्ताजनक

रोहिंग्या मुसलमान भारत सहित छः देशों के लिय संकट का सबब बने हुये हैं। इनमें छः देशों में भारत है एशियायी देश, अत्यधिक परेशान है क्योंकि इनके रहने से अपराध बढ़ रहे हैं। भारत में इनके तार अवैध घुसपैठ से लेकर आतंकी गतिविधियों तक से जुड़े हुये हैं। अनेक मामले सामने आ भी चुके हैं। एक सप्ताह पूर्व बिहार पुलिस ने यह भी खुलासा किया था कि कट्टरवादी मुस्लिम संगठन पी.एफ.आई. इन्हें अपने संगठन में भर्ती करने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के लिये आधारकार्ड भी बनवा रहा है। इन्हें योजना पूर्वक कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में दिहाड़ी मजदूरों के रूप में भेजा जा रहा है।

बांग्लादेश के सूत्रों का कहना है कि उनका देश रोहिंग्याओं से ज्यादा परेशान है और सरकार भी परेशान है। इनके कारण अनेक महत्वपूर्ण और गैर महत्वपूर्ण स्थानों पर चोरी, हत्या, डकैती, दुष्कर्म, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियाँ पहले की अपेक्षा सात गुना बढ़ चुकी हैं। वहां थाईलेण्ड से भी खबर है कि रोहिंग्याओं का लिंक मानव तस्करी करने वाले समूह से भी जुड़ा हुआ है। यह मानव तस्करी का कुकृत्य यहाँ के रास्ते मलेशिया तक पहुंच गया है।

इन आतंकियों को पनाह देने का काम करने वाला पाकिस्तान भी रोहिंग्याओं का उसी रास्ते पर ले जा रहा है। यहाँ तक बताया जाता है कि ढाई लाख रोहिंग्याओं को घुसपैठियों की ट्रेनिंग दी जा रही है।

भारत की सख्ती के चलते कुछ रोहिंग्या घुसपैठ के जरिये नेपाल पहुंच चुके हैं। नेपाल में जेहादी गुटों से इन्हें मदद मिल रही है।

अमरीका की स्वतंत्र कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सी.आर.एस.) की रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान में तीन दर्जन से अधिक आतंकी संगठनों को आश्रय दिया जा रहा है। इनकी गतिविधियों का केन्द्र अफगानिस्तान, भारत (कश्मीर) है।

म्याँमार रोहिंग्याओं को बांग्लादेशी घुसपैठिये मानता है। भारत में भी इनकी संख्या लगभग एक लाख के आसपास पहुंच चुकी है। दिल्ली सहित तेलंगाना, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में बस गये हैं। इन्हें सुरक्षा के लिहाज से इनकी यह संख्या अत्यधिक खतरनाक है। ये हैदराबाद, मेवात, जम्मू कश्मीर तक पहुंच गये हैं। या पहुंच गये हैं। दिल्ली में तो इनकी एक कालोनी बन गयी है। यह क्या किसी संरक्षण या मदद के संभव है?

इस गम्भीर समस्या को एक और जनरिये से समझने की जरूरत है। कुख्यात आतंकी संगठन अल-कायदा, लश्कर-ए-तायबा और जैस-ए-मोहम्मद सहित तमाम मुस्लिम समर्थक ताकतें रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को इस्लाम पर हो रहे हमले के रूप में दुनियाभर में प्रचारित कर रहे हैं। यदि यह मुस्लिम समुदाय पर हमला है तो ये गैर मुस्लिम देश में ही क्यों घुस रहे हैं? जहां सुरक्षा मिलती है उन मुस्लिम देशों में जाना चाहिये था?

