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“स्व” आधारित स्वतंत्रता संग्राम को हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में ले जाने की आवश्यकता है।

किसी भी देश में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए “स्व” आधारित सामूहिक दृष्टिकोण होना आवश्यक है। भारत के संदर्भ में...

श्री ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के प्रयास किए

श्री ईश्वरचंद्रबंद्योपाध्याय “विद्यासागर” का जन्म दिनांक 26 सितंबर, 1820 को पश्चिम बंगाल (बंगाल प्रेसीडेंसी) केजिला मेदिनीपुर के ग्राम बिरसिंह में...

“प्रथम विधवा विवाह अनुष्ठान : बेचे थाको विद्यासागर चिरंजीबी होए”

"बेचे था को विद्यासागर चिरंजीबी होए" यह आधुनिक भारत में नारी सशक्तिकरण के पुरोगामी, महान् दार्शनिक, महान् शिक्षाविद्, निर्धनों और...

एकात्म मानववाद के प्रणेता व भारतीय पत्रकारिता के पुरोधा : पं. दीनदयाल उपाध्याय

भारतीय राजनीतिक चिंतक, हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा, एक प्रबुद्ध विचारक, संपादक, पत्रकार, प्रखर वक्ता शिक्षाविद, राष्ट्र ऋषि व संगठनकर्ता पंडित...

धर्म क्षेत्र के तपस्वी एवं परम् ज्ञानी अनंत विभूषित पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के बिना समस्त हिन्दू समाज एवं समूचा राष्ट्र उनके मार्गदर्शन से वंचित रहेगा– सरसंघचालक

जबलपुर - ब्रह्मलीन अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के षोडशी कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के...