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बैगा जनजातीय कलाकार जोधईया बाई को मिलेगा पद्मश्री पुरुस्कार

उमिया83 साल की उम्र में जोधईया बाई बैगा को कला के क्षेत्र में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री पुरुस्कार देने की गृह मंत्रालय भारत सरकार ने घोषणा की है, पिछले साल आठ मार्च यानी महिला दिवस पर उन्हें दिल्ली में राष्ट्रीय मातृशक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया गया था। जोधईया बाई को पद्मश्री अवार्ड का सपना देख उनके गुरु स्वर्गीय आशीष स्वामी कोविड की दूसरी लहार के दौरान अप्रैल 2021 में दुनिया को अलविदा कह गए। असली इस बूढ़ी महिला ने दिखाया है। उमिया जैसे एक छोटे से गांव लोढ़ा की तरह

जोधईया बाई बैगा की किस्मत आसमान से भी ऊंची हो गई है। 83 वर्ष की उम्र में जब आम इंसान जीने की उम्मीदें थक जाती हैं, ऐसे उम्र के पड़ाव में जोधईया बाई की उड़ान नई बुलंदियों को छू रही है।

विलुप्त बैगा चित्रकारी को किया जीवंत –जोधिया बाई ने एक बार फिर से लुप्त हो चुकी पुरानी बैगा चित्रकारी को फिर से जीवित कर दिया है। बड़ेदेव और टाइगरासुर के चित्रों से बैगाओं के घरों की दीवारों पर बैठे हुए थे अब धीरे-धीरे वे चलते हुए खत्म होते दिख रहे थे, और न ही वे बैगाओं की नई पीढ़ी को जानते हैं। लेकिन जोधईया बाई के प्रयास से बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवंत हो उठी है, जब जोधईया बाई ने इसी तरह के चित्र को कैनवास और ड्राइंग शीट पर आधुनिक गुलाब से उकेरना शुरू किया। पिछले दस वर्षों में जोधिया बाई द्वारा निर्मित छवियों के विषय पुरानी भारतीय परंपरा में देवलोक, भगवान शिव और बाघ की अवधारणा पर आधारित हैं। कौन सा पर्यावरण और वन्य जीवन का महत्व संदिग्ध है।

देश विदेश में लग चुकी है प्रदर्शनी –उनके चित्र को पेरिस, मिलान इटली, फ्रांस में आयोजित संगठनों में प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा इंग्लैंड, अमेरिका और जापान आदि में पारंपरिक बैगा राष्ट्रीय छवि की प्रदर्शनी भी जोरों पर है।

ये हैं प्रमुख उपलब्धियां –शांतिनिकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, आदिरंग ने कार्यक्रम में भाग लिया और सम्मानित किया गया। भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में जोधैया बाई के नाम पर एक स्थायी दीवार है, जिस पर उनकी चित्रकारी की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न केवल जोधैया बाई को सम्मानित किया है, बल्कि वे उनसे मिलने लोढ़ा में भी पहुंचे थे।

– जनसंपर्क विभाग