राजनीति दाँवों के चलते कई बार ऐसे अवसर आते हैं, जब वोटों के लोभ में खतरनाक विषयों को लगभग नजर अंदाज कर दिये जाने की कोशिशें होती हैं। ऐसा ही एक मुद्दा रोहिंग्याओं को देश के बाहर कर देने और बसाने के लिये एक दूसरे पर दोषारोपण का दौर चल पड़ा है, जो जनहित की दृष्टि से बेहद निन्दनीय ही माना जाना चाहिये।

आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी प्रारम्भ से ही अपना वोट बैंक बनाने के चक्कर में घुसपैठियों को संरक्षण दे रही है। केन्द्र सरकार इन घुसपैठिये रोहिंग्याओं की वापिसी के लिये म्याँमार सरकार से बात कर रही है। रोहिंग्याओं मामले भाजपा और केन्द्र की मोदी सरकार का दृष्टिकोण अब तक बिल्कुल साफ रहा है।

तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कतिपय नेताओं द्वारा इस घुसपैठियों के प्रति सहानुभूति अवश्य दिखाई जाती रही है। भाजपा का स्पष्ट मानना है कि रोहिंग्या शरणार्थी नहीं है, वे घुसपैठिये हैं।

अतः विधिवत प्रक्रिया का पालन करते हुये उन्हें उनके देश वापिस लौटाया जायेगा। रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिये खतरा है। देश में इस समय एक अनुमान के अनुसार चालीस हजार रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठिये विद्यमान हैं। वे बांग्लादेश और म्याँमार से लगी सीमा के जंगलों को पार करते हुये यहां तक पहुंच गये हैं। इतना ही नहीं वे देश के विभिन्न हिस्सों में भी फैल चुके हैं-फैलते जा रहे हैं।

इन रोहिंग्या मुसलमान घुसपैठियों को भारत में बसाने के प्रयास कतिपय राष्ट्र विरोधी ताकतों और पी.एफ.आई. जैसे कुख्यात मुस्लिम संगठनों द्वारा किये जा रहे हैं।

इन घुसपैठियों की संख्या पं. बंगाल प्रदेश के अलावा नेपाल से लगे भारतीय जिलों.. कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या योजनापूर्वक बसाहट के माध्यम से बढ़ायी जा रही है। इन घुसपैठियों का संबंध पाकिस्तान और बांग्लादेश में सक्रिय भारत- विरोधी आतंकवादी संगठनों से होना बताया जा रहा है।

लोक सभा में उठाये गये इस मामले से संबद्ध एक प्रश्न के उत्तर में सरकार द्वारा कहा गया था कि अवैध प्रवासी सुरक्षा के लिये गम्भीर खतरा है। बी.एस.एफ. और असम रायफल्स को एडवायजरी जारी करते हुये कहा गया था कि घुसपैठ रोकने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी नजर रही जाये। यद्यपि इसके बावजूद सौफीसदी रोक सम्भव नहीं हो पायी है।

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है  कि म्याँमार से लगी सीमा 510 किलोमीटर लम्बी है और बिना बाड़ की है, जहां से ये घुसपैठिये आ रहे हैं। अब तक इनकी संख्या मिजोरम में ही बाईस हजार से ज्यादा हो चुकी है। मुस्लिम बहुत बांग्लादेश भी अबतक रोहिंग्याओं को बोझ ढोते-ढोते थक गया है। इनके यहां आने से अपराधिक संलग्नता से नाराजगी भी बढ़ रहीं है।

नेपाल सीमा से सटे भारतीय गांवों में मुस्लिम आबादी का अचानक बढ़ जाना चिन्ता का विषय है। यह मुस्लिम आबादी 50% से अधिक बढ़ी है। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि यहां घुसपैठियों को योजनापूर्वक बसाया गया है। चार वर्षों की अवधि में ही 25 प्रतिशत मस्जिद और मदरसों का बढ़ जाना बिना योजना के कैसे सम्भव है?

यू.पी. पुलिस ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुये अपनी रिपोर्ट गृहमंत्रालय के पासग भेजी है। पुलिस ने घुसपैठ की आशंका जताते हुये कहा है कि इस सीमावर्ती क्षेत्रों में आने वाले ज्यादातर लोग मुस्लिम हैं और वे स्थानीय नहीं हैं। सुरक्षा एजेंसियों को भी संदेह है कि इन क्षेत्रों में लोग बाहर से आये हैं और स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने इन्हें संरक्षण देकर बसाया है।

लेख़क – डाॅ. किशन कछवाहा
संपर्क सूत्र – 9424744170