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दंगाइयों को आजीवन कारावास

अजीज हसन, सलमान हसन, फरहान हसन सहित 11 को आजीवन कारावास

औबेदुल्लागंज में हुई हत्या, दंगा, आगजनी और बवाल के आरोपी हैं सभी

रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले औबेदुल्लागंज में वर्ष २०१० में हुए दंगे व नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे रूपेश राजपूत की हत्या, आगजनी और बलवा करने के मामले में जिला कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश शरद भामकर ने 14 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

इसमें सहित नवाब हसन पुत्र अजीज हसन 64 साल, सलमान हसन पुत्र मसूद 19 साल, फरहान हसन पुत्र अफजाल हसन 34 साल, फैजल हसन पुत्र अफजाल हसन 30 साल, नवेद हसन पुत्र नवाब हसन 33 साल, दिलशाद हसन पुत्र इकबाल हसन 38 साल, रेहान हसन पुत्र अफजल हसन 35 साल, गुफरान हसन पुत्र इसरार हसन 28 साल, अफजाल हसन पुत्र अजीज हसन 42 साल, साजिल हसन पुत्र रईस हसन 25 साल, नौसाद हसन पुत्र इकबाल हसन 25 साल, सादाब हसन पुत्र इकबाल हसन 23 साल व एक अन्य को आजीवन कारावास के साथ ही 1000-1000 रुपए अर्थदण्ड भी लगाया गया. उम्र कैद की सजा सुनाने के बाद आरोपियों को जेल भेजा दिया गया।
Lessons from Gopalganj Prisoners will undergo trunet investigation before sending them to jail - गोपालगंज से सीखः जेल भेजने से पहले एंटीजेन नहीं ट्रूनेट जांच से गुजरेंगे कैदीइस पूरी घटना में १७ लोगों को आरोपी बनाया गया था, इनमें से एक आरोपी की मौत हो चुकी है और दो आरोपी नाबालिग थे।

मामला 6 जून 2010 का है. जिसमें औबेदुल्लागंज नगर परिषद के अध्यक्ष तूफान सिंह राजपूत एक शादी समारोह में गए थे, वहां नवाब हसन से उनकी कहासुनी के बाद मारपीट हो गई थी। अध्यक्ष के भाइयों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचाया था।

इसके बाद तूफान सिंह अपने घर आ गए, लेकिन मारपीट करने वाले यह सभी आरोपी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर उनके घर पहुंच गए। यहां लाठी, फरसा, बैसबॉल के बैट, तलवार से हमला करने के साथ ही बंदूक से फायरिंग भी की गई।

गोली लगने से नपा अध्यक्ष के भतीजे रूपेश राजपूत की मौत हो गई थी, जबकि जयसिंह उर्फ जैकी और हरपाल घायल हुए थे। आरोपियों ने इन पर बंदूक से फायरिंग करके घायल कर दिया था। इस घटना के बाद औबेदुल्लागंज में तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस और प्रशासन ने पहुंचकर मोर्चा संभाला था.

इस घटना के बाद औबेदुल्लागंज में 24 दिन तक तनाव, दंगा, बलवा और आगजनी की स्थिति बनी थी, तब प्रशासन को नियंत्रण करने के लिए वहां पर कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था. तब जाकर 4 दिन में स्थिति में कहीं सुधार आया था।