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खरीफ फसलों में कीट एवं बीमारियों का प्राकृतिक नियंत्रण

वर्तमान समय में खरीफ फसल के रूप में मुख्यतः धान, अरहर, मक्का जैसी फसलों में अनेक प्रकार के कीट एवं बीमारियों की समस्या आ रही है और आगे भी आएगी, जैसे धान की फसल में तना छेदक, राइस गालमीज (गंगई), लीफ फोल्डर, भूरा माहू, गन्दीबग कीट एवं बीमारियों में ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल ब्लाइट, सीथ ब्लाइट इत्यादि का प्रकोप, अरहर फसल में फली छेदककीट, लीफ फोल्डर, अरहर की फल मक्खी, बीमारियों में उकठा रोग, स्ट्रिलिटी मोजैक, स्टेम ब्लाइट इत्यादि का प्रकोप.

मक्का फसल में तना छेदक कीट, कटवर्म कीट, स्टेम रॉट बीमारी जैसी समस्याओं के लिए जैविक नियंत्रण के रूप में बेवेरिया बेसियाना 3 से 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या बेसिलस थूरेनजेनसिस 1 लीटर प्रति हेक्टेयर एवं मेटराइजम 3 से 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयोग करके समाधान पा सकते है, साथ ही प्राकृतिक कीटनाशी दवाईयां निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नीअस्त्र (रस चूसने वाले कीट एवं इल्लियों के नियंत्रण हेतु) स्वयं बनाकर 1से 2 ली प्रति एकड़ उपयोग करके सुरक्षित रोकथाम कर सकते है.

धान की फसल में तना छेदक कीट, गंगई, माहू कीट की रोकथाम के लिए महुआ की खली 1 से 2 क्विंटल प्रति एकड़ उपयोग करके सुरक्षित रोकथाम कर सकते हैं, बीमारियों हेतु फफूंदनाशक दवा के रूप में खट्टी छाछ (मट्ठा) 5 लीटर प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करके सुरक्षित रोकथाम कर सकते हैं, साथ ही धान फसल मे ब्लास्ट बीमारी की रोकथाम के लिए 3 लीटर दही प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करके सुरक्षित रोकथाम की जा सकती है.

       लेख़क 
रविन्द्र कुमार हनवत
   7692024098