गत दिनों गलवान घाटी की तर्ज पर घुसपैठ करने आये चीनी सैनिकों की एक बड़ी टुकड़ी को रात्रि में तीन बजे कंपकपा देने वाली बर्फीली सर्दी में बुरी तरह खदेड़ कर भगा दिया गया। इस झड़प के बाद चीन ने अपनी शर्मनाक हरकत पर पर्दा डालते हुये उल्टा भारत पर ही आरोप मढ़ दिया कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सीमा का उल्लंघन किया था।
भारतीय दूतावास ने चीन की इस घुसपैठ पर कड़ा विरोध भी जाहिर किया है। अरूणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ हर समय सतर्क रहने का ही संकेत देती रहती है। चीनी रवैया कभी भरोसेे लायक नहीं रहा है। उसका रवैया तनाव बढ़ा देने वाला बना रहता है।
चीन की चालाकी और उसके मंतव्य को अबतक भलीभाँति समझा जा चुका है। वह संपूर्ण अरूणाचल पर अपना दावा जता चुका है। हर क्षण सतर्क रहने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। गत 9 दिसम्बर में तवांग सेक्टर में यह दुर्भाग्यपूर्ण सीमा पार करने की कोशिश की जिस पर भारतीय बहादुर सैनिकों ने मौसम की अत्यन्त पीड़ा दायक विपरीतता के बावजूद वही बहादुरी का प्रदर्शन करते हुये चीनी सैनिकों के नापाक इरादों पर पानी फेर दिया। इस झड़प में हमारे भी सैनिक आहत हुये हैं, जिन्हें गुवाहटी के 151 बेस अस्पताल के लिये तत्काल एअरलिफ्ट कर दिया गया। हालांकि चीन के आहत सैनिकों की संख्या अधिक बतलायी जा रही है।
गलवानघाटी में हुये टकराव के बाद का यह दूसरा अवसर है। चीन अपनी कुटिल नीति को नहीं छोड़ पा रहा है। तवांग सेक्टर में एल.ओ.सी. पर दोनों पक्ष अपनी-अपनी सीमा पर गश्त करते हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि चीन के अंदरूनी इलाकों में जिस तरह का संकट गहराया हुआ है, विरोध में लोग सड़कों पर उतर आये हैं, उस माहौल से चीनी जनता का ध्यान भटकाने की कोशिशों के तहत चीन ने यह तनाव पैदा करने की चाल चली है। चीन में सड़कों पर जिस तरह का विरोध चीनी जनता द्वारा व्यक्त किया जा रहा है, प्रदर्शन राष्ट्रपति सी. जिनपिंग के खिलाफ हो रहे हैं, उससे चीनी प्रशासन अपनी स्थिति को असहज पा रहा है। इससे ध्यान भटकाने के लिये चीन ने टकराव-तनाव पैदा करने की घृणित कोशिश की है।
चीन के गर्हित रवैये को देखते हुये भारत सरकार ने समूचे अरूणाचल प्रदेश में विकास कार्यों को गति दी है तथा 63 सड़क परियोजनायें संचालित की जा रही हैं, जिनके माध्यम से चीन की सीमा तक भारतीय सैनिकों की पहुंच आसान हो जायेगी।
उल्लेखनीय है कि सन् 1962 के कांग्रेस के ही शासन काल में चीनी आक्रमण के समय सड़क मार्ग न होने के कारण भारतीय सैनिकों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ा था। चीनी हरकतों पर ध्यान केन्द्रित करते हुये तवांग और अरूणाचल प्रदेश के संबंधित इलाकों में अब भारत ने अपने सैनिकों की संख्या में भी भारी वृद्धि की है।
चीन की नीति घातक है। वह अपनी विस्तारवादी नीति पर चलने का आग्रही है, इसलिये मजबूत सैन्य शक्ति के साथ सतर्क रहने के अलावा भारत के पास और कोई उपाय शेष नहीं है।
ऐसे अवसरों पर देश की जनता को अपनी एकता और मजबूती का भी प्रदर्शन करना चाहिये। यह खामियाँ निकालने या आलोचना करने का उचित समय नहीं है। जैसा विपक्ष द्वारा व्यवहार किया जा रहा है।
चीन की चालाकी पूर्ण गतिविधियों के मद्देनजर वायुसेना ने अपनी तैयारियों का परीक्षण करते हुये अपनी मोर्चाबंदी को न केवल सम्हाला वरन् अग्नि-5 का भी सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण में 5500 कि.मी. का रेंज (अब पूरा चीन इसकी सीमा में) है। यह मिसाईल पचास हजार किलोग्राम वजन का है तथा 17.5 मीटर इसकी लम्बाई है तथा दो मीटर चैड़ाई है। यह 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता वाला है।
