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सबको जोड़कर चलना देव स्वभाव है- डॉ मोहन भागवत

“मैं हिंदू संस्कृति का धर्म योद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं/लेती हूं कि मैं अपने पवित्र हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति एवं हिंदू समाज के संरक्षण, संवर्धन एवं सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिंदू भाई को हिंदू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा तथा जो भाई धर्म छोड़कर चले गए उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा एवं उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा. मैं प्रतिज्ञा करता हूं हिंदू बहनों की अस्मिता सम्मान और शील की रक्षा के लिए मैं सर्वस्व अर्पण करूंगा. मैं जाति, वर्ग, भाषा, पंत के भेदभाव से ऊपर उठकर अपने हिंदू समाज को समरस, सशक्त बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।“

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने संतों की उपस्थिति में नर-नारियों को यह संकल्प दिलाया. उपस्थित संतों ने भी जन समुदाय के साथ यह संकल्प दोहराया. वो 15 दिसंबर को चित्रकूट में आयोजित हिंदू एकता महाकुम्भ को संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम को संत रामभद्राचार्य जी महाराज, श्री श्री रविशंकर, स्वामी चिदानंद सरस्वती, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती, मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास देवाचार्य जी, श्री चिन्ना जियर महाराज, दीदी साध्वी ऋतंभरा तथा केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी संबोधित किया.

डॉ भागवत ने कहा कि सबको जोड़कर चलना देव स्वभाव है. देव वो हैं जो सबके कल्याण के लिए कार्य करते हैं. उसके लिए सर्वस्व अर्पण करते हैं. भगवान् राम ने धरती को राक्षस विहीन करने की प्रतिज्ञा लोगों के लिए की थी, स्वयं के लिए नहीं. मजबूरी या भय अथवा स्वार्थ के आधार पर स्थायी एकता नहीं हो सकती.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने कहा कि हिंदू वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ है चंद्रमा के समान शीतल अमृत. उन्होंने कहा कि कन्वर्जन रोकने के लिए सारा हिंदू समाज एक हो. हिंदू अन्याय का संगठित होकर प्रतिकार करे.

श्री श्री रविशंकर ने कहा कि कुछ लोग इकट्ठे होते हैं तो भय उत्पन्न होता है, जबकि संत और हिंदू इकट्ठे होते हैं तो अभय उत्पन्न होता है.

श्री श्री रविशंकर ने अपने उद्बोधन में हिंदू एकता महाकुम्भ में उठाए गए विषयों का समर्थन किया जिनमें राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण पर अभिनंदन, हिंदू देवस्थलों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त करने, कन्वर्जन के अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का विरोध, जनसंख्या नियंत्रण, सामान नागरिक संहिता, लव जिहाद से युवा पीढ़ी का बचाव, भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा, व्यसन त्याग, गौ रक्षा के ठोस प्रयास, नारी सशक्तिकरण, हिंदू विरोधी दुष्प्रचार पर रोक एवं पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं.

श्री श्री ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में संस्कृत को अनिवार्य किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्कृत पाठशालाओं में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति होना चाहिए. पंजाब से आए महंत ज्ञानवीर सिंह ने उपरोक्त उद्देश्यों के लिए एकता का आह्वान किया. कार्यक्रम का आरम्भ 11 सौ शंखों के नाद से हुआ.