औड़ीसा के अब्दुल कलाम द्वीप से पहली बार फुलरेंज में दागी गयी यह अग्नि-5 मिसाईलसफल रही।
भारत को गत गुरूवार को ही 36वें रफाल फाईटर जेट की डिलीवरी भी प्राप्त हो गयी है। रफाल से भारतीय बेड़ा और भी अधिक मजबूत हुआ है।
देश की सबसे ताकतवर अंतर महा द्वीपीय बैलिस्टि मिसाईल अग्नि-5 का रात्रिकालीन सफल परीक्षण हुआ। इस मिसाईल को पहली बार पूरी रेंज में दागा गया था, जिसने 5500 किलोमीटर दूर जाकर निशाने को सफलता पूर्वक ध्वस्त किया।
सूत्रों के अनुसार दो माह पूर्व भी चीन के 200 सैनिकों ने अरूणाचल के याँग्त्से में भारत की चैकी पर कब्जे और घुसपैठ की कोशिश की थी। यहाँ भारतीय सेना अपने हेरोन ड्रोन से सविलांस पर थी।
उधर अरूणाचल प्रदेश के बुम ला पास पर भारतीय सेना ने अतिरिक्त टुकड़ियाँ तैनात की हैं। उत्तराखण्ड के बार्डर एरिया में भी अतिरिक्त प्रीडेटर ड्रोन तैनात किये गये हैं।
सीमा विवाद के माध्यम से चीन भारत पर अपना दबाव बनाना चाहता है। सीमा विवाद को सुलझाने के लिये चीन ने भारत के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि अगर भारत लद्दाख में अक्साई चीन पर दावा छोड़ दे तो चीन भी अरूणाचल प्रदेश पर भारत के दावे को स्वीकार कर लेगा।
यह अग्नि-5 भारत की सबसे लम्बी दूरी की मिसाईल है। चीन और कई देशों को यह डर है कि इस मिसाईल की सीमा में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है।
आई.एन मोर मुगाओं को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है। यह युद्ध पोतजंगी जहाजों के बेड़े में सबसे सक्षम और आधुनिक हथियारों से लैस है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, ताकि दुश्मन रडार पर लोकेट न कर पाये। इस युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने से भारत की ताकत में तीन गुनी ताकत बढ़ गयी है।
तवांग क्षेत्र में वायुसेना ने अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुये आकाश में सुखोई-राफेल से गर्जना की। यह अभ्यास दो दिनों तक चला। यद्यपि यह हवाई अभ्यास पूर्व योजना के अंतर्गत था। इसका हाल में हुयी झड़प से कुछ लेना देना नहीं है।
भारत की चीन के साथ कुल सीमा 3488 किलोमीटर है। इन सीमा क्षेत्रों में चीन की घुसपैठ लगातार हुयी है, लेकिन सर्वाधिक घटनायें लद्दाख और अरूणाचल क्षेत्र में हुयी हैं, जो चीन के लिये अधिक सामरिक महत्व के क्षेत्र हैं।
वास्तव में शी जिनपिंग के चीन के राष्ट्रपति पद पर बैठते ही भारत के साथ हुयी संधियों तो तोड़ने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ है। इस दौरान पांच बार चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की, जिससे चुनान, देपसांग डोल लाम, बुर्तसे और पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी के अलावा पैंगाग और गोगरा डाटस्प्रिंग का इलाका शामिल है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी अतिक्रमण की घटनायें तभी रूक सकती हैं, जब भारत और चीन के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा का स्पष्ट निर्धारण कर दिया जाये। तीन दशकों में बीसियों वार्ता के दौर चले, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।
तेजी से उभरता भारत चीन की आंखों में खटक रहा है। चीन को अपनी सैनिक, आर्थिक ताकत का घमंड है। ताना शाही तरीके से चलाये जा रहे शासन की खिलाफत चीन में हो रही है, जिनपिंग के इस्तीफे की मांग हो रही है। माना यह जा रहा है कि देश का ध्यान जीरो कोविड से हटाने के लिये चीन सरकार ने अरूणाचल में यह अतिक्रमण की चाल चली है। यद्यपि भारत को सीमा पर अतिरिक्त सैन्य तैनाती पर रोजाना करोड़ों रूपया खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे भारतीय अर्थ व्यवस्था में असन्तुलन पैदा हो सकता है।